बस्तर की कला,संस्कृति और इतिहास की विस्तृत जानकारी के लिए कुछ किताबों का मै उल्लेख करता हूँ एक है बस्तर मार्चिंग अहेड पिछड़ेपन को पछाड़ने की ललक, दूसरा दशहरा और तीसरा विरासत जगदलपुर की
इन तीनों किताबों के पीछे बस्तर जिले के लेखक, रचनाकार रूद्रनारायण पानीग्राही की अथक मेहनत, संपादन और लेखन है ।
पिछले दिनों उनसे कार्यक्रम में उनसे विस्तृत चर्चा हुई तो मैने जाना उनके अन्दर एक कलाकार की अकूत प्रतिभा छिपी है।
कौन है रूद्रनारायण पानीग्राही?
वैसे तो ये जगदलपुर में पशुधन विभाग में सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी हैं मगर मेरी पहचान उनसे बतौर कलाकार हुई जब वे अपनी किताब विरासत जगदलपुर की के लिए काम कर रहे थे। बातों से लगा लेखन वे शौकिया तौर पर करते हैं । मगर मैने जाना वे पिछले 30 वर्षों से रंगमंच को समर्पित और मंजे हुए कलाकार हैं । उन्होंने स्थानीय हल्बी, भतरी बोलियों में अनिगिनत नाटकों का लेखन,निर्देशन और उनमें अभिनय किया है। इसके अलावा भूमकाल (1910 ) पर आधारित फिल्म में अभिनय किया है। जिसका प्रसारण भोपाल दूरदर्शन में किया जा चुका है । ये तो बात उन दिनों की है जब छत्तीसगढ़ नहीं बना था। आज उनकी लेखनी बस्तर के इतिहास और अनेक सांस्कृतिक धरोहरों का खुला दस्तावेज बन चुकी है।
अनुवादक भी हैं ।
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में 15 जुलाई 1963 को जन्में रूद्रनारायण पानीग्राही ने बस्तर के चर्चित महाराजा स्व.प्रवीरचंद भंजदेव की जीवन पर आधारित किताब एक महाराजा मेरी नजर से इसका अनुवाद किया है और इस किताब का प्रकाशन राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, नई दिल्ली ने किया है। इतना ही नहीं हल्बी, भतरी में बाल चित्रकथाओं का भी इन्होंने इसी प्रकाशन तले अनेक पुस्तकों का अनुवाद किया है। इसके अलावा भोपाल से 7 चित्रकथाओं का भी अनुवाद न्यू संजय प्रकाशन भोपाल से हो चुका है।
(कृपया लाल रंग में लिखे शब्दों पर टैप या क्लिक कीजिए )
हल्बी/भतरी के जानकार
हल्बी बोली से खास लगाव चलते इनकी प्रारम्भिक रचनाएं अधिकांशतः हल्बी में मिलती है। आकाशवाणी जगदलपुर में अपनी इसी प्रतिभा के कारण हल्बी लोककथाओं से इन्होंने अच्छी पहचान बनाई। वे लगातार आलइंडिया रेडियो से आलेख, भेंटवार्ता, कहानी, व्यंग्य,रूपक, कविता लेखन करते रहें हैं।
बस्तरिया फिल्मों में दिखाया जौहर
बात 1990 की है जब आज की तरह इंटरनेट और कम्प्यूटर का जमाना नहीं था तब उस दौर में बस्तर जिले में पहली हल्बी फिल्म बनी थी नाम था महालाकारी । इस फिल्म के लिए रूद्रनारायण पानीग्राही ने लेखन, निर्देशन, व अभिनय किया । रायपुर की संस्था साईनाथ फाउडेशन ग्रुप रूद्रनारायण पानीग्राही को इनके अमूल्य योगदान के लिए पुरस्कृत की है।
फिर लेखन में
ककसाड़ साहित्यिक पत्रिका, और निचोड़ समसामयिक पत्रिका में उनकी रचनाएं अनवरत प्रकाशित होती रहती हैं। इसके अलावा नवभारत वार्षिक अंक, दंडकारण्य समाचार में भी इनकी रचनाओं को पढ़ा जा सकता है।
ककसाड़ साहित्यिक पत्रिका, और निचोड़ समसामयिक पत्रिका में उनकी रचनाएं अनवरत प्रकाशित होती रहती हैं। इसके अलावा नवभारत वार्षिक अंक, दंडकारण्य समाचार में भी इनकी रचनाओं को पढ़ा जा सकता है।
कुछ अन्य रचनाएं
इनकी किताब गोंचापर्व की रथयात्रा,
गदेया (जो हल्बी बोली की कहावतों का संकलन है। ढेलामारू हल्बी हास्य व्यंग्य है।), बस्तर एक परिचय, और अतीस से आगत में इनका संपादन सहयोग है।
चिढ़खा (इसमें बस्तर में बोली जाने वाली सभी प्रमुख बोलियाँ जैसे हल्बी, भतरी, दोरली,गोड़ी इत्यादि में कविता संग्रह है।)
चर्चित प्रकाशन
बस्तर दशहरा, पिछड़ेपन को पछाड़ने की ललक, हैरिटेज वॉक और विरासत जगदलपुर की
इसमें पिछड़े पन को पछाड़ने की ललक में बस्तर संभाग में हुए विकास की एक तस्वीर दिखाई गई है । जबकि हैरिटेज वॉक में पर्यटन और एतिहासिक महत्व के भवनों के बारे में विस्तार से जानकारी मिलती है। वहीं बस्तर दशहरा में निभाए जाने वाले तमाम रस्मों के बारे विस्तार से जानकारी है ही साथ ही उन रस्मों से जुड़ी कथाएं, मिथक और एतिहासिक पक्ष को भी बखूबी दिखाया गया है।
इसे भी अवश्य पढ़िए !जानिए कौन थे हरिहर वैष्णव