कोरोना को विश्व में फैले साल भर से ज्यादा का समय बीत चुका है। और हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। जानकार बताते हैं कि कोई भी महामारी तीन से चार चरणों में कि क्षेत्र में तांडव मचाती है। ऐसे में नई पालन में सरल (ईजी टू फालो )गाईडलाईन्स के आने से और भी चैाकन्ना होना जरूरी हो जाता है।
क्या है नई पालन में सरल गाईडलाईन्स ?
अब तक दो गज दूरी और मास्क जरूरी कहा जा रहा था मगर 20 मई को सरकार द्वारा जारी नई गाईडलाईन्स में कहा है कि कम से कम 10 मीटर की दूरी होनी चाहिए! साथ ही बंद कमरों के बजाए हवादार कमरों की बात भी कही गई । पहले ऐसी और बंद कमरों से परहेज कहा गया था।इस गाईड लाईन में डबल मास्क के प्रयोग पर भी बल दिया गया है।
जिसमें सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर Third Wave आने वाली है। मौजूदा वैक्सीन तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयार होगी या नहीं कहा नहीं जा सकता ।
समझते हैं ये लहर क्या है?
हर लहर में 6 से 7 महिनों का अंतर रहता है। आपको याद होगा । पहली लहर 2020 में भारत में आयी थी ।
उसके बाद दूसरी लहर फरवरी में आयी ।
अनुसंधान कर्ताओं के अनुसार वायरस किसी क्षेत्र में तीन महिने तक फैलता रहता है।
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इस लिहाज से देश के लिए मई और जून बेहद गंभीर रहें हैं । इस हिसाब से ये समझा जा सकता है कि तीसरी लहर 6 महिने बाद फिर आ सकती है। आशंका ये है कि तीसरी लहर बच्चों पर हमला करेगी।
डाॅ एम विद्यासागर राष्ट्रीय विज्ञान, आईआईटी हैदराबाद 6 से सात महिने में अगली लहर आ सकती है। वर्तमान लहर जून तक चलने की आशंका है और ये 6 से सात महिने के बाद पुनः एक तीसरी लहर आ सकती है। अब तक जो लहर भारत में आयीं थी उसे स्ट्रेन का नाम दिया गया है ये हैं यूके स्ट्रेन, डबल स्ट्रेन और बंगाल स्ट्रेन कहा जाता है।
क्या तीसरी लहर बच्चों पर हमला कर सकती है ?
एक सामान्य अवलोकन ये बताते हैं कि बच्चों में तीसरी लहर का असर ज्यादा दिख सकता है। अनुमान ये लगाया जा रहा है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक होगी। लेकिन अमेरिका के मेरीलैण्ड विश्वविद्यायल के डाॅ फहीम युनूस ऐसी किसी आशंका को नकारते हैं ।
क्या कारण है इसके पीछे ?
सिंगापुर और अमेरिका में किए गए एक अध्ययन को आधार मानकर ये अनुमान लगाया जा रहा है । सिंगापुर में कोचिंग से एक बड़ी संख्या में बच्चें संक्रमित पाए गए थे । जिससे एक क्लस्टर बनने का खतरा था। बाद में कोचिंग को बंद कर दिया गया
दूसरी तरफ अमेरिका में जारी साप्ताहित संक्रमितों के आंकड़ों में 22 फीसदी संक्रमण बच्चों में देखने को मिला ।
अभी तक यूके स्ट्रेन ने भारत में व्यापक पैमाने पर तबाही मचाई है। फिर आंध्रप्रदेश से जो लहर आयी थी उसे आंध्र स्ट्रेन कहा जा रहा है। जो छत्तीसगढ़ के बस्तर वाले रिजन में आने का अंदेशा था इसी बात के मद्देनजर आंध्रप्रदेश की सीमा को सील कर दी गई थी।
एनडीटीवी के मुताबिक फाईजर वैक्सिन से इसे रोका जा सकता है । फाईजर अमेरिका में 12 से 17 साल तक के बच्चों को लगाया जा रहा है। और यह 100 फीसदी कारगर साबित हुआ है। मगर भारत में इसके लिए व्यापक तैयारी करनी पड़ेगी।
ये है चुनौतियां?
भारत में कोवैक्सिन और कोविशील्ड का कोटा पूरा ही नहीं हो पाया है। यानि पहली डोज भारत में 10 प्रतिशत पूरा हुआ है तो दूसरी डोज केवल 2 प्रतिशत ही पूरा हो सका है। ऐसे में बच्चों को लगाये जाने वाले टीके के लिए बड़ी तैयारी करनी पड़ सकती है । भारत की आबादी भी विश्व के दूसरे देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा है ।हैरानी की बात तो ये है। राष्ट्रीय अखबार The Hindu कहता है कि ब्लूमबर्ग के डाटा के अनुसार जिस गति से भारत में फिलहाल टीकाकरण चल रहा है उसकी रफ्तार से चलें तो 75 प्रतिशत आबादी को टीके लगवाने में ढाई साल लग सकते हैं।