बस्तर के सेमरा में बस्तर के वनोपज का सही मूल्य, रोजगार और बाजार उपलब्ध कराने की गरज से एक फूड प्रोसेंसिंग यूनिट का उद्द्याटन किया गया है ।
बस्तर में बने ट्राईफूड पार्क जो ट्राईफुड योजना खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, जनजातीय मामलों के मंत्रालय और ट्राईफेड यानि ट्राईबल कोपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन आफ इंडिया की एक संयुक्त पहल है। इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ के जगदलपुर और महाराष्ट्र के रायगढ़ में लगभग 11 करोड़ रुपये की लागत से एक तृतीयक दर्जे का मूल्य संवर्धन केंद्र स्थापित किया जा चुका है। इसका विधिवत जनजातिय मंत्री ने उद्द्याटन किया है । ट्राईफेड क्या है? इसका फुल फार्म ट्राईबल कोपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन आफ इंडिया है ।
बस्तर में बने ट्राईफूड पार्क जो ट्राईफुड योजना खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, जनजातीय मामलों के मंत्रालय और ट्राईफेड यानि ट्राईबल कोपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन आफ इंडिया की एक संयुक्त पहल है। इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ के जगदलपुर और महाराष्ट्र के रायगढ़ में लगभग 11 करोड़ रुपये की लागत से एक तृतीयक दर्जे का मूल्य संवर्धन केंद्र स्थापित किया जा चुका है। इसका विधिवत जनजातिय मंत्री ने उद्द्याटन किया है । ट्राईफेड क्या है? इसका फुल फार्म ट्राईबल कोपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन आफ इंडिया है ।
ट्राइफेड की स्थापना अगस्त 1987 में बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 1984 के तहत भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर के सहकारी निकाय के रूप में की गई थी।
ट्राईफेड का काम है कि लघु वन उत्पाद (MFP) और अधिशेष कृषि उत्पाद (SAP) के व्यापार को संस्थागत रूप देकर देश के आदिवासियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के बारे में बताना या विकास करना ।
ट्राईफेड का काम है कि लघु वन उत्पाद (MFP) और अधिशेष कृषि उत्पाद (SAP) के व्यापार को संस्थागत रूप देकर देश के आदिवासियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के बारे में बताना या विकास करना ।
बात करते हैं बस्तर में बनने वाले फूड पार्क( Food Park Bastar )की , अगर सबकुछ ठीक ठाक रहा तो यहां भारत एक सबसे बड़ा ट्राईबल फूड प्रोसेसिंग यूनिट बनकर तैयार हो जाएगा । जो अपने आप में एक दर्शनीय केन्द्र बनेगा। हालांकि जिला प्रशासन के मुताबिक 15 अक्टूबर से यह फूड पार्क बकायदा बस्तर वासियों को लाभ देने लगेगा।
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खैर बात करते हैं ट्राईफूड पार्क की यह एक फूड प्रोसेसिंग यूनिट होगा । जो ट्राईफेड के मुताबिक तृतीय श्रेणी का होगा।
क्या है प्रोसेसिंग यूनिट?
इस प्रकार के यूनिट यानि इकाई में उपलब्ध खाने-पीने की चीज़ों को तकनीकी का इस्तेमाल करके साल भर के लिए खाने योग्य बनाया जाता है। और हमें 12 महीने बस्तरिया खाने-पीने की जीचें मिलेगी।
सभी चीज़े मिल जाएगी। ट्राईफेड स्वसहायता समूह के माध्यम से आम जनजातियों को प्रशिक्षित करने में लगा है।
कितने प्रकार के खाद्य पदार्थों को शामिल किया गया है?
इसमें महुआ, कोदो, कुटकी से लेकर ईमली जैसे बस्तर में उपलब्ध 30-40 प्रकार के वनोपजों को शामिल किया गया है। जिसकी प्रोसेसिंग, मार्केटिंग की जाएगी। इसमें बस्तरिया बेरोजगार, और वनधन समिति के सदस्य काम करेंगें। इन वनोपजों को ट्राईफेड समर्थन मूल्य पर खरीदेगा और देश और विदेशों में भी इसकी बिक्री की जाएगी।
प्रोसेसिंग यूनिट की परिकल्पना 22 साल पहले की जा चुकी थी । 26 एकड़ में फैले इस इकाई में आपको प्रशासनिक भवन, प्रोसेसिंग यूनिट, यूटिलिटी और पैकेजिग सेंटर देखने को मिलेगें । अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक इस यूनिट में 2000 हजार लोग काम करेंगें।
यह सब देखने समझने के लिए हमें 15 अक्टूबर तक इंतेजार करना होगा।
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