11 से 14 फरवरी तक बस्तर में बहुभाषी नाट्य उत्सव होने है। ऐसे में नौ राज्यों के कलाकार बस्तर के मैत्री संघ में अपनी-अपनी प्रस्तुतियां देगें। ऐसे में कुम्हारापारा स्थित मैत्रीसंघ के बारे में थोड़ा जान लेते हैं। बस्तर में रंगमंच और नाटकों का लम्ब इतिहास रहा है
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इतिहास रचने वाले बस्तर रंगकर्मी
मैत्री संघ की स्थापना स्थानीय बंगला भाषियों 1974 के आसपास हुई थी। इसके पश्चात यहाँ सुकुमार चैधरी, अनिन्द्र नाथमुर्जी गोपान मुखर्जी, सुजीत कुण्डू और विजय कुण्डू के सहयोग से विषाद राज गुप्ता नाटक सिराजुद्दौला और चरित्रहीन नाटक को बांग्ला भाषा में अवतरित कर रहे थे। साथ-साथ रईस मुद्रवी, मनोहर सिंह राठौर, सत्यजीत भट्टाचार्य अंधायुग हयवदन जैसे कालजयी नाटकों के मंचन में सक्रिय थे। यहाँ यह उल्लेख करना जरूरी है कि नाटको में स्त्री पात्रो की भूमिका और अभिनय की चुनौती हमेशा बनी रही। महिलाएँ नाटकों में अभिनय करने में हिचकती रही तब नसरीन मुद्रवी ने इस चुनौती को स्वीकार किया और नाटकों में यादगार अभिनय किया। यानि वे पहली महिला पात्र थी जो बस्तर रंगमंच पर नजर आईं
भारतीय जननाट्य संघ यानि इप्टा
सन् 1981-83 में भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा ,IPTA ) का गठन अभिलाष दबे, ज्ञानसागर मण्डल, जी एस मनमोहन,,धनंजय देवांगना, खुर्शीद खान , मदन आचार्य आदि के सहयोग से किया गया. प्रारंभिक दौर में जीएस मनमोहन के निर्देशन में नुक्कड़नाटक मशीन और तमाशा खेले गये. ज्ञानसागर और जीएस मोहन के निर्देशन में गाँव से शहर तक नाटक का मंचन हुआ, ; तत्पश्चात कवि और रंगकर्मी के निर्देशन में आठवे और नवे दशक में इप्टा के लिए नाटक इंस्पेक्टर मातादीन चाँद पर, लोक कथा 88 , मशीन , बाबा बोलता है गिरगिट जंगीराम को हवेली समरथ को नहीं दोष गोसाई , राजा मांगे पसीना, चन्द्रमासिंह उर्फ चमकू कफन , हल्बी अनुदित मरनीपाटा पोस्टर आदि का मंचन हुआ, इन नाटकों में नगेन्द्रसिंह, नसीम कुरैशी, जितेन्द्र ठाकुर, मधुसाहू, वंदना तिवारी हरिशसाहू , प्रकाशदास, विमलेन्दू झा आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया था
सूत्र संस्था के संस्थापक और नाट्य निर्देशक विजय सिंह के निर्देशन में नाटक Posts दण्डनायक, घोटूल कालिन्दी आदि का मंचन हुआ, कलाकार के रूप में त्रिजुगी कौशिक, अनिल कोम्बरे, योगेश चाण्डक आदि उभर कर आये. सूत्र द्वारा - निरंतर कई बालनाट्य शिविरों का आयोजन किया गया और बाल नाटको का मंचन भी . जिसमे प्रमुख अंधेर नगरी-चैपट राजा, टंकारा का कंगना श्चंदा मामा की जय श्चिरी की नानी श्थोड़ा जोर से खीचों आदि हैं. इन नाटको में कई बालकलाकारो ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया-यथा सचिन शर्मा, पिंटू कौशिक, अभिषेक जैन प्रखरसिंह आदि उक्त सभी बालनाटको का संयोजन निर्देशन विजयसिंह द्वारा किया गया- कुछ नाटकों मे सहयोग के. श्रीधर का भी था, नाटक मुर्ख गुरु और मुरखचेले तथा अक्ल बड़ी सा भैंस नाटकों का निर्देशन प्रख्यात रंगकर्मी स्व. अलखनंदन ने किया. इन दोनों नाटकों को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली, और म. प्र. कलापरिषद भोपाल ने सूत्रश् के साथ मिल कर तैयार और मंचित किया. सूत्र के बैनर से ही सम्राट अशोकश् नाटक का मंचन बस्तर हाई स्कूल के मंचसे हुआ जिसके निर्देशक एम.ए. रहीम थे। सांस्कृतिक, साहित्यिक, सामाजिक संस्था प्रतिबिम्ब कला परिषद का गठन 2003 में जगदलपुर में किया गया. गठन के पश्चात संस्था द्वारा सक्रिय रूप से कई साहित्यिक आयोजनो के साथ नाटकों का मंचन भी किया गया. प्रदर्शित नाटको में इस्पेक्टर मातादीन चाँद पर श्शांति की खोज में, वाँक आउट , स्लीप आउट, जगदलपुर का जन्म आदि प्रमुख हैं।
इन नाटकों का निर्देशन नगेन्द्रसिंह ने किया इसके अतिरिक्त कुकड़ागाली, (हल्बी), हम है लड़के वाले श्नाटको का मंचन शैलेन्द्र पाण्डे के निर्देशन में हुआ, श्बजे प्रकट कृपाला दीनदयालाश् नाटक सदाबहार नाट्य निर्देशक जीएस मनमोहन के निर्देशन में मंचावतरित हुआ. प्रतिबिम्ब कला परिषद में हरिशसाहू, नगेन्द्र सिंह , पूर्णिमा, सरोज, अतुल शुक्ला, शैलेन्द्र पाण्डे, अनूपकुर्रे, परमेश राजा, भारती सिम्हा, आदि सक्रिय है,
लोक सांस्कृतिक मंच
बस्तरमाटी लोक सांस्कृतिक मंच का गठन जून 1987 में संरक्षक लाला जगदलपुरी और संयोजक नरेन्द्रपाटी के नेतृत्व में हुआ, इस संस्था द्वारा कई अंतरालों में नाटक माहलाकारी लेखक निर्देशक भागीरथी महानंदी, श्अपड़ के दुई थापड़ लेखक निर्देशक नरेन्द्रपाटी,आले मके बल्ले निर्देशक भागीरथी महानंदी के निर्देशन में कई बार और कई स्थानों मे प्रदर्शित किया इन नाटकों में गिरिजानंद ठाकुर, नरेन्द्र पाढी, भागीरथी महानंदी, कुशल पानीग्राही, अनंत स्वर्ण, रुद्रनारायण पानीग्रधि, विक्रमसोनी, जगतराम साहू, कु माधुरी पाण्डे, उमा ठाकुर। चंद्रकला, चंचला, पार्वती, महेन्द्र पाण्डे , गोविंद प्रसाद आदि ने अभिनय किया. बस्तर माटी को प्रथम टेली फिल्म (हल्बीभाषा में) बनाओ का श्रेय भी है. श्माहलाकारीश् नाम से बने इस टेलीफिल्म के निर्देशक रुद्रनारायण पानीग्राही हैं. उपरोक्त दर्शिति कलाकारों ने इस फिल्म मे भी अभिनय किया. पानी चो कहानी जैसे सोउद्देश्य तथा सामाजिक सरोकार युक्त टेली फिल्म का निर्माण इस संस्था के सहयोग से जैन स्टूडियो दिल्ली द्वारा किया गया और इसका प्रदर्शन दूरस्थ अंचलोओ यथा बीजापुर, गंगालूर, पादड़ा आदि स्थानों में किया गया.
बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यंग्यकार कवि, नाटक सुभाष पाण्डे लिखित हिन्दी नाटक आओ उस ओर चलें कैलाश गुफा के भीतर मंचित हुआ था . संभवत यह पूरे भारत में गुफा के भीतर मंचित होने वाला पहला नाटक था. निर्देशन जी. एस. मनमाहेज और कलाकार संतोष तिवारी मधु साहू, भुमिका महानंदी थे । मुंदरा मांझी लोकनायक का हिन्दी रूपांतरण भी सुभाष पाण्डे ने किया. इसका निर्देशन भी जी एस मनमोहन द्वारा हुआ है।
कोसल नाट्य अकादमी जगदलपुर
कोसल नाट्य अकादमी जगदलपुर (बस्तर) का गठन स्वतंत्र छत्तीसगढ़ के अस्तित्व के बाद जनवरी 2001 में हुआ था. इसके संस्थापक और निर्देशक ख्यातलब्ध रंगकर्मी , खुर्शीद खान है, फरवरी 2001 में कोसल नाट्य अकादमी के तत्वावधान में त्रिदिवसीय राज्य स्तर का नाट्य समारोह आयोजित किया गया, जिसमें रायपुर के ख्यातिनाम नाटक निर्देशक श्री मिर्जमसुद के दो नाटकों श्माटी की गाड़ी और हरिशचन्द्र की कहानी को आमंत्रित दिया गया. इसके साथ ही जगदलपुर के अभियान नाट्य संस्था द्वारा सत्यजीत भट्टाचार्य (बापी) द्वारा निर्देशित नाटक श्घेरा का मंचन भी हुआ. इस क्रम में कोसल नाट्य अकादमी द्वारा खुर्शीद खान के निर्देशन में गिरीश कर्नाड का लिखा बहुचर्चित नाटक नाग मंडल की यादगार प्रस्तुति हुई. इस नाटक में मुख्य भूमिका का निर्वहन श्रीमती नसरीन मुद्रवी, महेन्द्र पाण्डे, पूनम विश्वकर्मा, विजयसिंह, राजेश श्रीवास्तव, ज्ञानसागर मंडल, सुरेन्द्र प्रधान, वीएन वर्मा आदि के द्वारा की गई,
खुर्शीद खान के निर्देशन में ही रामेश्वर प्रेम के नाटक कैंप का मंचन हुआ. इस नाटक में मुख्य भूमिका में स्वयं खुर्शीद खान, संजय त्रिवेदी, राजेश श्रीवास्तव, जी. एस. मनमोहन, पूनम विश्वकर्मा ने शानदार और सशक्त अभिनय किया. यह नाटक no men's land पर आधारित एक यादगार प्रस्तुति थी. विश्व में जल संकट की समस्या से समाज को सचेत करने के लिए अकादमी द्वारा खुर्शीद खान के निर्देशन में सुभाष पाण्डे रचित नाटक श्पानी कंहा है का मंचन चित्रकूट जलप्रपात के सामने किया गया, यह नाट्य प्रस्तुति की दृष्टि से अभिनव पहल माना जा सकता है, इस नाटक मे भी संजय त्रिवेणी, पूनम विश्वकर्मा, राजेश श्रीवास्तव, सुरेन्द्र प्रधान, वी.एन. वर्मा और रामसागर मण्डल की अदाकारी थी.
व्यंग्यकार ज्ञान चतुर्वेदी के उपन्यास पर आधारित तथा सुभाष पाण्डे द्वारा नाट्य रूपांतरित नाटक श्नर्कयात्राश्का मंचन खुर्शीद खान के निर्देशन में जगदलपुर तथा कोण्डागांव में मंचावतरित हुआ, मुख्य भूमिका में खुर्शीद खान, सुभाष पाण्डे संजय त्रिवेदी, विजयसिंह, राजेश श्रीवास्तव, भूमिका महानंदी, ज्ञानसागर मंडल, रुद्रनारायण, सुरेन्द्र प्रधान, भागीरथी महानंदी, निर्मल सिंह राजपूत के सशक्त अभिनय किया.
मिलिट्री में जाति अंतर्विरोध पर आधारित ख्यातिनाम नाटक कार स्वदेश दीपक के लिखे नाटक कोर्ट मार्शल का मंचन कोसल नाट्य अकादमी के निर्देशक खुर्शीद खान के निर्देशन मे ही खेला गया. इस नाटक में एम.ए रहीम, संजय त्रिवेदी, जीएस मनमोहन, सुरेन्द्र प्रधान, खुर्शीद खान, निर्मल सिंह राजपूत, वी एन वर्मा, रुदनारायण पानीग्राही, अरुण चैरिया, अवध किशोर शर्मा जैसे वरिष्ठ और निरंतर सक्रिय कलाकारों ने अभिनय किया. यह नाटक अकादमी की सशक्त और शानदार प्रस्तुति थी. जगदलपुर जैसे मझौले शहर में आधुनिक रंगमंच और तद् अनुरूप राष्ट्रीय स्तर के नाटकों का मंचन श्कोसलनाट्य अकादमी को एक महत्वपूर्ण संस्था के रूप में स्थापित करती है। अकादमी वर्तमान मे भी सक्रिय होने के लिए प्रेरित है।
जी.एस. मनमोहन के द्वारा स्थापित नाट्यसंस्था- जनरंग और नवजनरंग ने लेखक सुभाष पाण्डे की नाट्यकृति मुंदराभांझी, हिमांशु शेखर झा, लिखित घोटुल, दया प्रकाश सिन्हा को नाट्य रचना सोढ़िया प्रख्यात कहानीकार असगर वजाहत की नाट्यकृति गोडसे गाँधी कॉम लेखक सोफोवलीज की रचना श्एण्टीगोमी का मंचन जगदलपुर में किया. ये सभी नाटक नये भावबोध और सामाजिक मुल्यों की रक्षा का संदेश देने वाले है।
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