सोने शुद्धता ऐसे परखें
नकली हीरे, खोटे सोने के आभूषण और चांदी के नाम विभिन्न प्रकार की धातुओं को मिलाक संभवतः पूरे देश में बेचा जा रहा है, इसमें खासतौर पर चांदी के बर्तन एवं सिक्के खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखें इस बात की जानकारी देने के लिए हम ये ब्लॉग आप तक पहुँचा रहें है।
उपभोक्ता इन कीमती चीजों और आभूषणों को खरीदने के लिए अति उत्साहित हो जाता है और अंततः ठगा ही जाता है अभी हाल में देश के अनेक समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हॉलमार्क सोने को छोड़, स्थानीय तौर पर हर ज्वैलर्स के यहां से खरीदी गई ज्वैलरी में 30 से 45 प्रतिशत तक खोट हो सकती हैं, इसका मूल कारण ग्राहकों में जागरूक्ता की कमी है।
आज भी देश के 5 प्रतिशत लोग कैरेट क्या है ?
यह भी नहीं जानते हैं, हीरा, सोना, चांदी एवं अन्य रत्नों के नाम पर लूट के सबसे बड़े अवसर हैं दीपावली, धनतेरस एवं अक्षय तृतीया जैसे पर्व, इन अवसरों पर पूरे देश में सराफा व्यापारी मनमोहक विज्ञापनों के जरिये लोगों को आकर्षित करते हैं फिर जमकर लूटते हैं।यह लेख सुधि पाठकों को इस लूट की विस्तृत जानकारी देने के आशय से है। हम शुक्रगुजार है ! बस्तर अंचल के वरिष्ठ पत्रकार रविदुबे जी का जिन्होंने ने पड़ताल कर ये जानकारी हम तक पहॅुचाई है। खासतौर पर सोने के जेवरातों में नकली हीरे जड़ कर अधिकांश दुकानदार वनटू का फोर जैसे कारनामे करके अपनी जेबें भर रहे हैं।
क्या होता है जब हम सोना बेचना चाहते है ?
दर्जनों उपभोक्ताओं से चर्चा के दौरान जो बातें सामने आईं उनमें प्रमुख रूप से यह समस्या आई कि अगर अपने शहर से खरीदा सोना कभी मुसीबत में बाहर बेचना पड़े या तो उसे गलवा के ही उसकी कीमत पाई जा सकती है या फिर Gold Testing Machine में जांच के बाद ही उचित राशि मिल पाती है और इस प्रकिया में सोने का वजन घटक 30 से 40 प्रतिशत कम हो जाता है, जिसके फलस्वरूप उपभोक्ता को खरीदे गये आभूषण की मूल कीमत भी वापस नहीं मिल पाती।
सोचिये जब इस तरह का हाल शहर वासियों का है तो आदिवासी, ग्रामीण क्षेत्रों में अशिक्षित लोगों को चांदी के नाम पर क्या कुछ नहीं थमाया जाता है।
खास त्यौहारों पर सर्वाधिक बिक्री चांदी के बर्तनों और सिक्कों की होती है जिसमें अधिकांश सराफा व्यापारी कम से कम टंच का माल या फिर गिलट का माल बेचक अमीर बनते चले जा रहे हैं, वहीं सेलटैक्स एवं इन्कम टैक्स जैसे विभाग इन सब की किसी भी छोर से जांच नहीं कते यहां तक कि सोने ओर हीरे के शोरूम का टर्नओवर देखकर संबंधित विभागों के अफसरों की ऑखें खुल सकती हैं, पर ये नहीं खुलती जबकि पक्के बिल की जगह कच्ची इस्टीमेट पर्ची देकर अपना पल्ला झाड़ लेते है।
भारत शासन के पूर्व मंत्री रामविलास पासवान ने यह बात जरूर कही थी कि जल्द ही सोने के ऊपर एक बुकलेट तैयार की जायेगी जो समस्त जानकारी सहित सभी सराफा दुकानों में ग्राहकों के लिए उपलब्ध रहेगी पर अभी तक किसी भी सराफा दुकान में किसी उपभोक्ता को कोई ऐसी बुकलेट देखने में नहीं आई हैं।
क्या आप जानते है कैरेट क्या है?
