अल्लूअर्जुन की फिल्म लॉक डाउन के बाद सबसे हिट फिल्म है। इस फिल्म की हिन्दी वर्जन ने अब तक 80 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली है। इस फिल्म के नायक एक चंदन तस्कर है जो गरीबी से उठकर किस प्रकार चंदन तस्करों का सरताज बनता है दिखाया गया है। बहरहाल! इसके बाद फिल्म का दूसरा भाग भी आने वाला है। इस फिल्म में लाल चंदन की तस्करी दिखाई गई है। 80 के दशक में भारत में चंदन तस्करों ने भारत सरकार की नींद हराम कर दी थी । नायक लाल चंदन का तस्कर है
लाल चंदन मंहगा क्यों है?
यह चंदन जीवन दायनी दवा से लेकर खूशबूदार इत्र और फर्नीचर, पूजा समाग्री इत्यादि बनाने के काम आता है। सबसे खास बात यह कि इससे बनी चीजें केवल अमीर लोग ही इस्तेमाल कर पाते हैं। जाहिर यह इससे बनी चीजें मँहगी होती है। लाल चंदन 50 हजार रूपए प्रतिकिलो बिकता है। और यह लाल चंदन आंध्रप्रदेश और तमिलनाडू में ही पाई जाती है और कडप्पा, कुरनूल, चितूर और नेलोर जिलों में पाया जाता है। इसके मँहगे होने का दूसरा कारण यह है कि पूरी दुनियां में मौजूद लाल चंदन का 90 फीसदी हिस्सा केवल भारत के दो ही राज्यों से आता है वह है आंधप्रदेश और तमिल नाडू । भारत प्रतिवर्ष 400 टन यानि 40 हजार किलो लाल चंदन बनाता है।
अब इसकी कीमत का अंदाजा लग गया होगा कि लाल चंदन मँहगा क्यों है?
अब सफेद चंदन की बात करते हैं
यह लाल चंदन की अपेक्षा थोड़ी सस्ती मिलती है यानि इसकी कीमत 26 से 30 हजार रूपए प्रतिकिलो है। एक पेड़ से 15 से 20 किलो सफेद चंदन आता निकलता है। इस प्रकार एक पेड़ से 5 से 6 लाख तक की आमदनी हो जाती है। खेती के लिहाज से एक पेड़ 12 से 15 साल में बड़ा हो पाता है।
अमीर बनने की चाह में लोग चंदन के पेड़ों की अंधाधुध कटाई में लग गए थे । इसकी तस्करी भी खूब होती थी । 80-90 के दशक में वीरप्पन नामक एक चंदन तस्कर था। जिसने कर्नाटक और तमिलनाडू के सरकारों की नाक में दम कर रखा था। इसे पकड़ने के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स बनी और सरकार हर साल 2 करोड़ रूपए खर्च करती थी। वीरप्पन चंदन की तस्कर के अलावा, हाथी दांत की तस्करी, अपहरण, हत्या जैसे अपराधों में लिप्त था।
चंदन के प्रकार
चंदन चार प्रकार के होते हैं जिनको लाल, सफेद, मयूरा और नाग चंदन कहते हैं। वास्तव में हरे चंदन के पेड़ पर सुगंध नहीं होती है।चंदन पेड़ की पक्की लकड़ी में ही सुगंध होती है।
चंदन का वृक्ष परजीवी होता है इसीलिए चंदन की अकेले खेती नहीं की जाती इसके साथ नीम और अन्य पौधा लगाने की जरूरत होती है क्योंकि चंदन दूसरे पौधों की जड़ों से अपना भोजन लेता है। इसीलिए चंदन की अच्छी पैदावर के लिए दूसरे पौधों का होना जरूरी है।
खेती है आसान
साल 2000 से पहले आम लोगों को चंदन उगाने की मनाही थी मगर अब वन विभाग से अनुमति लेकर कोई भी इसकी खेती कर सकता है। केवल कटाई के समय एनओसी यानि नो आब्जेक्षन लेना होता है। ध्यान ये रखें कि चंदन केवल आप सरकार को ही बेचें । किसी अन्य को नहीं । अन्यथा कानूनी कार्यवाही का प्रावधान है।
पूरे दुनियाँ में चंदन की 16 प्रजातियां पाई जाती है जिसमें सेलम एल्बम प्रजाति का चंदन सुगंधित और दवाईयों के बनाने में काम आता है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि चंदन के पेड़ों पर जहरीले सांपों का बसेरा होता है।
कैसी मिट्टी और जलवायु चाहिए
इसके लिए लाल मिट्टी काफी अच्छी होती है। इसके लिए मिट्टी की पीएच 7 से 8.5 वाली होनी चाहिए। इसके अलावा चट्टानी,पथरीली और चूनेदान मिट्टी में भी चंदन अच्छे से पनपता है। अप्रेल से मई के बीच का महिना चंदन की खेती करने का महिना होता है। इसके लिए 5 से 50 डिग्री का तापमान जरूरी होता है।
अंत में
इसीलिए रहीम दास जी ने कहा है हांलाकि संदर्भ कुछ और ही है। जरा इस पर भी गौर कीजिए।
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग।
चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग।।
अर्थ रहिम दास ने कहा है कि अच्छे मनुष्य को बुरी संगती नहीं बिगाड़ सकती । ठीक उसी तरह जैसे चंदन के वृक्ष में जहरीले सांप लिपटे रहते है। मगर उसकी खुश्बु नहीं जाती ।
अगर आपके पास जमीन है तो यह investment के हिसाब से यह अच्छा विकल्प है।