भारत जैसे प्रजातंत्रिक देश में चुनाव एक महत्वपूर्ण काम है। हर पांच सालों में हमारे यहाँ चुनाव होते है । याद कीजिए भारत ने वह दौर भी देखा है जब साल भर के अंदर ही कई चुनाव हुए हैं।
चुनाव चाहे जब भी हों मगर लाखों कर्मचारी, संसाधनों का खर्च होना स्वाभाविक होता है अगर संवैधानिक रूप से बात करें तो छोटे राज्यों के प्रत्येक लोक सभा में 22 से 54 लाख तक का खर्च होते हैं और वहीं बड़े राज्यों के प्रत्येक लोकसभा क्षेत्रों में 40 से 70 लाख तक का खर्च आता है।
बड़े राज्यों में जो राज्य आते हैं वे-महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश पश्चिम बंगाल और कर्नाटक हैं। और छोटे राज्यों में उत्तरपूर्व के राज्य गोवा, पहाड़ी क्षेत्रों में बसे राज्य आते हैं। सवाल यह उठता है कि
क्या चुनाव के खर्चो को कम नहीं किया जा सकता?
चुनाव में होने वाली गिनती में अक्सर धांधली किए जाने के आरोपों से बचा जा सकता है...? मोबाईल और इंटरनेट के जमाने में यह कल्पना करना स्वाभाविक है कि चुनाव भी अगर Online कराई जाए तो मै समझता हूँ खर्च तो कम होगा ही साथ ही धांधली और गिनती की प्रकिया में लगाए जाने वाले आरोपों से भी बचा जा सकता है। डांस इंडिया डांस में Online लाईन वोटिंग होती है। तो प्रत्याशी चुने जाने की प्रकिया Online की जाए तो समय, संसाधन और खर्च बच जाएंगे।
सवाल उठता है कैसे ?.......
आजकल मोबाईल बैंकिंग हो जा रहा है, आरोग्य सेतु, और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा जनता से सीधे जुड़ने के लिए मोबाईल एप बनाए गए हैं । तो प्रत्याशियों का चुनाव ही क्यों पुरानी पद्धति से चल रहा है।
फायदे क्या होगें
मोबाईल और इंटरनेट के जमाने में यह कल्पना करना स्वाभाविक है कि चुनाव भी अगर Online कराई जाए तो गिनती की प्रकिया में लगाए जाने वाले आरोपों से भी बचा जा सकता है। लोगों को अपनी पसंद का प्रत्याशी चुनने में कोई झिझक नहीं होगी। वर्तमान में घंटों लाईन में लगने से बचने के लिए लोग आमतौर पर मतदान नहीं करते है। और इस दिन पूरी छुट्टी का मजा लेते हैं।
डांस इंडिया डांस Online वोटिंग होती है। तो प्रत्याशी चुने जाने की प्रकिया Online की जाए तो समय, संसाधन और खर्च बच जाएंगे।
सवाल उठता है किस प्रकार यह संभव है ?
भारत में हर वयस्क के पास तीन चीजे तो अवश्य हैं आधार कार्ड या वोटर आई डी अपना बैंक खाता । जिसमें वोटर आईडी ओर बैंक अकाउण्ट को दरकिनार करें तो आधार कार्ड से सारे चुनाव क्षेत्रों के लागों को जोड़ा जा सकता है। अगर इस बीच उनका ठिकाना बदलता भी रहता है तो पहुँचे च्वाईस संेटर या स्वयं पोर्टल पर जाकर अपडेट कर सकते हैं। अन्यथा वे चुनाव से वंचित रह जाएंगे। और उनका आधार निरस्त हो जाएगा। तब तो तक हर व्यक्ति के आधार को मतदाता सूचि में जुड़ना ही पडे़गा। और चुनावी धांधली नहीं होगी।
इसी पर मोबाईल ओटीपी से लोग अपने मनपसंद प्रत्याशी को चुन सकते है। वे एसएमएस या कोई अन्य प्लेटफार्म से अपना वोट दे सकते है। जाहिर है ये दस्तावेज (बैंक अकाउण्ट, आधार और वोटर आईडी )नहीं है तो कोई मतदाता मतदेने के योग्य भी नहीं होगा। इन्ही दस्तावेजों की मदद से कोई भारत का नागरिक भी है ये पहचाना जा सकता है।
नेशनल ईर्फोमेटिक संटर यानि NIC को इस दिशा मे काम करना होगा।। उक्त आईडी से केवल एक बार ही वाटिंग की जा सकेगी तो जाहिर है धांधली की संभावना नहीं होगी। इस प्रकार की वोटिंग वे मतदाता करेंगें जो नेट या पोर्टल से सहज नहीं है । यानि अगर मोबाईल हैं उनके पास तो चैंटिंग अवश्य करते होंगें । वाट्स अप की भारत में खपत कम-से-कम ये तो बताती है। भारत में नैशनल ईर्मोमेटिक सेंटर है जिसका अपना सर्वर है। प्रशासन और राज्य सरकार च्वाईस सेंटर या भी ग्राम पंचायतों के माध्यम से भी चुनाव करा सकती है।
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अब बात करते हैं उनके बारे में जो दिन रात सोशल मीडिया में सिस्टम में काम करते हैं और कार्यालय आफिस में कम्प्यूटर सिस्टम में आंखें गढ़ाए बैठे रहते है। इनके लिए नेशलन ईर्मोमेटिक संटर एक पोर्टल के माध्यम से ओटीपी जारी कर चुनाव करवा सकती है। और लोग अपनी मनपसंद प्रत्याशी को A, B, C .... के माध्यम से चुन सकती है।
अब आते हैं कि इसका क्या फायदा मिलेगा?
लोगों का समय बचेगा
सरकार का खर्च बचेगा
धांधली की संभावना नहीं होगी। सब आॅनलाईन होगा
चुनाव परिणाम वाटिंग के साथ जारी होती रहेगी।
चुनाव को लेकर विभिन्ने चैनलों का जो आज रहता है वो बंद होगा। हां वे विश्लेषण करवा सकते हैं सब कुछ दिखता रहेगा ।
खैर जिस दिन हो जाएं तो क्या कहने । मगर इसके लिए एक बार सरकारी मशीनरी को तबीयत से काम करना पड़ेगा तभी संभव है ।सभी मतदाताओं के आधार को जोड़ना पड़ेगा वोटिंग लिस्ट के साथ ।
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