जो लोग खाने-पीने के शौकिन है
खास तौर जो बाहर से छत्तीसगढ़ आएं है तो उनके लिये हर जिले में स्थापित गढ़कलेवा बेहतर जगह है। जानते हैं क्या है गढ़ कलेवा
स्वसहायता समूह को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए तथा छत्तीसगढ़ी व्यंजनों को सुगमता से लोगों तक पहुँचाने के लिए बनाई गई इस योजना में कई खूबियाँ हैं ।
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कब हुई इस योजना की शुरूआत
गढ़ कलेवा नामक इस योजना की शुरूआत सन 2019 से हुई । इसके तहत छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का एक विक्रय केन्द्र हर जिला मुख्यालय में बनाया गया है जिसमें पारंम्परिक व्यंजन जो छत्तीसगढ़ में मिलते उनका सभी का विक्रय किया जाता है।
क्या प्रावधान हैं इस योजना में
2020-21 के वित्तीय वर्ष में इस योजना के तहत सभी जिला मुख्यालय में शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिये स्वसहायता समूहों को प्रशिक्षित कर समूह को व्यंजनों की बिक्री के लिए जगह, शेड और अन्य सुविधाएं दी जाती है। इस योजना का लाभ लेने वाले
समूह जो गरीब परिवारों से होते हैं उन्हें जीवन यापन के लिए स्वरोजगार प्राप्त हो सके तथा वे आत्म निर्भर हो सके ।
व्यंजनों के तैयार करने का केन्द्र जिला मुख्यालय में होता है । बस्तर जिले में इसकी स्थापना शहीद पार्क के पास की गई है ।
क्या व्यंजन मिलते हैं ?
यहा छत्तीसगढ़ी फरा, मूंग बड़ा, उढ़द दाल का बड़ा , चीला ( चांवल आटे का बना) आरसा रोटी । इसके अलावा बड़ी,( जिसे धूप में सूखा कर बनाया जाता है। ) सेव और लाई के लड़डू इत्यादि की बिकी की जाती है। जानिए बस्तर जिले में कौन कौन से व्यंजन है।
जानते हैं कैसे बनते हैं ये व्यंजन
सबसे पहले जानते हैं फरा के बारे में फरा बुनियादी तौर पर चांवल आटे से बनता है और भाप से पकाया जाता है ।
आवश्यक सामाग्री।
एक कप चांवल आटा
आधा कप पका हुआ चांवल
दो चम्मच तेल (आप कोई भी तेल इस्तेमाल कर सकते हैं । छत्तीसगढ़ में सरसों का तेल बहुतायत प्रयोग किए जाते हैं । )
नमक अपने स्वादानुसा। कम ही नमक होना चाहिए
पानी करीब आधा लीटर क्योंकि तैयार व्यंजन को उबाला जाता है।
लाल मिर्च 2 या 3
और लाल मिर्च पाउडर एक चैथाई
कड़ी पत्ते यानि मीठी नीम 5 या 6 करीब तीन लहसुन की कलियां
एक से दो चम्मच तिल
विधि
चांवल और चांवल के आटे को आपस में मिलाकर थोड़ा पानी डाल कर अच्छे से गूंथ ले । और रोटी बनाते हैं उसी तरह ये भी तैयार हो जाएगा। इसके बाद लम्बे -लम्बे आकार में काट कर अपनी उँगली की साईज में इसे आकार दें । इसके लिए जरूरी है पहले गूथे आटे को बड़ी के आकार में बना लें और उसे बाद में उँगली के आकार में रोल कर लें। इतनी प्रकिया में आपको जरूरत पड़ेगी हल्के तेल की जो इसे अच्छा आकार दे । और ये हाथों में न चिपके।
इसके बाद गरम तेल में मीठी नीम,तिल लहसुन और लालमिर्च को हल्का भून ले और फिर सावधानी से इस मिश्रण में लगभग आधा लिटर पानी डालें और कुछ देर के लिए ढक दें और जब पानी में उबाल आ जाएं तो फिर इसमें तैयार फरा को डाले । और फिर इसे कुछ देर ढक कर रखें
इसके बाद गरम तेल में मीठी नीम,तिल लहसुन और लालमिर्च को हल्का भून ले और फिर सावधानी से इस मिश्रण में लगभग आधा लिटर पानी डालें और कुछ देर के लिए ढक दें और जब पानी में उबाल आ जाएं तो फिर इसमें तैयार फरा को डाले । और फिर इसे कुछ देर ढक कर रखें और जब पानी पूरी तरह से सख जाए तो आपका फरा तैयार मिलेगा। इसे धनिया पत्ती से गार्निश करें और टमाटर चटनी के साथ खाएं
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आरसा रोटी
एक और यूनिक व्यंजन है जिसका नाम है आरसा रोटी जानते हैं इसे कैसे बनाते हैं
ये मीठा व्यंजन है ये बस्तर जिले में अधिकांश मेले हाट में आपको ये व्यंजन देखने को मिल जाएगा । इसे मीठा बनाने के लिए गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है
आवश्यक सामाग्री
मोटा चांवल 500 ग्राम
गुड़ 250 ग्राम यानि चांवल की मात्रा से आधा गुड़ लेना है
और इलाईची पाउडर
तेल
विधि
पांच से छः घंटे तक चांवल भिगो कर रखें । बेहतर है कि रात में चांवल पानी में भिगों कर रख दे और सुबह बाकि की तैयारी करें ।इसके बाद एक छननी की मदद से पूरी तरह से चांवल का छान कर पानी से अलग कर लें । और फिर सूती कपड़े को जमीन पर फैला दें और उसपर चांवल को आधे घंटे के लिए रखें ताकि उसपर लगा पानी सूख जाए ध्यान रखें इसे धूप में नहीं सूखाना है और ये भी ध्यान रखें के चांवल का पानी पूरी तरह से खत्म न हो जाए यानि हल्का गीला होना चाहिए। आप पंखे की हवा में भी चांवल सूखा सकते हैं इसके बाद इसे पीस लें जाहिर है पीसने के लिए आजकल मिस्की का इस्तेमाल होता है । पहले इसे सील के पत्थर में पीसा जाता था। पीसने के बाद चांवल का आटा बनेगा । इसके बाद गुड़ की चासनी तैयार करनी होती है । इसे तैयार करते समय गुड़ में वन फोर्थ पानी यानि एक चाौथाई पानी मिलाकर एक चासनी तैयार करें ध्यान रखे इसे काफी गाढ़ा बनाना होता है । गुड़ व्यंजन के लिए तैयार है या नहीं ये पता लगाने के लिए एक कटोरी पानी में गर्म गुड़ को डालकर देखिए अगर यह पानी के तल पर बैठ जाता है तो समझ लिजिए यह व्यंजन के लिए तैयार हो गया है। फिर गर्म गुड़ में ही पीसा गया आटा इस प्रकार मिलाईए कि वे पूरी तरह से आटा भूरे रंग का एक डोव तैयार हो जाए । फिर गर्म तेल में आटे गुड़ के मिश्रण चपटा कर के डालें और ये तेल में पूड़ी की तरह तैयार हो जाएगा। ध्यान रखिए लई को तेल में डालने से पहले हाथों में तेल लगा लें ताकि वह हथेली में न चिपके।
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