पैकेट वाला आटा/ चक्की आटा
गेंहूँ का आटा कुछ लोग चक्की में पिसावा कर खाते हैं तो कुछ बनाबनाया हुआ पैकेट का आटा खरीदना उचित समझते हैं ।
जाहिर है चक्की में पिसवा कर खाने में कई प्रकियाओं से गुजरना पड़ता जैसे अच्छा गेंहूँ खरीदना, फिर उसे धोना सुखाना और फिर पिसावा कर अपने रसोई तक पहुँचाना और दूसरी प्रक्रिया में सीधा बजार से जाकर अच्छी ब्रांड की आटे की बोरी खरीदना और फिर अपने रसोई से रोटी तैयार कर खाना। दरअसल इस पूरे पराग्राफ में एक बात तय है कि आम-समझ ये कहती है जब बाजार से तैयार आटा मिल रहा है तो क्यों हम लम्बी प्रकिया से गुजर कर रोटी बनाएं । ऐसे में तैयार आटा यानि पैकेट वाला आटा ही लोग पंसद करते हैं। पिछले दिनों सक्षम-साक्षी के संपादक रवि दुबे का एक आलेख पढ़ा तो समझ में आया कि किस तरह पैकेट वाले आटे में मिला जहर लोगों के पेट में प्रतिदिन भेजा जा रहा है। और अनजाने में हम कितना जहर खा रहें है आलेख में लिखी बातों का सार मै यहाँ दे रहा हूँ। पैकेट वाले आटे में घुन या कीड़े न लगे इसके लिए उसमें बेंजोयल पेरोक्साईड नाम का रसायन मिलाया जाता है । यह एनीसाईड ब्रांड नाम के तहत फार्मेसियों से खरीदने के लिए उपलब्ध होता है।
जानते हैं क्या है यह रसायन
इसे मुँहासे और दूसरे त्वचा संबंधी रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता है। क्योंकि ये बैक्टीरिया पर सीधा आक्रमण कर उसे खत्म करती है। औरयह बाजार में यह जेल या फेस वाष के रूप में उपलब्ध है जिसमें 5 % बेंजोइल पेरोक्साइड होता है
गेंहूँ या आटे में इसे मिलाने पर इसमें लगने वाला भूरे रंग का कीड़ा नहीं लगता यानि कीड़े से बचाव के लिए कम्पनियां अपने पैकेट वाले आटे में डालती हैं। तभी पैकेट वाले आटे महिनों डिब्बों में रखने के बाद भी सुरक्षित रहती है।
एक प्रयोग आप स्वंय कीजिए
बाजार से खरीदे गेहूं का आटा पिसवा कर डिब्बे में बंद कर रखें या प्रयोग करते रहें निष्चित तिथि में इसमें भूरे रंग के कीड़े दिखाई देने लगेगें और आप इसे समझते है। कि आटा खराब हो गया है।
अब समझना यह है कि ये बड़े बड़े ब्रांड वाली कंपनियां कैसे आटा स्टोर कर पा रही हैं, यह सोचने और जानने वाली बात है !
तो पैकेट वाले में क्या जादू होता है?
बिलकुल नहीं ! कोई जादू नहीं वे इसमें बेजोयल पराऑक्साइड मिलाकर रखते हैं । जो हम तक बिना किसी व्यवधान के देश के एक कोने से दूसरे कोने तक बिकवा कर खिलाई जाती है।
तो सबसे अहम बात जो हमें ध्यान देनी है?
चिकित्सा विज्ञान की माने तो आटे में प्रतिकिलो आटे में बेजोयल केवल 4 मिलीग्राम ही मिलाना चाहिए! जबकि अधिकांश पैकेट वाले प्राप्त आटे में 400 मिलीग्राम तक ये रसायन मिला दिया जाता है । जाहिर है वे चाहते हैं कि उनका आटा लम्बे समय तक सुरक्षित रहे। मगर इसे स्वास्थ्य पर गहरा विपरित प्रभाव पड़ता है ।
जानते हैं क्या होता है अगर ज्यादा मात्रा में इसे खा लें तों
मेडिकल साइंस का कहना है कि ज्यादा मात्रा में बेजोयल पराऑक्साइड से खुजलाहट, लाल चकते, और सूजन की षिकायत मिलती है ।
जानकारों की माने तो इससे लीवर और और किडनी पर घातक प्रभाव पड़ता है हांलाकि इसकी चिकित्सकीय पुष्टि नहीं की गई है। फिर भी घर की चक्की का बना आटा ही बेहतर है।
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