सफेद ब्रेड और ब्राउन ब्रेड में अंतर
आज के समय में अधिकांश घरों में सुबह के नाश्ते के तौर पर ब्रेड खाया जाता है और कुछ लोग इसे सेक कर या कुछ लोग इसमें बटर लगाकर बड़े चाव से खाते है । भारत में इसकी शुरूआत लगभग 3700 ई.पू. से हुई । आज भी इसका उपयोग बदस्तूर जारी है। बच्चे हो या बूढ़े सभी अपनी जरूरत के अनुसार इसका सुबह के के रूप् में उपयोग जरूर करते है।
लेकिन धीरे-धीरे ब्रेड का रूप भी बदला है। लोग सफेद ब्रेड यानि मैदे से बनी ब्रेड का ही उपयोग करते आ रहें हैं । आजकल सफेद ब्रेड के की जगह ब्राउन ब्रेड ले रही है। इस ब्लॉग में इन दोनों ही प्रकार के ब्रेड के गुण दोषों से आपका हम परिचय करवाने का प्रत्यन करेंगें ।
। देखा जाए तो सफेद ब्रेड आज भी प्रचनल में ज्यादा है क्योंकि यह हर व्यक्ति के जहन में इसका स्वाद बसा हुआ है। और साथ में यह प्रत्येक दुकान पर बड़ी आसानी से मिल जाती है। वहीं ब्राउन ब्रेड प्रत्येक दुकान पर आसानी से नहीं मिलती है। और न ही इसके बारे में किसी को पूर्ण रूप से जानकारी है। शायद इसी कारण से आज भी अधिंकाश लोग ब्राउन ब्रेड का उपयोग नहीं करते है। अब दोनो ब्रेड के बारे में जानते है और समझते है कि कौन सा ब्रेड सबसे अच्छा है। पहले हम सफेद ब्रेड की बात करते है।
सफेद ब्रेड ।
सफेद ब्रेड पूर्णतः मैदे से बनता है। परीक्षणों के मुताबिक यह काफी नुकसानदायक होता है। आईए और जानते है क्या है सफेद ब्रेड के नुकसान ।
पाचन क्रिया को नुकसान पहॅचाता है सफेद ब्रेड
इसके नुकसानों की सूचि बहुत लम्बी है वैज्ञानिक अनुसंधान बताते है कि मैदा पेट में जाकर फूल जाता है। आयुर्वेद का भी यही कहना है कि यह एक सीमेंट की तरह पेट में जाकर जम जाता है। और पाचन क्रिया को ठीक से काम करने नहीं देता है। पाचन तंत्र को यह तहस नहस कर देता है। जाहिर है बच्चों के लिए यह काफी हानिकारक होता है। मगर इसके विपरीत आजकल कई अभिभावक इसे अपने बच्चों के टिफिन बॉक्स का अनिवार्य हिस्सा बना चुके हैं । सफेद ब्रेड बनाते समय इससे आटे से चोकर वीट जर्म निकाल दिये जाते है और कलोरिनआक्साईड गैस जैसे यौगिक के साथ इसको रंग किया जाता है। परिणाम स्वरूप सफेद ब्रेड के लगातार सेवन से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो जाती है। नियमित रूप से इसे खाने से मोटापा बढ़ता है।
जानिए :-और किस प्रकार मोटापा बढ़ता है?
इसके अंदर शक्कर का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है जिसके कारण यह मधुमेह के मरीजों के लिए यह हानिकारक है। सफेद ब्रेड खाने से आपको पोषक तत्व नहीं मिलते है और आपको बिमारी जल्दी पकड़ने के आशंका बन जाती है।
ब्राउन ब्रेड
ब्राउन ब्रेड गेंहूॅ से बनता है और इसीलिए इसका रंग ब्राउन होता है। इसे खाने से गेहॅूं से प्राप्त होने वाले पोषक तत्व शरीर को मिलते है। इसमें वीटामिन ई, विटामिन बी-6, मैग्नेश्यिम ,फॉलिक एसीड,जिंक, कॉपर,मैग्नीज़ होता है जो शरीर के लिए फायदेमंद है। इसे बनाते समय गेंहूॅ के चोकर से वीट वर्म नहीं निकाले जाते है। जिससे इसका पोषक तत्व बना रहता है। इस प्रकार ग्लाईसमेटिक इंडेक्स वाले आहार अच्छे होते हैं क्योंकि ये रक्त में शक्कर के स्तर की वृद्धि नहीं करते है। परिणाम स्वरूप मधुमेह या मोटापे का खतरा नहीं होता है।
ब्राउन ब्रेड के इस्तेमाल से शरीर में कोलेस्ट््रॉल लेवल स्थिर रहता है। इसका नियमित सेवन हार्ट से संबंधित बिमारी को भी रोकता है। ब्राउन ब्रेड चूंकि गेहूॅ के तत्वों से बना होता है जिसके कारण गेहूॅ की मात्रा अधिक होने से कम कैलोरी आप लेते है। परिणाम स्वरूप वजन कम करने में मदद मिलती है। वहीं ब्राउन ब्रेड में फाईबर अधिक मात्रा में पाया जाता है। जिसके कारण हमारे शरीर को एक साथ कई प्रकार के पोषक तत्व मिलते है जो कि स्वास्थ्य के लिए लाभ दायक होते है।
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ब्राउन ब्रेड एक मोटे अनाज से बनने वाला ब्रेड है । मोटा अनाज शरीर के लिए फायदे मंद होता है। इससे आपको बार-बार भूख भी नहीं लगती है। इसे खाने से ब्लड प्रेशर भी नियंत्रण में रहता है। साबूत अनाज हमारे दातों और मसूढ़ों के लिए काफी फायदेमंद बताया गया है यह दांतो को सड़ने से भी बचते है।
ब्राउन ब्रेड खरीदते समय क्या देखें ?
यह एक अच्छा सवाल है कि ब्राउन ब्रेड खरीदते समय उपभोक्ता किन चीजों को पैकेट पर देखें ? हम बता दें कि ब्राउन ब्रेड के पैकेट में निम्न बातों का लिखा होना जरूरी है।
पहली बात होल मील फ्लोर और होल वीट फ्लोर लिखा हुआ होना चाहिए।
केरेमल लिखा हुआ हो तो वापस कर देवें क्योंकि इससे ये पता चलता है कि इससे रंग किया गया है।
और ब्राउन ब्रेड का पैकेट किसी अच्छे दुकान या बेकरी से ही खरीदें क्योंकि उक्त बातों के अलावा भी एक महत्वपूर्ण बात यह है कि पैकेट नर्म हो तो ब्रेड की ताजगी का पता चलता है। तो इस तरह ब्राउन ब्रेड के फायदे और और सफेद ब्रेड की नुकसान की जानकारी तो आपको मिल ही गई होगी।
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