हम अपने घर चलाने के लिए जिस प्रकार एक निश्चित खर्च का ब्यौरा बनाते हैं और उसी के मुताबिक खर्च तय करते है। ठीक उसी प्रकार पूरे देश में भी यही होता है।
बजट यानि खर्चे और कमाई का हिसाब किताब! क्या आप जानते हैं कि देश में पूरे खर्चे का हिसाब किताब किस प्रकार किया जाता है? और कैसे आने वाले साल का खर्च तय किया जाता है। ।
बजट में क्या होता है?
जानते हैं पूरे देश में कैसे बजट बनाई जाती है और किस प्रकार यह तय होता है कि कितना खर्च और कितनी आमदनी होनी चाहिए। आपने बजट के दौरान तीन शब्दों को सुना होगा - ये हैं एस्टिमेट बजट रिवाईस्ट और एक्चुअल । पूरे देश के बजट को समझने के लिए इसे समझना जरूरी है। बजट में सरकार तीन तरह के आंकड़े तैयार करवाती है या करती है। ये होते हैं
बजट एस्टिमेट यानि बजट का अनुमान,
रिवाइज्ड बजट यानि संशोधित बजट
और फिर एक्चुअल यानि वास्तविक बजट तीनों तरह के बजट को समझते हैं
अनुमानित बजट यानि एस्टिमेट बजट :-
यानि एस्टिमेट बजट ये आने वाले साल का होता है। इसमें पहले से तय कर लिया जाता है कि आने वाले समय में हम कितना खर्च करेंगें और कितना हम कमाई करेंगें?
रिवाईस्ड एस्टिमेट यानि संशोधित बजट :-
इसमें सरकार द्वारा पिछले साल दिए गए बजट में दिए गए अनुमान के मुताबिक कितनी कमाई और कितना खर्च हुआ ये बताया जाता है । जाहिर है रिवाईस्ट बजट से एस्टिमेट बजट कम या ज्यादा हो सकता है।
एक्चुअल यानि वास्तविक बजट:-
ये बजट दो साल पहले का होता है यानि दो सालों में कितना कमाए और कितना खर्च किए ये ब्यौरा देष के सामने दिया जाता है। हर चीजे़ गिनाई जाती है और बताया जाता है कि हम कहाँ खर्च और कमाए ? इस बार बजट में 2019- 20 का वास्तविक बजट बताया गया । यानि कितनी कमाई और कितना खर्च हुआ ये बताया गया ।
बजट की तैयारी कैसे होती है ?
आमतौर पर बजट के 5 महिने पहले ही इसकी तैयारी की जाती है सरकार की बजट डिविजन होती है इसका काम बजट शुरू होने के पांच महिने पहले आरम्भ हो जाता है। ये सभी मंत्रालयों विभागों और राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेषों को सर्कुलर यानि खबर भेजती है । और आने वाले सालों में उनके सम्भावित खर्चो के बारे में जानकारी हासिल करती है
इसके बाद अक्टूबर नवम्बर में वित्त मंत्रालय दूसरे मंत्रालयों और विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर के ये तय करते हैं कि उनके विभाग को आने वाले समय में खर्च के लिए कितना पैसा दिया जाए और एक ब्लू प्रिंट तैयार किया जाता है। इसके बाद बजट से जुड़े दस्तावेजों की छपाई होती है । इस बार बजट के दस्तावेजों की छपाई नहीं हुई बल्कि विभागीय अधिकारियों को वित्त मंत्रायल में बजट समाप्त होने तक रोका गया । और किसी भी बाहरी व्यक्तियों से सम्पर्क न करने की हिदायत दी गई है।
बजट का आर्थिक सर्वेक्षण
सर्वेक्षण को समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं । इसे एक तरह से डायरी समझा जाना चाहिए । जैसे हम घर में साल भर के खर्च और कमाई को एक डायरी में लिखते है। ठीक वैसे ही उसी के अनुरूप साल भर में तय किया जाता है कि कितना खर्च करना है और कितना कमाना है कितना बचाना है इत्यादि । इसी को पूरे देष में जब किया जाता है तो उसे कहते हैं ईकानाॅमिकल सर्वे यानि आर्थिक सर्वेक्षण ।
पूरे देश में 1 फरवरी को बजट प्रस्तुत होने के पहले आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया जाता है जिसे इकाॅनाॅमिक सर्वे कहते हैं ।
इस बार यह इकाॅनाॅमिक सर्वे 29 जनवरी को ही पेष हो गया । इसमें बिते साल का लेखा-जोखा और आने वाले साल का खर्चा इत्यादि होता है। देष में ये सर्वे सीईए यानि इकाॅनाॅमी डिविजन चीफ ईकोनाॅमी एडवाईजर की देख रेख में किया जाता है । 1964 तक इस प्रकार के सर्वे को बजट के साथ ही पेष किया जाता था मगर बाद में एक दिन पहले पेष करने का चलन हो गया। पहला इकाॅनाॅमी सर्वे देश में 1950 -51 में पेश किया गया था।
बजट पेष करने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी है। मंजूरी के बाद ही केबिनेट और फिर संसद के दोनों सदनों में रखा जाता है।
बजट को दोनों सदनों यानि लोकसभा-राज्य सभा में पास करना जरूरी होता है फिर दोनों सदनों से पास होने के बाद 1 April से लागू हो जाता है और फिर यह अगले साल 31 मार्च तक यही सिलसिला चलता है।
बजट का इतिहास
161 साल पहले यानि 7 अप्रेल 1860 को British सरकार ने पहला बजट पेष किया था। उस वक्त British सरकार के वित्त मंत्री जेम्स विल्सन थे ।
स्वतंत्र भारत का पहला बजट नवम्बर 1947 को वित्त मंत्री आर के शणमुखम चेट्टी ने पेष किया था। यह बजट 15 अगस्त 1947 से 31 मार्च 1948 तक की अवधि के लिए था। फिर भारत में 1950 को गणतंत्र स्थापना के बाद पहला बजट 28 फरवरी 1950 को जाॅन मथई ने पेश किया ।
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