बस्तर की संस्कृति और कला बेजोड़ है और शोधकर्ताओं की माने तो इसमें हर पड़ताल पर कुछ नया ही दिखाई देता है। बस्तर अंचल की पत्रिका निचोड़ के अगस्त 2021 का अंक मैनेे पढ़ा इसमें छपी रूद्रनारायण पानीग्राही की एक लेख है जिसमें बस्तर के गोड़ी लोक गीतों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। सोचा इसके बारे में जरूर कुछ बातें आपको भी जाननी चाहिए !
लेख में छपी जानकारी के मुताबिक हर अवसर के लिए गोड़ी में लोकगीत होते हैं । मृत्यु के समय गाए जाने वाले गीतों को छोड़कर सारे अवसरों पर गाए जाने वाले गीतों को काफी उत्साह से गाया जाता है।
जानिए :-
अधिकांश लोकगीत सवाल जवाब के रूप में होते है । इसके लिए महिलाएं दो समूहों में बंटी होती है। एक समूह गाते हुए सवाल करता है तो दूसरा उसका जवाब देता है। या पहले समूह के गाए पंक्तियों को दोहराता है। गाए जाने वाले गीतों को ’पाटा’ कहा जाता है। जानकारी के लिए इन गीतों को 4 श्रेणियों में रख सकते हैं ।
1. धार्मिक लोकगीत,
2. संस्कारपरक लोकगीत,
3. ज्ञानवर्धक लोकगीत और
4. अन्य लोकगीत।
पहले बात करते हैं धार्मिक लोक गीत की
धार्मिक लोक गीत
धर्मिक लोकगीत को पेन पाटा कहा जाता है । पेन का अर्थ देवता है । इस प्रकार के गीतों में देवीदेवताओं का वर्णन, होता है। पेन पाटा में चार प्रकार के गीत होते है।पहला है
ककसाड़ पाटा:-यह गीत रात भर गाया जाता है । इसमें नृत्य भी शामिल है। मंडप के पास आने वाले सभी देवताओं के नाम लेकर इसे गाती है । और गाने के दौरान सवाल किया जाता है ’तुम कौन हो?
मातल पाटा:- इस प्रकार के गीत देवताओं खेल -खिलाने के उद्देश्य से इसे गाया जाता है। इस प्रकार के गीतों में देविओं को खेलने का अनुरोध किया जाता है।
ढोलपाटा:-ढोलबजा कर इसे गा कर देवताओं से खेलने का अनुरोध किया जाता है। घोटुल या गांव के लड़के ढोल बजाते हुए महिलाओं के बीच जाते हैं । उस वक्त नृत्य कर रहीं महिलाएं ढोलपाटा गीत गाती है। कोकरेंग पाटा:- इसमें देवताओं का आवहान कर उनका परिचय कराया जाता है । गाने के दौरान ये बताया जाता है कि देवता किस परगने से संबध रखता है ? उसने कौन कौन से अलौकिक कार्य किए हैं ?
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इसके बाद संस्कार गीतों की बारी आती है।
सम या विषम गोत्रिय महिलाएं दो समूह में बंटकर यह गीत गातीं है। इस प्रकार के गीतों हास्य प्रहसन का दौर चलता है । इसकी गायन प्रकृति के हिसाब से तीन श्रेणियों में बाँटा गया है।जन्म, विवाह और मृत्यु के समय गाए जाने वाले गीता
जन्म के समय जो गीत गाए जाते वे तीन प्रकार के होते हैं -
उन्हें पुटुलपाटा, सटिंगपाटा और जाला पाटा कहा जाता है। समझने की कोशिश करते हैं क्या होते हैं ये गीत?
