लद्दाख में स्थित गलबान घाटी में भारतीय सेना और चीनी सेना के जवानों के बीच झड़प में 20 सैनिकों की मौत हो गई तो पूरे देश में चीनी सैनिकों के हमले की निंदा हुई । गलबान घाटी में चीनी हस्तक्षेप की घटना आज की नहीं है जब से यहां निर्माण कार्य शुरू हआ है तब से चीन रोड़ा डालने की कोशिश करता आया है। जानते हैं क्या है यह मसला। क्यों चीन नहीं चाहता कि गलबान घाटी में सड़क निर्माण हो।
तो सवाल यह उठता है कि चीन को तब तक कोई आपत्ति नहीं थी । तो उसे सड़क निर्माण पर कब एतराज हुआ ?
पुराना है यह किस्सा?
जब अटलबिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और जाॅर्ज फर्नाडिस रक्षा मंत्री थे तो उस वक्त सरकार ने यह महसूस किया कि भारत और चीन की सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं । वहाँ इन क्षेत्रों पर स्ट्रेटेजिक सड़कें बननी चाहिए। स्ट्रेटेजिक सड़क का तात्पर्य यह है कि ऐसी मजबूत सड़क जिसमें भारी से भारी वाहन (टैंक, तोप गाड़ी ) चले तो भी सड़कें सुरक्षित रहें । उन्हें कोई नुकसान न हों । इसके लिए तत्कालीन सरकार ने 61 ऐसे जगहों पर सड़क निर्माण की जरूरत महसूस की और निर्माण कार्य प्रारम्भ किया गया। और 75 % सड़कें बन कर तैयार हैं । जब ये सड़कें अरूणाचल प्रदेश से होकर गुजरीं तो वहां के लोगों ने सड़क की महत्ता को समझते हुए अपनी ज़मीन मुफत में ही सरकार को दें दीं ।तो सवाल यह उठता है कि चीन को तब तक कोई आपत्ति नहीं थी । तो उसे सड़क निर्माण पर कब एतराज हुआ ?
विवाद का मुद्दा
बी आर ओ ने जब 75 % सड़कों को पूरा कर लिया । चीन की चिढ़ वहाँ से उपजी जब कोराकोरम रेंज में स्थित दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में भारत ने पक्की सड़कें बनावा दी ।जो सियाचीन को भी जोड़ती हैं।
बनने वाले सड़क निर्माण को लेकर चीन चिंतित है।यह सड़क का नाम है डारबुक शियाक ।
यह सड़क जब लिंक होकर गलबान घाटी की तरफ गई तो चीन और बौखला गया है। इसी सड़क को रोकने के लिए चीन आमादा है। क्योंकि भारतीय सेना को गलबान घाटी में इस सड़क की वजह से घाटी पहुँचने में केवल 35 मिनट लगेगा । और सियाचनी की तरफ से अगर फौज गई तो 8 घंटे से ज्यादा समय गलबान घाटी जाने में लग सकता है। बनने वाले सड़क निर्माण को लेकर चीन चिंतित है।यह सड़क का नाम है डारबुक शियाक ।
इसके अलावा सियाचीन काफी ऊँचाई पर स्थित है तो इसका फायदा भारतीय सैनिकों को मिलेगा। और इतनी ऊँचाई से चीन की हर हरकात को भारत नजर रख सकता है।
क्या चाहता है चीन ?
चायना का कहना है इसी सड़क निर्माण को बंद किया जाए। और भारत का कहना है अगर यह रूक गया तो चीन कभी आक्रमक हो सकता है। जिससे भारत को नुकसान उठाना पड़ जाएगा।
इससे भारत को अंतराष्ट्रीय मंच पर यह प्रमाण देने की जरूरत नहीं पड़ी कि ये जगहें चीन की नहीं भारत की हैं तभी वह इन जगहों पर पर्यटकों के लिए पास जारी कर रहा है।
ऊँचाई के कारण यह महत्वपूर्ण है । क्योंकि इससे चीनी हरकतों को भारतीय सेना नजर रख सकती हैं ।
सड़क की विषेशताएं
पक्की सड़क- भारत सरकार ने 2001 में लेह से दौलत बेग तक पक्की सड़क बनाने का फैसला किया। तभी से चीन कुछ चिढ़ गया। फिर भारत ने पक्की सड़क का निर्माण किया,
मिलिट्री बेस- दौलत बेग में भारतीय वायुसेना के हेलीपैड के साथ-साथ एयरबेस भी बने हुए हैं। यही नहीं यहां पर भारतीय सेना के जवान हमेशा मुस्तैदी से तैनात रहते हैं। सबसे खास बात यह कि चीन की एयरफोर्स को पहाड़ों पर जंग लड़ने का अनुभव नहीं है
चीनी आर्मी पर भी दबाव
सड़क बनाना सम्भव नहीं है ऐसा चीन की सरकार को चीनी खुफिया तंत्र ने बताया था, मगर सड़क बनकर तैयार हो गई तो चीनी सेना को खौफ होना स्वाभाविक है। और सड़कें बनी ही नहीं बल्कि
क्या चाहता है चीन ?
