बड़ी बिल्डिंग्स की भूमिका हुई नगण्य
स्कूलों के नाम पर बनाई गई बड़ी- बड़ी बिल्डिगें नहीं होगी? तो क्या खतरे में है स्कूल बिजनेस ?
ये ऐसे कुछ सवाल हैं जिन्हें अब विचार करना जरूरी हो गया है । कोरोना काल में जिस हिसाब से स्कूल पूरे साल भर बंद रहे और इस बीच बेहिसाब Online Education बच्चों को दी जाती रही और खुद स्कूल भी Online Education बच्चों को पढ़ाते रहे । उसे देखकर तो ऐसा ही प्रतीत होता है।
आज वेब की दुनियां में ऐसे अनगिनत माध्यम हैं जो एक तरह वही काम कर रहें हैं जो स्कूल अब तक करने का दावा करते आएं है।
खूबियां हुई दरकिनार
पहले ये जानते हैं कि School Education को लेकर (खास तौर पर निजी स्कूल )क्या क्या दावों के साथ पालकों को रिझाते आएं हैं
- योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक
- बच्चों को व्यक्तिगत ध्यान ,
- आधुनिक माध्यम से पढ़ाई जिसमें कम्प्यूटर शिक्षा और न जाने क्या क्या ! मैथ्स लैब,
- स्मार्ट क्लास,
- पढ़ाई में कमजोर बच्चों के लिए एक्स्ट्रा क्लास
- इसके अलावा पढ़ाई के बाद खेलकूद, गायन आर्ट एण्ड क्रफ्ट
व्यक्तित्व विकास और आगामी प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए विशेष तैयारियां
इत्यादि ।
आज वेब की दुनियां में ऐसे अनगिनत माध्यम हैं जो एक तरह से वही काम कर रहें हैं जो स्कूल करने का दावा करते आएं है।
और अगर आगे बात करें तो कुछ स्कूल लाजवाब ईंफ्रस्ट्रक्चर , भवन, विशाल खेल का मैदान क्लासरूम इत्यादि की भी पुरजोर वकालत करते हैं
मगर, ये तो सभी जानते है कि शिक्षा और दूसरी गतिविधियों को पूरा करने में अधिकांश स्कूल पूरी तरह असफल साबित हुए हैं । बस्तर की बात करू तो यहां पर खिलाड़ी, और प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफल विद्यार्थी हैं उनमें स्कूल का या तो कोई योगदान नहीं है या फिर छात्र अपनी स्वतः के प्रयासों से ही सफल हुआ है। वर्ना यहां कोचिंग और जिम और दूसरे गतिविधयों की संस्थाएं नहीं फलती फूलती। अगर स्कूल ही सब कुछ कर देते तो इनकी जरूरत ही नहीं पड़ती ।
जानिए ( लाल निशान पर ही क्लिक कीजिए) : कौन कौन सी नौकरियां हो जाएंगी भविष्य में बंद
अब जरा वेब पोर्टल तथा मोबाईल एप के माध्यमों से दी जाने वाली शिक्षा पर गौर कीजिए ।
उसमें उक्त सारी बाते आजकल बेव पोर्टल या मोबाईल एप ही पूरा कर रहें है । वे खेलकूद, गायन, और अन्य कलाएं जैसे चित्रकला , मूर्तिकला (कोई स्कूल नहीं सीखाता) , photography, Coding , कम्प्यूटर इत्यादि सीखा रहें है। साथ पढ़ाई भी अव्वल दर्जे का दे रहें है ।
यानि आज हमारे बस्तर में बैठा विद्यार्थी अगर चाहे तो देश विदेश के टाॅप कोचिंग संस्था या शिक्षक से पढ़ाई कर सकता है, अपने डाउट क्लीअर कर सकता है, उनसे बातचीत कर सकता है। यानि जो फीस आज स्कूलों को दी जा रही है उससे आधी या उससे थोड़ी ज्यादा पर उच्च दर्जे का ज्ञान उसे मिल सकता है।अब सवाल यहाँ यह निकल कर आता है कि अगर यही गति रही तो क्या भविष्य में मुमकिन नहीं है कि स्कूल या काॅलेज बंद हो जाएं ठीक उसी तरह जिस तरह मोबाईल आते ही एसटीडी पीसीओ के कारोबार बंद हो गए। डिजीटल कैमरे आते ही कोडेक और फोटोग्राफी का काम काज बंद हो गया । आज फोटो खींचने कोई दुकानों में नहीं जाता है ।
आपको याद होगा एक जमाने में एसटीडी काॅल करने बूथ पर लम्बी लाईन लगी होती थी। अब न वे बूथ दिखाई पड़ते हैं न ही एसटीडी के लिए लोग कहीं जाते हैं । एक और उदाहरण यह है कि हाल ही दूरसंचार विभाग को तार घर अपना बंद करना पड़ा । क्योंकि व्हाट्सएप के जमाने में कौन तार करने जाता है।स्कूल वाले ये दलील देते हैं कि उनकी सर्टिफिकेट की मान्यता क्या है? क्या वे नौकरियों में मान्य होगें? क्यों नहीं !
कल को सरकार अगर ऐसे आनलाईन संस्थाओं को मान्यता दे कर कहे कि उनके द्वारा दिए गए सर्टिफिकेट ठीक उसी तरह मान्य होगें जैसे आज संस्थाओं की होती है तो बस समझ लो आज की बड़ी बिल्डिग वाले स्कूलों के दिन खत्म हो गए । कल्पना तो ये भी की जा सकती है कि सीबीएसई, आईसीएसई बोर्ड खुद ये काम करने लगे,
कम्पनियों को मान्यता देकर उन्हें पढ़ाने के जिम्मा दे दे तो सोचिए स्कूल बिजनेस का क्या होगा?
जानिए (लाल निशान पर ही क्लिक है !) ऐसे कौन-कौन से अधिकारी है जिन्हों ने अपनी आईएएस की नौकरी छोड़कर अपने आपको नए काम के लिए तैयार किया और क्यों ?
Unacademy के अलावा देश की जानी मानी कोचिंग संस्थाएं अनगिनत है जो आजकल फेसबुक, में हर दिन उनके विज्ञापन आ रहें हैं । मै कुछ चुनिंदा आॅनलाईन संस्थाओं का जिक्र यहां कर रहा हूॅ साथ ही उनके लिंक भी शेयर कर रहा हूँ जिन्हें क्लिक उनकी जानकारी हासिल कर सकते हैं या वहाँ के टीचर या स्टूडेंट बन सकते है।
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आपके कमेण्ट का इंतेजार है।