100 प्रतिशत शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है, इस बात की सुनी सुनाई जानकारी तो जन साधारण के पास है परंतु इसकी विस्तृत जानकारी आज भी नहीं हैं।्
कैरेट की गणना प्रकिया कुछ ऐसी है, 100 प्रतिशत में 24 का भाग देने पर 4.16 आता है जो कैरेट कहलाता है, अगर 4.16 का गुणा 23 से करने पर 95.68 प्रतिशत सोना होता है वह 23 कैरेट का होता है। अगर 4.16 का 22 से गुणा कने पर 91.52 प्रतिशत सोना होता है जो 22 कैरेट होता है।
वहीं सोने के आभूषण 100 प्रतिशत सोने के नहीं होते जिसका मूल कारण है कि आभूषण निर्माण के समय सोने से सोने को जोड़ा ही नहीं जा सकता अतः कुछ अंश अन्य धातु मिलाया जाना आवश्यक हो जाता है।अतः आपको आभूषण लेते समय जितनी मात्रा सोने की होने बाबत जानकारी दी जाती है उसमें शेष अंश तांबा ही रहता है जैसे 22 कैरेट के सोने में या 22 कैरेट के जेवर में 91.52 प्रतिशत सोना रहता है और शेष 8.48 प्रतिशत तांबा रहता है। याद रखिये 22 कैरेट से कम मात्रा सोने की होने से निर्मित होने वाले जेवरातों में धोखाधड़ी की गुंजाइश सबसे अधिक होती है।
बिल लेना क्यों जरूरी है?
सर्वप्रथम सोने का बाजार भाव देखें और हमेशा पक्का बिल लें याद रहे पक्के बिल में अतिरिक्त कुछ नहीं देना पड़ता लेकिन दुकानदार कई तरह से ग्राहक को गुमराह करता है।
कम से कम 92 प्रतिशत सोने की गारंटी के साथ ही हस्ताक्षर युक्त बिल लें।याद रहे सोने के जेवरात बनवाने में बनवाई नहीं देना चाहिये क्योकि 8 प्रतिशत मात्रा कम होने पर दुकानदारों को 1800 से 2300 रूपए तक प्रति 10 ग्राम में नगद बच जाते हैं, यही राशि ग्राहकों से उनका मुनाफा और बनवाई होती है, फिर भी अगर शक हो तो जेवरात की Gold Testing Machine से जांच का लेनी चाहिये।
Gold Testing Machine
यह मशीन सोने की शुद्धता की जांच करती है, छत्तीसगढ़ में इस मशीन के उपलब्ध होने बाबत जानकारी अभी तक नहीं है।किसी प्रतिष्ठान के भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होने पर ही वहां यह मशीन स्थापित की जाती है।महानगरों के अलावा यह मशीन अनेक राज्यों के बड़े शहरों में लगी है, इस मशीन से प्रति 10 ग्राम की शुद्धता 50 रूपये देकर परखी जा सकती है
साथ ही मशीन में आभूषणों को रखकर उसमें सोने की मात्रा एवं अन्य धातुओं की मात्रा सामने आ जाती है।पर खेद की बात है हर प्रदेश में दर्जनों करोड़पति सराफा व्यापारी हैं पर इस मशीन को स्थापित करने में अपनी रूचि नहीं दिखाते कयोंकि उनकी धारणा यह है कि यह कदम अपने ही पैरों में कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा।
सोना खरीदने और बेचने पर टैक्स सोने की बिक्री पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है। तीन साल से पहले सोना बेचने पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगेगा। और तीन के बाद बेचने पर लॉग टर्म टैक्स की देनदारी बनेगी।
इन्हें भी जाने
भारत सरकार की अधिसूचना 15 जनवरी 2020 के मुताबिक सरकार ने हर सोने के आभूषणों या कलाकृतियों पर बीआईएस हॉल मार्किंग अनिवार्य कर दी है। 2021 से अनिवार्य कर दिया गया है बिना बीआईएस मार्किंग के बेचने पर एक लाख का जुर्माना या एक साल की सजा हो सकती है। या जुर्माने के तौर पर पांच गुना सोना चुकाना पड़ सकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में तथा अंदरूनी इलाकों के निवासी आमतौर पर निश्चित तिथि को भरने वाले निकटवर्ती बाजार स्थल को ही अपने इलाके का सबसे महत्वपूर्ण वाणिज्यक केंद्र मानते हैं। ऐसे बाजारों में भोले-भाले ग्रामीणों एवं आदिवासियों को ठगी का शिकार बनाने में आभूषणों के व्यापारी अंत्यंत चतुराई के साथ चांदी के स्थान पर गिलेट और सोने के स्थान पर सोने की पॉलिश वाली जेवरात इन गरीबों को थमाकर उनकी जेबें खाली कर रहे हैं।धोखाधड़ी के इस अबाध व्यापार पर अंकुश लगाने की दिशा में शासन, प्रशासन एवं अन्य संबंधित विभागों की ओर से समुचित पहल समय की पहली जरूरत है।
आलेख-रविदुबे
संम्पादक-सक्षम साक्षी