आपको याद होगा टेलिविजन का वह दौर जब टेलीविजन ब्लैक एंड व्हाईट से रंगीन प्रसारण पर कदम रखने वाला था। तो कई सवाल और शंकाओं के बीच इसे गुजरना पड़ा। एक आम अफवाह यह आ रही थी कि आँखों पर इतना बुरा असर होगा कि इससे आने वाली पीड़ी अंधी हो जाएगीं, तो कुछ ने इसे एक सिरे से नकार दिया था, कि रंगीन टेलीविजन मंहगीं है इसे देखेगा कौन? मगर आज हर घर में केवल रंगीन टेलिविजन ही
नजर आता है , ऐसा ही कुछ अब पेट्रोल - डीज़ल से चलने वाली वाहनों के साथ होने वाला है इसकी एक बड़ी वजह सामने आ रहीं है
बिजली से चलने वाली वाहनें
बाजार में अब बिजली से चलने वाली वाहनें आ चुकीं है । चूंकि पेट्रोल-डीजल के दाम हर दिन आसमान छू रहें हैं तो लोगों का रूझान भी इसकी तरफ बढ़ा है । बीबीसी के अनुसार 2021 में जुलाई तक 1 21 000 से अधिक बिजली से चलने वाले वाहनों की बिक्री हुई और यह 2020 में बिके कुल वाहनों से 2000 ज्यादा हैं ।
2040 तक ये होगा!
और ये भी सच है कि बड़ी कम्पनियां 2040 तक पेट्रोल से चलने वाले वाहनों का निर्माण बंद करने वाली है। और यह केवल इेलेक्ट्रिक गाड़ियां ही बनाएंगीं । एसे में इस बात पर चर्चा करना जरूरी हो जाता है कि क्या खास बात है ऐसे वाहनों की ?
आम आदमी की जगह पर सोचा जाए तो माईलेज महत्वपूर्ण है क्योंकि बैटरी से चलने वाले वाहन आपको केवल 1 रूपये में 1 किमी की यात्रा दे रहें हैं वहीं पेट्रोल से चलने वाले 7 रूपए में 1 किमी दे रहें हैं । और यही वह कारण है जिससे आम आदमी खींचा चला आ रहा है ।
मगर इसमें कुछ झोल हैं।
पहला जानकारों के मुताबिक बैटरी खत्म होने के बाद क्या स्थिति होगी? इसके बारे में निर्माताओं ने कुछ नहीं कहा है । हांलाकि कुछ सालों की बैटरी वारंटी तो है मगर वारंटी के बाद क्या है इस पर निर्माताओं ने अभी तक मौन साध रखा है।
दूसरा पेट्रोल से चलने वाले वाहनों से इसकी कीमत ज्यादा है जो आम आदमी को सोचने पर मजबूर कर रही है।
लागों में आम धारणा यह है कि पेट्रोल में लगने वाले कुल लागत का खर्च यह एक बार में ही ले लेता है।
ये खूबियां भी हैं
माईलेज बढ़िया है। जैसा कि आप जान चुके हैं के 1 रूपए में 1 किमी का सफर देगी । इसके अलावा हर हफ्ते या महिने पेट्रोल की खपत की मार नहीं होगी । आप अपने घर पर ही इसे चार्ज कर सकते है। बहुत जल्द कम्पनियां चार्जिंग पाईट का शहरों में जाल बिछाने जा रही है ठीक उसी तरह जैसे पेट्रोल पंप बने हुए हैं।
इसमें दो प्रकार की चार्जिंग की जाती है एक है स्लो चाजिंग यानि एसी चार्जिंग और दूसरा फास्ट चार्जिंग है जिसे डीसी चार्जिंग कहते हैं।
एक घंटे में डीसी चार्जिंग आपके वाहन को फूल चार्ज कर देता है। जबकि एसी जार्जिंग में 8 घंटे से अधिक का समय लगता है फूल चार्ज होने में कम्पनी आपके घर पर जार्जर लगाकर जाती है।15 एम्पीअर के साकेट से कहीं भी चार्ज हो सकता है।
फुल चार्ज होने पर आपकी बाईक 85 से 95 किमी का सफर तय कर सकती है तो कार से आप 100 तक सफर कर सकते हैं ।टेस्ला की कारें 500 किमी तक एक बार में चार्ज होने के बाद चल सकती हैं।
सर्वेक्षण के मुताबिक भारत दुनियां का पांचवा सबसे बड़ा ऑटो सेक्टर है। जाहिर है माईलेज बढ़ाने और कीमतें कम करने को लेकर कम्पनियां भी गंभीर हैं । आने वाले समय में कुछ अच्छे परिणाम की उम्मीद है।
मगर इसके मंहगे दाम और देखभाल को लेकर कई सवाल है जो आम भारतीयों को सोचने पर मजबूर कर रहा है। भले ही इसे कुछ लोगों के लिए इसे खरीदना स्टेटस सिंबल होगा । मगर भविष्य इसी का ही है। दिन दूर नहीं जब 3315 मोबाईल सेट और पुराने स्कूटरर्स की तरह आज की पेट्रोल-डीजल वाली गाड़ियां सड़कों से लुप्त हो जाए।
एक कारण यह भी है।
टाटा जैसी बड़ी-बड़ी कम्पनियां भी अब बिजली वाली गाड़ियां बनाने की होड़ में हैं। इसके अलावा टीवीएस, बजाज भी बिजली से चलने वालें वाहनों का निर्माण कर रहें है।
बीबीसी के मुताबिक दुनियां के 20 सबसे प्रदुषित शहरों की लिस्ट में 19 शहर भारत में ही हैं इस लिहाज से यह अच्छी बात है कि हम बिजली से चलने वाले वाहनों को अपनाएं ।
जिसमें कान फाड़ने वाली आवाज नहीं है ।