इतिहास
पुराने समय मेें यह रतनपुर कहलाता था। और बाद में इस क्षेत्र को बिलासबाई केंवटीन के नाम से बिलासपुर रखा गया । इस क्षेत्र में रत्नदेव ( 1120-1135 ई.) का राज था और इसीलिए इसे रतनपुर कहते थे। और यहां उस वक्त घना जंगल हुआ करता था
जिसमें केवट जाति के लोग रहते थे। किवदंती के अनुसार एक बार राजा रतनदेव के सैनिक महाराज के षिकार के दौरान शिकार का पीछा करते केवटों की बस्ती आ गए और चना बेचने वाली बिलासा बिलसिया नाम की कन्या से र्दुव्यवहार किया और आत्मग्लानी से भरी बिलासा ने आत्महत्या कर ली। महाराज के सैनिकों को महाराज ने सजा दी और इस क्षेत्र को बिलासा का नाम दे दिया और आगे चलकर यह बिलासपुर बना गया नामकरण को लेकर सीएमडी महाविद्यालय के प्रोफेसर
आरजी षर्मा का ग्रन्थ छत्तीसगढ़ दर्षन कैप्टन जे फोरसिथ का षोध ग्रंथ का हवाला देता है । और कहते हैं कि पलाष के वृक्षों की प्रचुरता और इससे जुड़े व्यवसाय ने इसे पलाषपुर का नाम दिया जिसे अंग्रेजों ने बिलासपुर बना दिया। पलाष पर आधारित दोना-पत्तल का व्यवसाय आज भी यहाँ प्रचलित है।
वर्तमान बिलासपुर
वर्तमान बिलासपुर जिले की स्थापना 1861 में हुई थी । 1998 में इस जिले से जांजगीर - चांपा और कोरबा को अलग कर नए जिले बनाए गए थे।
मराठा शासक बिम्बाजी भोंसले ने 1770 ई. में बिलासपुर को नगर का रूप दिया । और यह 1861 में जिला बना। फिर बाद में 1956 को संभागीय मुख्यालय बना।
बिलासपुर में क्या हुआ पहली बार
- 1906 दुर्ग जिले का गठन हुआ बिलासपुर का 363 वर्ग मील क्षेत्र दुर्ग में चला गया । और 706 वर्गमील क्षेत्र रायपुर में मिला लिया गया । 70 वर्गमील क्षेत्र उड़ीसा प्रात में मिला दिया गया ।
- जिले का प्रथम बंदोबस्त 1868 में मिस्टर चिसम् ने एवं दूसरा 1888 में मिस्ट एसएस केरी ने किया था।
- दक्षिण-पूर्व रेल्वे के अन्तर्गत बिलासपुर रेल्वे से 1890 में जुड़ा और बिलासपुर कटनी लाईन 1891 में बनने के बाद यह जंक्षन बना । यहाँ1887 में नगरपालिका की स्थापना हुई , तथा 1881 में बनी ।
- यहाँ नाट्य थियेटर 1927 में बना जो आज श्याम टाॅकीज है। नगर में पहला महाविद्यालय शिव भगवान रामेश्वरलाल( एस.बी.आर. )1944 में महाकोशल शिक्षण द्वारा स्थापित किया गया ।
दर्शनीय स्थल
- कनन पेण्डारी ( वन्य प्राणी संरक्षण गृह एवं उद्यान विवेकानंद उद्यान )
- श्री दीनदयाल उपाध्याय स्मृति वन व्यापार विवार ,
- श्री अयप्पा स्वामी मंन्दिर ,काली मंदिर (तिफरा), आदि हैं।
- रतनपुरा यह एतिहासिक, धर्मिक स्थल है। बिलासपुर से लगभग 25 किमी की दूरी पर बिलासपुर कटघोरा, मार्ग पर रतनपुर स्थित है। यह तालाबों और मंदिरों से भरा एक धार्मिक नगर है। इसका काफी एतिहासिक और पुरातात्विक महत्व है। कल्चुरी राजाओं की यह राजधानी हुआ करती थी ।
- महामाया मंदिर नगर में एक प्रसिद्ध मंदिर है। 11 सदी में राजा रत्नदेव ने इसका निर्माण कराया था। नवरात्र के अवसर पर यहाँ भव्य मेला लगता है। गर्भ गृह में महामाया की प्रतिमा है। कल्चुरी काल में यह सभी तरह की गतिविधियों का केन्द्र था।
इसके अलावा यहाँ भैरव मंदिर, राम पंचायतन मंदिर जो राम टेकरी में है। , श्री वृद्धेष्वरनाथ मंदिर, श्री रत्नेष्वर महादेव, भुवनेष्वर महादेव, लखनी देवी मंदिर (इकबीर का मंदिर) मण्ठदेऊल मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, मल्ली मकरबन्ध, रतनपुर का किला, सती चैरे, बीस दुबरिया ( सती मंदिर), मूसा खाँ की रदगाह आदि स्थल दर्शनीय हैं।
बिलासपुर के आसपास के दर्शनीय क्षेत्र
खूंटाघाट जलाशय , पाली यहाँ हजार साल पुराना एक शिव मंदिर है।
इसके अलावा कहवीर चबूतरा, बेलपान, लूथरा शरीफ, मल्हार ,अचानकमार,धनपुर के एतिहासिक,पुरातात्विक मंदिर, आदि पर्यटन स्थल हैं।
जानने योग्य बातें
2011 की जनगणना के अनुसार जिले की जनसंख्या 19,61,922 है। बिलासपुर जिले से सारंगी नदी बहती है। इस जिले में 7 विधानसभा सीट, तथा 1 अनारक्षित लोकसभा सीट है।