एक जमाने में टेलीफोन और मोबाईल स्टेटस सिंबल माने जाते थे आज की तरह हर हाथ में मोबाईल और कम्प्युटर का इतना चलन नहीं था। मै 1984 के पहले की भारत के बारे में कह रहा हूँ ।
सूचना तकनीक
राजीव गांधी (Rajiv Gandhi)को सूचना तकनीक का पिता कहा जाता है। उन्हें डिजिटल भारत का निर्माता भी कहा जाता है । जाहिर है उन्होने भारत को डिजीटाईज करने की शुरूआत थी और उनकी सोच ठीक वैसी ही थी जैसे आज हम देश की तस्वीर डिजीटल दुनियां में देख रहें हैं।
आपको याद होगा एक जमाने में पीसीओ हर शहर और गांव में थे जिसने पूरी दुनियां को जोड़ रखा था । कुछ बटन दबाते ही हम अपनों से पल भर में जुड़ जाते थे। उनकी पत्र लेखन से लोग अलग हो रहे थे ।
कैसे किया ये चमत्कार
सी-डॉट यानि सेटर फार डेवलपमेंट टेलीमेट्रिक्स की स्थापना अगस्त 1984 में की गई। जिसने भारतीय दूरसंचार का एक जाल पूरे देश में बिछा दिया । तकनीकी रूप से सीडॅा ट ने संचार व्यवस्था को दुरस्त किया ।
पूरे देश में टेलीफोन की दरों में कमी लाई गई जिससे आम आदमी टेलीफोन सेवा का लाभ ले सकते । संचार क्षमता का विकास किया गया इसके लिए 1986 में महानगर टेलीफोन निगम की स्थापना की गई ।
सैम पित्रोदा राजीव गांधी के सलाहकार थे उनके साथ राजीव गांधी ने छ और प्रौद्यिगिकी और तैयार किया वे थे टीकाकरण, पानी, दूरसंचार, साक्षरता,डेयरी, और तिलहन से संबंधित।
कम्पयुटरीकृत भारत
विज्ञान और तकनीकी पर आधारित उद्योग खूब बढ़ावा दिया । इससे पहले बैंकों में भी सारे हिसाब किताब लिखकर में किए जाते थे। रेल्वे में कम्प्युटरीकृत टिकिट की शुरूआत हुई । स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा को शामिल किया गया। हर उद्योगों को कम्प्यूटरीकृत किया गया ।
मतदान की आयु सीमा
पहले यह 21 वर्ष थी। राजीव गांधी की ये सोच थी कि युवाओं मजबूत बनाया जाए । इसी उद्देश्य के लिए संविधान में 1989 को 61 संशोधन किया गया । जिसमें यह प्रावधान किया गया कि मताधिकार 21 से घटाकर 18 वर्ष हो। इससे युवाओं को 18 वर्ष में ही सांसदों और विधायकों को चुनने का अधिकार मिल गया ।
पंचायती राज
राजीव गांधी चाहते थे गांवों का विकास हो और लोग अपने गांव के बारे में स्वयं सोचें । इसीलिए पंचायती राज की सोच को अंजाम दिया गया । इससे सत्ता के विक्रेन्द्रिकरण में सुविधा होने लगी। हालांकि, राजीव गांधी की हत्या के एक साल बाद 1992 में सविधान के 73 वें और 74 वें संशोधन में पंचायती राज देश में लागू हुआ। मगर इसकी नींव राजीव गांधी ने ही रखी थी।
जवाहर नवोदय विद्यालय
राष्ट्रीय शिक्षा नीति यानि एनपीई की घोषणा 1986 में हुई । जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के रहने वाले प्रतिभाशाली बच्चों को मुफ्त शिक्षा का प्रावधान रखा गया। जिसके तहत देश भर में जवाहर नवोदय विद्यालय की नींव रखी गई । आज भी यह जारी है। आज देश भर में 661 जवाहर नवोदय विद्यालयों की मंजूरी मिली है। जो 638 जिलों में स्थित हैं।
राज्य सरकार की आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल इसी से प्ररित हैं ।
जब राजीव गांधी की हत्या हुई वे 46 साल के थे । 21 मई 1991
अल्पसमय में देश को नई दिशा देने के लिए राजीव गांधी का देश सदैव कृतज्ञ रहेगा।