जाहिर है वे देश सेवा के क्षेत्र में कुछ और बड़ा करना चाहते थे।
तो क्या ये समझा जाए कि आईएएस ( IAS)की नौकरी अपना आकर्षण खोती जा रही है। ये ऐसा पहला मौका नहीं है कि कोई प्रतिष्ठित आईएएस ( IAS) के पद पर रहते हुए उसे छोड़कर कोई दूसरा प्रोफेशन अपनाया हो। छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्य मंत्री अजीत जोगी ने भी अपना आईएएस ( IAS)का पद त्याग कर राजनीति में आना ठीक समझा। और वे सफल हुए।
अब सवाल ये उठता है कि राजनीति बड़ी या आईएएस की नौकरी । लेकिन ये जरूरी नहीं है कि आईएएस छोड़कर लोग राजनीति में ही प्रवेश लिए हों । देश में ऐसे कई उदाहरण है जो आईएएस छोड़कर किसी बड़ी कम्पनी या स्वयं का व्यवसाय कर रहें हैं । पहले उनके बारे में जानते हैं वे ऐसे कौन-कौन से अधिकारी है देश में जिन्होंने आईएएस को त्याग कर राजनीति के अलावा दूसरा क्षेत्र (व्यवसाय) चुना , जैसा कि मै पहले ही बता चुका हूँ कि 2012 के आंकड़े के मुताबिक ऐसे आईएएस की संख्या 181 तक थी और फिलहाल मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस की जानकारी है जो मै आपसे साझा कर रहा हूँ ।
प्रवीश शर्मा
1982 बैच के मध्यप्रदेश कैडर के अधिकारी थे । 34 साल बतौर आईएएस (IAS)सेवा देने के बाद 2016 में स्वेच्छा से उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपने आपको एक स्टार्टअप के लिए तैयार किया
जिसे उन्होंने सब्जिवाला नाम दिया । इसके जरिए किसानों और उपभोक्ताओं को गुणवत्ता वाले सब्जि उत्पाद दिया जाता है । 2018 से इनके साथ इनके तीन उर्जावान साथी भी हैं किसानों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के साथ सभी फसलों के बीच कृषि-बाजार संपर्क बनाने में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहें हैं ।
रोमन सैनी
ऐसा नहीं है कि उम्र का एक पड़ाव पार कर लेने के बाद कुछ बदलाव के लिए आईएएस आधिकरी ऐसा कर रहें है। कम से कम रोमन सैनी जैसे युवा अधिकारी के इस कदम से ये तो नहीं कहा जा सकता है।
संजय गुप्ता 2002 में आईएएस से स्वैच्छिक सेवा निवृत ले कर अडानी ग्रुप से काम किया हैं।
1985 बैच के आईएएस रहे संजय गुप्ता 22 साल की उम्र में आईएएस बने थे। कुछ समय अडानी group के साथ काम करने के बाद नीसा समूह के तले लक्सरी होटल्स की श्रंखला शुरू की है । उनकी कुछ ग्रुप कंपनियां नीसा लीजर, नीसा इंफ्रास्ट्रक्चर, नीसा एग्रीटेक और फूड, ओरिएंट स्पा, नीसा टेक्नोलॉजीज, नीसा फाइनेंशियल सर्विसेज, नीसा टाउनशिप और प्रॉपर्टीज और कैम्बे एसईजेड होटल हैं। उन्हें गुजरात सरकार द्वारा 2011 में मेट्रो रेल निर्माण के लिए चुना गया था ।
राजन सिंह
तिरूअनन्तपुरम में पुलिस कमीशनर थे। आठ साल सेवा करने के बाद कोरपोरेट सेक्टर में जाने की सोची ।कॉर्पोरेट जगत में कुछ बड़े नामों के साथ काम करने के बाद,
2016 में उन्होंने काॅन्सेप्ट आउल की स्थापना की । उनकी यह संस्था एक शिक्षकविहीन ऑनलाइन-इन-क्लास शैक्षणिक मंच है जिसमें छात्र प्रवेश लेकर विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद हासिल करते हैं । उनका कहना है। एक निवेशक के रूप में, मैं बहुत सारे उद्यमियों से मिलता था। मैंने देखा कि केवल एक चीज जिसने उन्हें हमारे जैसे लोगों से अलग करती है वह है उनका जोखिम उठाने की क्षमता थी। मैं जीवन में ऐसा नहीं कर पाने का अफसोस नहीं करना चाहता था। मैंने अपना काम छोड़ दिया। और उद्यमी बनने का जोखिम उठाया ”
सैयद सबाहत अजीम
सैयद सबाहत अजीम एक डॉक्टर और 2000 बैच के पूर्व आईएएस अधिकारी हैं
जिन्होंने सस्ती हेल्थकेयर श्रृंखला ग्लोकल हेल्थकेयर सिस्टम लॉन्च किया और इसी लिए अपने पद से त्याग पत्र दे दिया । एक साक्षात्कार में उन्होंने इसका कारण कुछ ऐसा बताया है। “मेरे पिता की मृत्यु अनावश्यक उपचार के कारण हुई। मैंने सोचा, अगर यह मेरे लिए हो सकता है, तो दूसरों के साथ क्या होता होगा ? और इसलिए उन्होंने इस विचार पर काम करना शुरू कर दिया। उन्हें सेबी के पूर्व अध्यक्ष ग्लोकन के अध्यक्ष श्री एम दामोदरन से काफी समर्थन मिला है ।
आई ए एस (IAS) की नौकरी छोड़ कर जाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। दिए गए कुछ नाम तो चुंनिदा है जो 2012 तक के रिकार्ड के मुताबिक हैं।
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