भोरमदेव काॅपरेटिव शुगर फैक्टरी कर्वधा और छत्तीसगढ़ डिस्टलरी की एनके जे बायोफयूल के बीच करार के बाद एक इतिहास रच गया है। खास बात यह है कि इस करार के बाद
छत्तीगढ़ में देश का पहला पीपीपी (पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशीप )माॅडल का एथनाॅल प्लांट स्थापित होने जा रहा है । 29 दिसम्बर 2020 को सरकार ने उक्त कम्पनी के साथ 30 साल के एम ओ यू पर हस्ताक्षर कर यह इतिहास रच डाला।
प्लांट ढेढ़ से दो साल में बनकर तैयार हो जाएगा। और तैयार होने के बाद यह प्लांट 400,000 लीटर एथनाॅल प्रतिदिन उत्पादन करेगा
आखिर क्या यह एथनाॅल और क्या खास बात होगी इस प्लांट में ? यह सवाल उठना स्वाभाविक है। इसे समझने के लिए एथनाॅल के बारे में जानना जरूरी है ?
एथनाल क्या है?
यह एक प्रकार का अल्कोहल है जो दो विधियों से प्राप्त किया जा सकता है।
पहली विधि संष्लेषण विधि यह विधि आजकल प्रचलित नहीं है । इस विधि में एथलीन गैसे को गाढ़े सल्फयूरिक अम्ल में शोषित कर एथिल हाईड्रोजन सल्फेट बनाई जाती थी और उसे पानी के साथ उबालने पर एथिल अल्कोहल देता था।
दूसरी विधि को स्टेरलाईजेश यानि किण्वीकरण विधि कहते है।
इस विधि से किसी भी शक्कर देने वाले पदार्थ को किटाणुरहित यानि स्टेरेलाईज कर के प्राप्त किया जाता है। इसके द्वारा गन्ने का शक्कर,
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ग्लूकोज , शोरा महुआ इत्यादि फसलों से ये प्राप्त किया जा सकता है अथवा स्टार्च देेने वाले पदार्थों जैसे आलू, जौ या फिर मकई से प्राप्त किया सकता है। इसकी चूंकि शक्कर और स्टार्च दोनों पदार्थो से एथनाॅल प्राप्त किया जाता है इन पदार्थो की दो अलग-अलग विधियां होती है।
कैसे बनाया जाता है शक्कर वाले पदार्थ का
शोरा जो शक्कर और शोरे का वेस्ट मटेरिअल होता है उसमें 1. 3 से 1. 4 तक पानी मिलाकर इसमें सल्फयूरिक एसिड की कुछ बूँद डाली जाती है फिर इसमें थोड़ा यीस्ट या खमीर डालकर 30 से 40 डिग्री तापमान दिया जाता है और 40 से 50 घंटों के बाद यह पूरी तरह किटाणु रहित हो जाता है इससे शोरे का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा अल्कोहल और कार्बनडाई आक्साईड में बदल जाता है। अब समझते हैं
स्टार्च वाले पदार्थ जैसे चांवल, आलू जौ मकई से एथनाॅल कैसे प्राप्त किया जाता है
सबसे पहले इन पदार्थो के टुकड़ों में पानी मिलाकर पीस कर एक लई या हलवा की बना दिया जाता है इसके लिए इसे कम ताप देकर उबाला जाता है जब तक यह लई न बन जाए। फिर माल्ट मिलकर 50 से 60 डिगी तापमान पर आधे घंटे के लिए रखा जाता है इसमें मिले माल्ट निष्कर्ष से इसमें मौजूद स्टार्च माल्टोस में बदल जाता है। अब प्राप्त क्वाथ को 20 डिग्री ताप में लाकर एक प्रकार से ठंडा किया जाता है और इसमें यीस्ट मिलाकर 20 से 36 डिग्री पर रख दिया जाता है यीस्ट में मौजूद माल्टोस एन्जाईम माल्टोज को तोड़कर इसे ग्लूकोज में बदल देते हैं और ग्लूकोज को जाईमेस एन्जाईम में तोड़कर एल्कोहल प्राप्त किया जाता है। इस प्रकार इस पूरी प्रक्रिया में तीन से चार दिन लगते हैं ।
छत्तीसगढ़ में स्थापित होने वाले इस प्लांट की स्थापना के बाद गन्ने के फसल की उत्पादन और बिक्री के आसार ज्यादा होगें और उम्मीद की जा रही है कि इससे किसानों को अच्छा मुनाफा होगा।