युद्ध में स्वयंसेवकों ने पाकिस्तानी सैनिकों से मुकाबला किया और मातृभूमि के लिए अपना बलिदान दिया ।और कोविड के दौरान भी आरएसएस के कार्यों को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।
दरअसल आर.एस.एस यानि राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ की जो आम छवि है वह यह है कि ये कट्टर हिन्दु संघठन है जबकि इसकी आधिकारिक वेबसाईट rss.org में यह स्पष्ट कहा गया है कि यह भारतीयों का संगठन है इसमें भारत में रहने वाले कोई भी नागरिक इस संघ का सदस्य बन सकता है । संघ का कहना है कि किसी कारणवश धर्म बदलने से दृष्टि या सोच नहीं बदल सकती । अतः ये भारतीयों के लिए बना है। कोई भी भारतीय इसका सदस्य बन सकता है।
इसकी अधिकारिक वेबसाईट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संघ में प्रयुक्त हिन्दु शब्द का प्रयोग उपासना,पंथ या मजहब के नाते नहीं हुआ है ।
आरएसएस के अनुसार हिन्दु एक जीवन दृष्टि है । इस सोच पर सुप्रीम कोर्ट ने भी अब तो मुहर लगा दी है।
आरएसएस विष्व की बड़ी संगठनों में एक है । वर्तमान में इसके 156 देशों में 3289 ब्रांच हैं और भारत में 50000 स्थानों पर इसकी शाखाएं हैं।
खास बात यह है विदेशों में हिन्दु स्वयं सेवक संघ के नाम से जाना जाता है। भारत में इसकी एक शाखा राष्ट्र सेविका समिति के नाम पर भी है जिसे महिला सदस्य संचालित करती हैं । यह 1936 में बना है जिसे महाराष्ट्र की वर्धा में लक्ष्मीबाई केल्कर ने स्थापित किया ।
तीन बार प्रतिबंध
एसे संघ पर तीन बार प्रतिबंध भी लगाया जा चुका है। और निरपराध साबित होने पर प्रतिबंध हटाया भी गया है।
पहली बार जब महात्मा गांधी की हत्या हुई तो हत्यारे नाथूराम गोड़से को कथित तौर पर आरएसएस का स्वयंसेवक बताया गया था । मगर जांच में ये साबित हो कि जिस वक्त महात्मा गांधी की हत्या हुई गोड़से आरएसएस का सदस्य नहीं था उसने 1946 में ही आरएसएस से सदस्यता छोड़ दी थी । आगे चलकर 18 महिने के प्रतिबंध के बाद आरएसएस पर सरदार पटेल ने प्रतिबंध हटा दिया ।
दूसरी बार आरएसएस पर प्रतिबंध उस समय लगा था जब देश में आपतकाल लगा था । फिर दो साल के बाद यह प्रतिबंध हटा दिया गया ।
तीसरी बार 1992 को बाबरी मस्जिद ढाहाने के बाद आर एसएस पर प्रतिबंध लगाया गया । और छः महिने के बाद इसे हटाया गया ।
हर बार आरएसएस का देश के प्रति समर्पण और लोगों प्रति सेवा भाव के कारण ही लगाया गया प्रतिबंध हटा दिया गया ।
चाहे उड़िसा के चक्रवात से पैदा हुई तबाही , 1984 में भोपाल गैस कांड की विभिषिका, 1984 के सिख दंगे, गुजरात में भूकंप, 2004 की सूनामी, 2013 की उत्तराखण्ड की प्राकृतिक आपदा - हर मुष्किल में आरएसएस ने अपनी सेवाएं निस्वार्थ भाव से दी है ।
ये भी जानिए
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, गृहमंत्री व उप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी, प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविद, उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू संघ के की स्वयंसेवक थे।
आरएसएस के संस्थापक कौन थे ?
