अब यह महुआ केवल ग्रामीण जनजीवन से जुड़ा नहीं है । इसे पूरी तरह से एक पौष्टिक आहार के रूप में शहरों में भी लिया जा रहा है । ऐसे में महुआ के पौष्टिक गुण और इसकी दूसरी खूबियों के बारे में जान लेना जरूरी हो जाता है।
क्या है महुआ?
ये एक प्रकार का उष्ण कटिबंधीय वृक्ष है जो हिमालय की तरई और मध्य क्षेत्र में पाया जाता हैै। इसका वैज्ञानिक नाम मधुका लौंगफिलिया है । यह साल भर हर-भरा रहता है। इसकी मुख्य रूप से बारह प्रजातियां पायीं जाती है। जिनमें ऋषिकेष,जटायुपुष्प और अग्निकेश प्रमुख हैं। महुआ के वृक्षों से फूल आने में चार से पांच वर्ष लगते हैं।
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महुआ:- उपयोग और उपयोगिता
इसके फूल से रोटी भी बनायी जाती है जिसे महुआरी कहते हैं । कुछ इसके कच्चे फूल को पीसकर पीते हैं । इसका स्वाद मीठा होता है। वर्तमान में इससे बायोगैस बनाने तथा हैंडसेनिटाईजर बनाने पर काम चल रहा है। इसे ग्रामीण मादक पेय बनाने में उपयोग करते हैं । मध्यप्रदेश में इसे माधवी कहा जाता है । गोड़ जाति के लोग इसके फूल की माला बनाते हैं । इसे धार्मिक अनुष्ठान के दौरान पहना जाता है। हल्बा जाति के लोग महुए के वृक्ष को पवित्र मानते हैं और विवाह और अन्य सामाजिक अनुष्ठान के दौरान वृक्ष का प्रयोग करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि महुआ पेड़ की छाल से मधुमेह का इलाज संभव है। और इसके फूल कब्ज, बवासीर और आँखों के संक्रमण रोकने में सहायक होते है। इससे ब्रोंकाइटिस को दूर किया जा सकता है।
सरकार 700 रूपए में एक ऐसा पौष्टिक महुआ पेय लांच करने जा रही है जिसमें 6 फलों के खुश्बू होगें। इसमें 5 प्रतिशत अल्कोहल रहेगा। 2 सालों के रिसर्च के बाद दिल्ली आईआईटी ने ट्राईफेड के साथ तैयार किया है । एस्साईज विभाग से लाइसेंस के बाद इसे बाजार में उतारा जाएगा।
ट्रईफेड ने नेश्लन रिसर्च डेवलपमेंट काॅरपोरेशन से एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है । हालांकि ये सब हुए साल भर से ज्यादा का समय बीत चुका है।