पुटुलपाटा यानि शिशु गीत ।यह शिशु के जन्म के दिन ही महिलाएं गाती हैं । इसमें नवजात की माँ के परिवार और पिता के परिवार की महिलाएं मिलजुल कर समूह बनाकर गाती हैं।
सटिंग पाटा यानि नामकरण गीत यह छटी के दौरान गाया जाने वाला गीत है । इसमें गाँव की महिलाओं को आमंत्रित किया जाता है । और वे समूह के रूप में जमा होकर ये गीत गाती हैं जिसे सटिंग यानि नामकरण (बस्तर में छटी ) कहते हैं
जो जोली पाटा यानि लोरी गीत जब शिशु झूले में होता है तो यह गीत गाया जाता है। यह एक तरह से लोरी होता है जिसे घर की महिलाएं, माँ या दादी गाती है ।
जोला पाटा यानि झूलना गीत यह गीत घर की महिलाएं गाती है जब शिशु झूले में होता है।
इसके बाद होता विवाह संस्कार
जाहिर है इसमें गीत-संगीत हास्य प्रहसन की बड़ी भूमिका होती है। इसमें जो गीत गाए जाते हैं वे इस प्रकार होते हैं ।
मरमिंग पाटा :- यानि शादी में गाए जाने वाले लोकगीत है । पहले सगाई गीत होता है और यही मरमिंग पाटा कहलाता है। जब वर पक्ष को भावी वधु की जानकारी मिलती है तो वर पक्ष शराब लेकर कई बार वधु के यहाँ जाते हैं आजकल यह नियम तीन बार कर दिया गया है। शराब लेकर जाने की रस्म को माहला कहा जाता है। माहला के दौरान जमा हुए महिला पुरूष माहला पाटा यानि सगाई गीत गाते हैं ।
मांडो पाटा यानि मंडापाच्छदन के दौरान गाया जाने वाला गीत । विवाह के लिए तैयार मंडप के बीचो-बीच महुआ की डाल जंगल से लाया जाता है । इसी दौरान गाना गाते हुए महिलाएं जाती है जिसे मांडो पाटा यानि मंडापाच्छदन गीत कहा जाता है।
टूकचोड़ी पाटा यानि चूनमाटी ये मजाक के लहजे में गाया जाने वाला गीत है। विवाह की रस्म के लिए गोठान से मिट्टी लाने के दौरान इस गीत को गाया जाता है।
करसामांडिल पाटा यह गीत कलश स्थापना के दौरान गाया जाता है। इसमे विवाह के निर्विघ्न सम्पन्न कराने के लिए देवताओं का आव्हान किया जाता है ।
ऐर मिहान पाटा यानि पानी डालने के लिए गाया जाने वाला गीत । मंडप में दुल्हा दुल्हन को चटाई पर बिठाकर उनके ऊपर पानी डाला जाता है और देवताओं से आव्हान किया जाता है कि वे इस विवाह की साक्षी बनें ।
नी तरहीना पाटा बस्तर में विवाह की एक रस्म होती है जिसे तेल चढ़ाना कहते हैं । इस रस्म में गाया जाने वाले गीत को नी तरहीना पाटा कहा जाता है।
जोड़ा पाटा आदिवासी समाज में विवाह का पूरा खर्च वर पक्ष को ही उठाना पड़ता है। वर पक्ष को विवाह सामग्री सौपते समय जो गीत गाया जाता है उसे जोड़ापाटा कहते हैं ।
मरमिंग पाटा :- यानि शादी में गाए जाने वाले लोकगीत है । पहले सगाई गीत होता है और यही मरमिंग पाटा कहलाता है। जब वर पक्ष को भावी वधु की जानकारी मिलती है तो वर पक्ष शराब लेकर कई बार वधु के यहाँ जाते हैं आजकल यह नियम तीन बार कर दिया गया है। शराब लेकर जाने की रस्म को माहला कहा जाता है। माहला के दौरान जमा हुए महिला पुरूष माहला पाटा यानि सगाई गीत गाते हैं ।
मांडो पाटा यानि मंडापाच्छदन के दौरान गाया जाने वाला गीत । विवाह के लिए तैयार मंडप के बीचो-बीच महुआ की डाल जंगल से लाया जाता है । इसी दौरान गाना गाते हुए महिलाएं जाती है जिसे मांडो पाटा यानि मंडापाच्छदन गीत कहा जाता है।
टूकचोड़ी पाटा यानि चूनमाटी ये मजाक के लहजे में गाया जाने वाला गीत है। विवाह की रस्म के लिए गोठान से मिट्टी लाने के दौरान इस गीत को गाया जाता है।
