बस्तर के नायक
दूसरी घटना पर अगर हम गौर करें तो कुछ दिनों पहले सुकमा जिले के बालक सहदेव विरदो को जब पाप सिंगर बादशाह ने दिल्ली बुलाया तो रातों रात सहदेव स्टार बन गया । फिर क्या था? Social Media से लेकर प्रिंट मिडिया ने इस बच्चे को इंडियन आयडल घोषित कर दिया । मुख्यमंत्रीजी प्रभारी मंत्री कवासी लखमा के साथ इसको बधाई देते दिखे। सहदेव की उपलब्धि है कि उसने अपने तुतली जुबान में अपने स्थानीय लहजे से बचपन का प्यार गाना गया है ।
बातें नागवार गुजरी हैं
इसमें हमें आज तक समझ नहीं आया कि उपलब्धि क्या है? जहां तक गाने की बात है तो ऐसा गाना उस उम्र के हर बच्चे गाते हैं । बच्चा अगर कोई कठिन मंत्रोच्चार करता या शास्त्रीय रागों पर आधारित कोई राग गाता तो समझ में आता है कि बच्चे ने कोई कमाल किया है । उसने तो बस एक फूहड़ और बेषर्मी से भरा गीत गाया है जो पहले ही गाया जा चुका था। वैसे तो आपने इस गीत को कई बार सुना होगा ।
बस्तर की पहचान क्या है?
हमारे कहने का तात्पर्य है कि समाज किस दिषा में जा रहा है। क्या फुहड़ता ही आज की अच्छी कला की पहचान है। नहीं बिलकुल नहीं बस्तर की पहचान इसकी लोक संगीत और नृत्य और संस्कृति है जिसका अवलोकन करने देष विदेष के कोने कोने से लोग आते हैं। मगर इस घटना से तो लगता है इसमें कथित आधुनिकता की गंदगी आती जा रही है। क्या यही विकास है? क्या ऐसे बस्तर के विकास का सपना हमारे नेता देख रहें हैं।
बस्तर के चंद्रू ने जब स्वीडन की फिल्म में काम किया था तो उसपर लिखी किताब बेस्ट सेलर बनी थी और फिल्म को ऑस्कर में नॉमिनेट किया गया था।
वह स्वीडन 1959 के दरम्यान आधुनिक जीवन शैली को करीब से देखा। और उसे टाइगर बॉय के रूप में उसे पूरी दुनियां में ख्याति मिली थी ।
नैना धाकड़ एवरेस्ट फतह कर बस्तर का मान बढ़ाया विश्व के नम्बर वन शेफ रामसे बस्तर में आकर चापड़ा चीटी की बनी चटनी की रेसपी ले कर गए हैं और आज विष्व के चोटी के होटलों में इसे परोसा जा रहा है। यह बस्तर की ही देन है। ये तो सभी जानते हैं कि चपाड़ा चटनी बस्तर में प्रायः हर आदिवासी बनाता है । विष्व पटल पर चापड़ा चटनी के आने से बस्तर का ही मान बढ़ा है
हमारे बस्तर में ऐसे अनेक उदाहरण हैं जो बस्तर को एक अंतराष्ट्रीय पहचान देते हैं । चंद्रू और चापड़ा चटनी इनमें से एक है।
इंडियन आइडल में रमनदीप सिंह ने ड्रम बजा कर बड़े-बड़े कलाकारों को संगत दिया तो सबने दांतों तले उंगली दबा ली। रमनदीप सिंह को यूट्यूब ने भी पुरस्कृत किया है।
अब सहदेव की बात करें तो इसमें कुछ ऐसा दिखाई नहीं देता कि उसे स्टार का दर्जा दिया जाए । अपनी तोतली जुबान में बस एक गाना ही गाया है जो उस उम्र में दुनियां का हर बच्चा गाता है। रही बात पाप सिंगर द्वारा उसे दिल्ली बुलाने की तो यह कोई ऐसी घटना नहीं है कि इसे महिमा मंडित किया जाए । उसकी अपनी पंसद है जो बच्चे तक खींच लाई। खैर अभी तक बस्तर टाकीज के मुताबिक उसे एक मोबाईल और बादषाह से सवा लाख का ईनाम ही मिला है।
और कोई भी संगठन बच्चे को इनाम स्वरूप कुछ देते दिखाई नहीं दिए न ही कोई भेंट में कुछ दिया । बस बच्चे की आड़ में अपना राग ही अलाप रहें हैं। इंडियन आईडल ने अपने टीवी शो में बच्चे से कलाकारों के बीच उसे गाना गवा कर अपनी टीआरपी सेंक ली। ऐसे ही एक नायक थे शहीद गुण्डाधुर जिसने 1910 के विप्लव में अपने साथियों के साथ अंग्रेजों से लोहा लिया था ।