चायना का कहना है इसी सड़क निर्माण को बंद किया जाए। और भारत का कहना है अगर यह रूक गया तो चीन कभी आक्रमक हो सकता है। जिससे भारत को नुकसान उठाना पड़ जाएगा। भारत के कदम
भारत ने सियाचीन और दौलत बेग गोल्डी को पर्यटकों के लिए खोल दिया । और वहाँ पर्यटन पर जाने के लिए पास जारी कर करने लगा।इससे भारत को अंतराष्ट्रीय मंच पर यह प्रमाण देने की जरूरत नहीं पड़ी कि ये जगहें चीन की नहीं भारत की हैं तभी वह इन जगहों पर पर्यटकों के लिए पास जारी कर रहा है।
लदा्ख के क्षेत्र में एक नदी है डारबुक शियाक
डारबुक से शुरू होकर शियाक नाम की नदी पर खत्म होने वाली यह सड़क काफी महत्वपूर्ण है इसीलिए इसे डारबुक शियाक कहते हैं । यह दौलत बेग ओल्डी तक 250 किमी तक लम्बी है यह सड़कदौलत बेग ओल्डी क्या है?
इतिहास- इस स्थान का नाम दौलत बेग ओल्डी 16वीं सदी में यारकंडी के एक दार्शनिक के नाम पर पड़ा। वो चीन का रहने वाला था, लेकिन उसकी मृत्यु इसी स्थान पर हुई थी। नाम से देखा जाये तो दौलत बेग ओल्डी एक भारतीय नाम है, इसमें चीनी भाषा का कोई शब्द भी नहीं है। लेकिन सिर्फ इसी ऐतिहासिक घटना के कारण चीन बीच-बीच में इस स्थान पर अपना दावा पेश करता रहता है। असली खींच तान तब मची जब भारत ने सियाचीन और दौलत बेग ओल्डी पर पर अपना एअर फोर्स बेस स्थापित किया । ये काफी ऊँचाई पर मौजूद हैं । और यहां से महज नौ किमी की दूरी है नीचे की तरफ गलबाॅन घाटी ।ऊँचाई के कारण यह महत्वपूर्ण है । क्योंकि इससे चीनी हरकतों को भारतीय सेना नजर रख सकती हैं ।
सड़क की विषेशताएं
- 2500 किमी लम्बी यह सड़क 14 हजार मीटर की ऊँचाई पर बनाई गयी है। पहले भारी वाहन नहीं जा सकते थे । सड़क बन जाने के कारण अब यह सरल हो गया है।
- 2019 में भारत ने स्याक नदी के ऊपर एक पुल बना दिया है।
पक्की सड़क- भारत सरकार ने 2001 में लेह से दौलत बेग तक पक्की सड़क बनाने का फैसला किया। तभी से चीन कुछ चिढ़ गया। फिर भारत ने पक्की सड़क का निर्माण किया,
मिलिट्री बेस- दौलत बेग में भारतीय वायुसेना के हेलीपैड के साथ-साथ एयरबेस भी बने हुए हैं। यही नहीं यहां पर भारतीय सेना के जवान हमेशा मुस्तैदी से तैनात रहते हैं। सबसे खास बात यह कि चीन की एयरफोर्स को पहाड़ों पर जंग लड़ने का अनुभव नहीं है
चीनी आर्मी पर भी दबाव
सड़क बनाना सम्भव नहीं है ऐसा चीन की सरकार को चीनी खुफिया तंत्र ने बताया था, मगर सड़क बनकर तैयार हो गई तो चीनी सेना को खौफ होना स्वाभाविक है। और सड़कें बनी ही नहीं बल्कि
- दौलत बेग ओल्डी पर ए एम छोटा विमान उतरा (30-40 सीटर)गया तो चीन ने कोई ध्यान नहीं दिया ।
- मगर सबसे बड़ा विमान जब सी 17 , विमान / ग्लोब मास्टर और हरक्यूअिस ( 70 टन वजनी सामान ढोने वाला विमान) यहां उतारा गया तो चीन के कान खड़े हो गए
सियाचीन ग्लेसिअर जो काफी दुर्गम इलाका है वहाँ भारत ने चीता,चेतक, ध्रव हैलीकाॅप्टर उतार चुका है ।
इसी बीच चीन ने पाकिस्तान से सीधा सम्पर्क करने के लिए सीटीएसी सड़क का निर्माण कर रहा है । और भारत इन्हीं एअर बेस की मदद से इस निर्माण को रोक सकता है।
इसी बीच चीन ने पाकिस्तान से सीधा सम्पर्क करने के लिए सीटीएसी सड़क का निर्माण कर रहा है । और भारत इन्हीं एअर बेस की मदद से इस निर्माण को रोक सकता है।