करसामांडिल पाटा यह गीत कलश स्थापना के दौरान गाया जाता है। इसमे विवाह के निर्विघ्न सम्पन्न कराने के लिए देवताओं का आव्हान किया जाता है ।
ऐर मिहान पाटा यानि पानी डालने के लिए गाया जाने वाला गीत । मंडप में दुल्हा दुल्हन को चटाई पर बिठाकर उनके ऊपर पानी डाला जाता है और देवताओं से आव्हान किया जाता है कि वे इस विवाह की साक्षी बनें ।
नी तरहीना पाटा बस्तर में विवाह की एक रस्म होती है जिसे तेल चढ़ाना कहते हैं । इस रस्म में गाया जाने वाले गीत को नी तरहीना पाटा कहा जाता है।
जोड़ा पाटा आदिवासी समाज में विवाह का पूरा खर्च वर पक्ष को ही उठाना पड़ता है। वर पक्ष को विवाह सामग्री सौपते समय जो गीत गाया जाता है उसे जोड़ापाटा कहते हैं ।
ऐरमिहना पाटा विवाह के दौरान पुजारी वर-वधु पर पानी डालता है और दोनों पक्षों के लोग नृत्य करते हुए यह गीत गाते हैं जिसे ऐरमिहना पाटा कहते हैं।
लगीड़पाटा विवाह के समय लड़के-लड़कियां वर-वधु को कलश की परिक्रमा कराते यह लगीड़पाटा गीत गाते हैं ।
होपे कियान पाटा यानि दुल्हन की विदाई का गीत दुल्हन की की विदाई के लिए उसे भावी जीवन की सीख देते हुए यह गीत गाया जाता है। आजकल फिल्मों में दुल्हन की विदाई के दौरान कई गीत बनाए गए हैं । जिसे खूबसूरती से फिल्माया गया है । बस्तर में इस प्रकार के गीत को होपे कियान पाटा कहा जाता है। होपे कियान पाटा साड़ सौपने का गीत परिपाटा यानि समधि के सम्मान गाया जाने वाला गीत भी विवाह गीतों में आते हैं ।
ज्ञान वर्धक:-
होपे कियान पाटा यानि दुल्हन की विदाई का गीत दुल्हन की की विदाई के लिए उसे भावी जीवन की सीख देते हुए यह गीत गाया जाता है। आजकल फिल्मों में दुल्हन की विदाई के दौरान कई गीत बनाए गए हैं । जिसे खूबसूरती से फिल्माया गया है । बस्तर में इस प्रकार के गीत को होपे कियान पाटा कहा जाता है। होपे कियान पाटा साड़ सौपने का गीत परिपाटा यानि समधि के सम्मान गाया जाने वाला गीत भी विवाह गीतों में आते हैं ।
ज्ञान वर्धक:-
अब आते है उन गीतों के बारे में जो ज्ञान वर्धक होती है । उन्हें सिर्फ ज्ञान या सीख देने के उद्देश्य से गाया जाता है। ऐसे गीतों के बोल उपदेशात्मक होते हैं। इनमें से कुछ हैं
करिहना यानि सीख गीत
इस प्रकार के लाक गीतों में उपदेश दिया जाता है । विवाह के कई अवसरों पर इसी भावी वर-वधु को जीवन का पाठ पढ़ाने के उद्देश्य से गाया जाता है। घोटुल से लड़की को विदा करते समय भी इसे गाया जाता है।
घोटुल पाटा पौराणिक कथा का ही यह रूप होता है। इसमें देवी-देवताओं की उत्पत्ति से लेकर निर्वाण तक की कथा होती है। यह दो या इससे अधिक दिनों तक गाया जाता है।
और अंत में अन्य लोकगीत:-
कुछ अन्य गीतों पर भी गौर करते हैं जो अलग-अलग अवसरों पर गाए जाते हैं । गाँव में वर्षा न होने पर केयना पाटा यानि बुलावा गीत गाते हैं । उदना पाटा बैठक के लिए बुलावा गीत है।
कोड़का पाटा यह त्यौहार गीत है। गिरदा पाटा यानि उल्लास गीत । इसी का उल्टा किलना पाटा यानि रूदन गीत होता है। छेरता पाटा यह गीत छेरका त्यौहार के समय में गाया जाता है।
कोड़का पाटा यह त्यौहार गीत है। गिरदा पाटा यानि उल्लास गीत । इसी का उल्टा किलना पाटा यानि रूदन गीत होता है। छेरता पाटा यह गीत छेरका त्यौहार के समय में गाया जाता है।
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