राजीव गांधी किसान न्याय योजना
उद्देश्य- किसानों को फसल उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करना तथा कृषि रकबे में वृद्धि करना।
प्रारंभ- भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की शहादत पुण्यतिथि 21 मई 2020 मई से
प्रावधान/लाभ-
- राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत प्रावधानित 5750 करोड़ रूपए की राशि किसानों के खातांे में चार किस्तों में अंतरित की जा रही है।
- 1 नवम्बर 2020 तक 4500 करोड़ रू. का भुगतान किया गया।
- इस योजना से प्रदेश 19 लाख किसान लाभान्वित हो रहे है।
योजना 2020-21 में इसमें दलहन और तिलहन की फसलों को भी शामिल करने का निर्णय लिया जा चुका है।
भूमिहीन खेतिहर मजदूरों का भी समावेश
- छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना‘ के दूसरे चरण में शामिल करने का निर्णय लिया है।
- माननीय मुख्यमंत्री ने इसके लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करने के लिए सचिव की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है। यह समिति विस्तृत कार्य योजना तैयार कर मंत्रीपरिषद् की मंजूरी के लिए प्रस्तुत करेगी।
अब गोबर बनेगा........‘गो-धन‘
उद्देश्य- जैविक खेती को बढ़ाव, ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर रोजगार के तये अवसरों का निर्माण, गोपालन एवं गो- सुरक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ पशु पालकों को आर्थिक रूप से लाभान्वित करना।
प्रारंभ- 20 जुलाई 2020 को हरेली उत्सव के दिन से गोबर की खरीद शुरू की गई है।
प्रावधान/लाभ
- वर्तमान में 3726 गौठानों में 2 रूपए प्रति किलो की दर से ग्रामीणों तथा गोबर संग्राहकों से गोबर खरीदी की जा रही है। राज्य में 1,92,000 पंजीकृत व 1,02,232 लाभान्वित पशुपालन हैं।
- खरीदे गये गोबर से स्व. सहायता समूहों द्वारा वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण किया जा रहा है।
- योजनान्तर्गत 8 रू. प्रति किलो की दर से वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री। वर्मी कम्पोस्ट ‘ गोधन वर्मी कम्पोस्ट के नाम से लांच
- 20 नवंबर 2020 तक 53.53 करोड रूपए कर ळरुगतरल किसर जर वुकर है।
- गांवो में रोजगार व अतिरिक्त आय के अवसरों में वृद्धि।
मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थय योजना
उद्देश्य- राज्य के शहरी क्षेत्रों की गरीब बस्तियों में निवासरत करीब 16 लाख लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच और आसान करना।
प्रांरभ- 2 अक्टूबर 2019 महात्मा गांधी की 150वी जयंती से
प्रावधान/लाभ-
- योजनान्तर्गत शहरी स्लम क्षेत्रों में मोबाइल मेडिकल यूनिट द्वारा चिन्हित स्थानों पर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण, उपचार एवं दवा वितरण।
- अब तक 4 हजार 557 से अधिक शिविर आयोजित किये जा चुके हैं, 1.83 लाख से अधिक मरीजों का इलाज किया गया है।
- 120 मोबाइल मेडिकल यूनिटों के माध्यम से झुग्गी बस्तियों में ही निःशुल्क परामर्श, इलाज, दवाइयों एवं पैथोलाॅजी लैब की सुविधा।
- द्वितीय चरण में ‘ मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना‘ का प्रदेश के समस्त 166 शहरों में विस्तार।
दाई-दीदी क्लीनिक
उद्देश्य- महिला चिकित्सकों द्वारा महिलाओं को निःशुल्क उपचार मुहैया कराने।
प्रांरभ- 19 नवम्बर 2020
प्रावधान/लाभ-
- डेडिकेटेड महिला स्टाॅफ के माध्यम से महिला श्रमिकों एवं बच्चियों को निःशुल्क उपचार एवं परामर्श।
- देश की पहली महिला स्पेशल क्लिनिक।
- वर्तमान में मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना अंतर्गत नगर निगम रायपुर, भिलाई एवं बिलासपुर में एक-एक क्लीनिक का संचालन।
मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना
उद्देश्य- हाट बाजारों के माध्यम से वन् पहाड़ी तथा अन्य दुर्गम क्षेत्रों में निवासरत ग्रामीणो, जन-जातीय समूहों तक स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच आसान करना।
प्रारंभ- 2 अक्टूबर 2019 राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से
प्रावधान/लाभ-
- हाट-बाजारों के माध्यम से स्वास्थ्य परीक्षण, उपचार एवं दवा वितरण।
- दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में निरंतर कमी आ रही है।
- महिलाओं एवं बच्चों के पोषण मंे सुधार की सतत निगरानी।
- बस्तर में मलेयिा उन्मूलन अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन में मदद।
- इस योजना के अंतर्गत अब तक राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में निवासरत 12 लाख 12 हजार 564 मरीज लाभान्वित हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान
उद्देश्य- राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण-4 के अनुसार प्रदेश के 5 वर्ष से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषण और 15 से 49 वर्ष की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं। कुपोषित बच्चों में अधिकांश आदिवासी और दूरस्थ वनांचलों के थे। राज्य सरकार ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियानों की शुरूआत की। अगले 3 वर्षों में प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने की रणनीति तैयार की गई है।
प्रारंभ- 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी जयंती से।
प्रावधान/लाभ-
- योजना शुरू होने के समय वजन त्यौहार के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में लगभग 4 लाख 92 हजार बच्चे कुपोषित थे, इनमें से 67 हजार से अधिक बच्चे अब कुपोषण मुक्त हो गए हैं। इस तरह कुपोषित बच्चों की संख्या में लगभग 13.79 प्रतिशत की कमी आयी है।
- योजनान्तर्गत 51,455 आंगनबाड़ी केन्द्रांे के लगभग 25 लाख हितग्राहियों को घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट का वितरण किया गया।
- लाखडाउन के दौरान 2.84 लाख बच्चों एवं महिलाओं को सूखा राशन (चावल, दाल, सब्जी) एवं 2.36 लाख बच्चों एवं महिलओं को पौष्टिक आहार का वितरण किया गया।
- एनीमिया प्रभावितों को आयरन, फोलिक एसिड, कृमि नाशक गोलियां दी जाती हैं।
डाॅ. खूबचंद बधेल
उद्देश्य- प्रदेश के लोगों को शासकीय चिकित्सालयों एवं अनुबंधित निजी अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराना। नागरिकों को बीमारी व इलाज के ख्.ार्च की चिंता से मुक्त कर उनके स्वास्थ्य का स्तर ऊंचा उठाना। गरीब से गरीब व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना।
प्रारंभ - 01 जनवरी 2020
प्रावधान/लाभ-
- प्रदेश में 65 लाख परिवार इस योजना के दायरे में हैं। योजना के तहत बीपीएल के 56 लाख परिवारों को हर वर्ष 50 हजार रूपए तक के निःशुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
- 01 जनवरी 2020 से अब तक 3,20,783 लोगों को उपचार मुहैया कराया जा चुका है।
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