मै आजादी केे बाद बस्तर जिले से छपने वालें अखबारों और उनसे जुड़े लोगों के बारे में चर्चा करना चाहता हूँ। फिलहाल आप तक जो बातें मै बता रहा हूँ इसकी विस्तृत चर्चा उस दौर के पत्रकारों और साहित्यकारों से मिलकर मैने की है। जिनके नाम का उल्लेख मै कर रहा हूँ । हमारे लिए यह भी जानना जरूरी हो जाता है जब अखबार यहाँ रायपुर से आया करते थे और किन मुश्किलों से खबरों को छपने के लिए बस्तर से रायपुर भेजा जाता था? पैडल वाली प्रिंटिंग पे्रस हुआ करती थी जहां से बस्तर की पत्रकारिता ने करवट ली।
पुराने बस स्टैण्ड में एक छोटे से कमरे में प्रेस हुआ करता था। वहीं पर एक अखबार अंगारा का प्रकाशन हुआ करता था, इसके बाद यह अखबार अपनी निरंतरता कायम नहीं कर पाया । बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार और हिन्दसत के संपादक दिलशाद नियाजी बताते हैं कि इस अखबार के संपादक कृष्णकुमार "कुमार" थे। जबकि वरिष्ठ पत्रकार एस करीमुद्दीन के मुताबिक इस अखबार की स्थापना 1950 में हुई थी । जब मुझे ये प्रतियां करीममुद्दीन सहाब ने दिखाया तो मुझे इसकी खासबात यह नजर आयी कि यह हल्बी बोली और हिन्दी भाषा में छपता था।
वरिष्ठ पत्रकार एवं सक्षम साक्षी के सम्पादक रवि दुबे के मुताबिक कोपलों के स्वर और जगार नामक पत्रसमूह भी बस्तर में चले जिन्हें भरत बघेल निकाला करते थे वे भरत बैचन के नाम से प्रसिद्ध थे । लाला जगदलपुरी अंचल के प्रसिद्ध साहित्यकार जिनके नाम पर आज बस्तर में जिला ग्रंथालय है वे भी बस्तरिया नामक साप्ताहिक समाचार पत्र के संपादक थे और इसी पेपर के प्रधान संपादक तुषार कांति बोस थे । अंगारा और बस्तरिया समाचार पत्रों की खासियत यह रही कि यह हल्बी और हिन्दी दोनों में छपता था।
उन दिनों को याद करते अंचल वरिष्ठ पत्रकार एस करीमुद्दीन कहते हैं कि बस्तर में उस वक्त खबरों को हम पत्रकार कम ही तवज्जो देते थे खबरों को हाईलाईट करने की बजाय बस्तर अंचल में फैली समस्याओं को ज्यादा हाईलाईट कर समाचार लिखते थे ।
उस वक्त के पत्रकारों के बीच बनी आम राय के मुताबिक बस्तर के प्रथम पत्रकार डीएस शर्मा थे । वे दंतेवाड़ा में रहते थे।
पीटीआई रविशंकर वाजपयी समाचार भारती गुरूदर्शन सिंह पोला और हिन्दुस्तान समाचार को बाबूराव देखते थे। और रायपुर से आपने वाले चार अखबार थे नवभारत, देशबंधु, महाकोशल और युगधर्म
कांकेर से बंशीलाल और दंतेवाड़ा के डा सोमारूराम परगनिया थे। और आज पिल्ले हैं । पत्रकारिता के अगले पड़ाव में एस मण्डावी आदिवासी पत्रकार के तौर पर अपनी बड़ी पहचान बनाई । फिर डाॅ सतीष जैन जो नवभारत के पत्रकार थे। सुधीर जैन भी काफी समय से नवभारत के पत्रकार थे बाद में वे जब दैनिक भास्कर अखबार आया तो वे भास्कर के जगदलपुर प्रमुख बने और वर्तमान में वे नवभारत के जगदलपुर में प्रमुख है।इस तरह आधुनिकता की तरफ बस्तर पत्रकारिता बढ़ती रही ।अपडेट किया गया 25 मई को
बस्तर में पत्रकारिता ने एक और इतिहास रचा है ।
1982 में पोला जी अध्ययक्ष थे 1988 के चनाव में उमाशंकर शुक्ला विजयी होकर पत्रकार संघ के अध्ययक्ष बने । इसके बाद चुनाव नहीं हुए फिर तत्कालीन प्रत्रकार संघ के अध्ययक्ष उमाशंकर शुक्ला की सहमति से 2008 में नई कार्यकारणी का गठन हुअ था। और 2008 में एस. करीमुद्दीन पत्रकार संघ के अध्ययक्ष बने। यह चुनाव सर्वसम्मति से हुआ करता था । जिसे सतीश तिवारी, शंकर तिवारी और डीएस नियाजी जैसे वरिष्ठ लोगों ने भी अपनी सहमति दी ।
इसके बाद 2010 फिर 2013 और 2015 में चुनाव हुए थे। ये चुनाव संघ के सदस्यों की सर्वसम्मति से होते रहे । जिसे रजिस्ट्रार ने भी अपनी मुहर लगाई थी।
एक अंतराल के बाद 2022 में चुनाव होने के कारण यह चुनाव पूरी प्रशासनिक देखरेख में हुआ । एसडीएम बस्तर को इस चुनाव को निर्विन्न कराने की जिम्मेदारी मिली थी ।
बस्तर जिले से प्रकाशित पुराने अखबारों में हिन्दसत् और दंण्कारण्य समाचार है, हिन्दसत 1982 से और दण्डकारण्य 1958 से आज तक प्रचलित और लोकप्रिय है।
छत्तीसगढ़ के समाचार पत्र
छत्तीसगढ़ का पहला समाचार पत्र छत्तीसगढ़ मित्र था यह सन 1900 में पेंड्रा रोड बिलासपुर से प्रकाषित होता था। यह एक मासिक समाचार पत्र था। माधवराव सप्रे इसके संपादक व प्रकाषक थे । फिर 1907 में माधवराव ने हिन्द केसरी निकाला तो पदुमलाल पुन्नालाल ने सरस्वती नामक समाचार पत्र निकाला
1915 में कन्हैयालाल शर्मा ने सूर्योदय समाचार पत्र निकाला
1921 में ठाकुर प्यारेलाल ने सिंह ने अरूणोदय समाचार पत्र निकाला
1922-23 में सुंदरलाल शर्मा ने जेल पत्रिका निकाला
1924 में रविषंकर शुक्ल ने काव्यकुंज समाचार पत्र
1924 कुलदीप सहाय ने विकास समाचार पत्र
1934-35 में सुंदरलाल त्रिपाठी ने उत्थान समाचार पत्र
1937 में महाकोषल साप्ताहिक और इसके संपादक अम्बिका चरण शुक्ल थे।
1951 से महाकोषल प्रतिदिन प्रकाषित होने लगा। इसके संपादक रविषंकर शुक्ल थे
1947 में दीपचंद ढागा ने छत्तीगढ़ केसरी समाचार पत्र
1955 में रायपुर से प्रकाषित समाचार पत्र छत्तीसगढ़ी सेवक था जिसके संपादक गजानंद माधव मुक्तिबोध थे
1991 से दैनिक भास्कर