विचारक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी केशव बलिराम हेडगेवार 27 सितंबर 1925 विजय दशमी को नागपुर में के 17 लोगों को जोड़कर किया था।
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि इसकी शुरूआती में की जाने वाली प्रार्थना है।
आरएसएस के ही ये अंग हैं -
भारतीय किसान संघ किसानों के हित के लिए काम करता है।
भारतीय मजूदर संघ देश का सबसे बड़ा मजदूर संगठन है।
राष्ट्रीय सेवा भारती ग्रामीणक्षेत्रों में, जंगलों में रहने वालों को मुफ्त शिक्षा के लिए काम करती है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एक विद्यार्थी संगठन है। यह ज्ञान, शील और एकता के मोटो पर काम कर रही है।
स्वदेशी जागरण मंच स्वदेशी उत्पाद, और घरेलु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है।
सरस्वती शिशु मंदिर
सरस्वती शिशु मंदिर जो आरएसएस से ही संबद्ध है -विद्याभारती के अंतर्गत संचालित की जाती है । इसकी स्थापना 1953 में हुई । देश भर में इसके 25000 स्कूल और कॉलेज हैं । जिसमें 45 लाख बच्चे पढ़ रहें हैं जिन्हें भारतीय मूल्यों और आर्दशों का की भी शिक्षा दी जा रही है। विद्यालयों को सरस्वती शिशु मंदिर या सरस्वती विद्या मंदिर कहते है।
वैसे ही वनवासी कल्याण आश्रमों में ग्रामीण क्षेत्रों और घने जगलों में रहने वाले शिक्षा प्राप्त कर रहें है। विश्वहिन्दु परिषद धर्म रक्षित रक्षितः (जो धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी रक्षा करता है । ) के आर्दशों पर काम कर रही है। इसकी स्थापना स्वामी चिन्मया नन्द , एस.एस. आपटे और मास्टर तारा सिंह ने की 1964 में की ।भारत की एकता, सुरक्षा, सांस्कृतिक मूल्यों का संर्वधन आदि उद्देश्यों को लेकर स्वदेशी जागरण मंच बना है। भारतीय मजदूर संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय किसान संघ,अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत और सहकार भारती की मौजूदगी में दत्तोपंत ठेंगड़ी की मौजूदगी में स्वदेशी जागरण मंच बना 22 नवम्बर 1991 में बना ।
विद्या भारतीय अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान जिसे संक्षेप विद्याभारती कहा जाता है। यह 1977 में अस्तित्व में आया ।
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का एक मुस्लिम संगठन भी है जिसे मुस्लिम राष्ट्रीय मंच कहा जाता है । इसकी स्थापना 2002 में हुई ।
बजरंग दल इसकी स्थापना 1 अक्टूबर 1984 को उत्तर प्रदेश में हुई
इसके अलावा विष्व संवाद केन्द्र, राष्ट्रीय सिख संगत, हिन्दु जागरण मंच, विवेकानन्द केन्द्र भी इसके प्रमुख संगठन हैं ।
योगदान क्या है?
आरएसएस के योगदान की गणना नहीं की जा सकती प्रारम्भ से आरएसएस ने देश को अपनी अमूल्य सेवाएं दी है और आज भी दे रहा है। कुछेक सेवाओ का जिक्र मैने शुरूआत में किया था और इसके बाद ये भी हैं
कश्मीर विलय के समय महाराज हरिसिंह तय नहीं कर पा रहें थे कि करना क्या है? सरदार पटेल गुरू गोलवलकर से मिले। गुरूजी श्रीनगर पहुँच कर महाराजा से बात की ,बाद में महाराजा ने विलय का प्रस्ताव पत्र नेहरू जी को भेज दिया ।
21 जुलाई 1954 को दादर से पूर्तगालियों को भगाया 28 जुलाई नरोली , फिपारिया और सिलवासा मुक्त कराया इस प्रकार 2 अगस्त 1954 को भारतीय झंडा वहां लहलाया ।
वर्तमान की बात करें तो कोविड में राहत कार्य, उड़िसा चक्रवात में राहत भोपाल गैसे त्रासदी में राहत कार्य , हर प्राकृतिक आपदा गुजरात भूकंप, सुनामी, कारगिल युद्ध में घायलों की सेवा । राष्ट्रीय आपदा में हमेशा आगे रहकर काम किया ।
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