बस्तर की कला संस्कृति और परम्पराओं को समझने के लिए पर्यटकों को गांवों का या बस्तर के सुदूर अचलों का दौरा करने जरूरत नहीं है। जिला प्रशासन ने बस्तर अकादमी ऑफ डांस, आर्ट, लिटरेचर एंड लेंग्वेज यानि बादल ( Bastar Academy of Dance, Art, Literature and Language ) की स्थापना की है। यह बस्तर की संस्कृति को आपको रूबरू करवाएगा ।
साथ बस्तर कला एक मंच प्रदान करेगा। इस परिसर में एक खुला थिएटर बनाया गया है। जिसमें बस्तर के लोक संगीत व गीतों की बहार हागी। कुल मिलाकर यह समझ में आता है कि बस्तर की तमाम संस्कृति को समझने का समावेश एक ही परिसर में होगा।
कहाँ है यह बादल?
बादल यानि बस्तर अकादमी ऑफ डांस आर्ट लिटरेचर एंड लेंग्वेज ग्राम आसना में है जो जगदलपुर से 5 किमी दूर रायपुर रोड पर है। आपको बकावण्ड जाने वाले मार्ग पर कुछ कदम दूर चलने पर यह नजर आएगा। यहाँ पार्किंग की उत्तम व्यवस्था है। जानकारी के लिए बता दे कि इस स्थान पर एक मोटल हुआ करता था जिसे बाद में बादल में तब्दील कर दिया गया ।
जिला प्रशासन ने बनाया है इसे
कोविड को देखते हुए हांलाकि यहां हलचल कम है मगर उम्मीद है बस्तर को समझने के लिए या यू कहें बस्तर की कला,संस्कृति को उपरी तौर पर निहारने के लिए यह उत्तम जगह है । बशर्ते यह सुचारू रूप से काम करे ।
यह है योजना
यह सच है कि आधुनिकता के इस दौर में आदिवासी समाज अपने लोकनृत्य, लोकगीत, स्थानीय भाषा, साहित्य व शिल्पकला को आज भी जीवित रखे हुए हैं । उसका डिजीटल रूप सोशल मिडिया में छाया रहता है। जाहिर है, इस संस्था से आदिवासी संस्कृति को और बढ़ावा मिलेगा।
चार विभागों में बंटा है बादल
बादल परिसर में घुसते ही आपको परंपरागत तरीके से बनाए गए कुछ ढांचे मिलेगें । इसे चार प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया है।
एक है लोक नृत्य
दूसरा लोकगीत
तीसरा लोक साहित्य व भाषाः
और बस्तर शिल्प
सांस्कृतिक संग्रहालय
संग्रहालय में बस्तर की हलबी, भतरी, गोंडी बोली की पुस्तकों का संग्रह किया जाएगा। जिससे यहां पर आने वाले लोग पुस्तक के माध्यम से भी बस्तर की संस्कृति की जानकारी ले सकेंगे, इसके अलावा लोककलाओं की रिर्काडिग के लिए स्टूडियों, सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए हाल व अन्य भवन का निर्माण हुआ है।
समाज के जानकारों के माध्यम से भाषाओं को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा हैं। बादल के माध्यम से बस्तर की लोककला व संस्कृति का संरक्षण व संवर्धन के साथ प्रदर्शन भी किया जायेगा जिससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योकि देश व दुनिया बस्तर की आदिवासी संस्कृति को करीब से जानना चाहता है।
निश्चित ही ये जिला प्रशासन की बस्तर जनमानस के लिए एक सौगात साबित होगी।
फिलहाल आप शहर में ही दलपतसागर और बस्तर आर्ट गैलरी का मजा ले सकते हैं।
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