क्यों यह समझ में नहीं आया मगर छूट मिलने लगी। और फिर कोरोना ने अपना कहर दिखाना शुरू कर दिया । सबसे पहले छत्तीसगढ़ में 9 साल के एक बच्ची की जान चली गई । तो सवाल ये उठता है यहां कोरोना ने अपने पैर किस प्रकार जमाए । जहाँ कारोना का नामोनिशान नहीं था वहाँ क्यों कोरोना फैला ?
कोरोना क्यों फैला यह समझने के लिए पहले इसके हर पहलुओं को समझना होगा।
नवम्बर
17 नवम्बर को यह पहली बार चीन में पैदा हुआ । यह नए प्रकार का होने के कारण इसे कोविड 19 कहा गया ।
जनवरी
भारत में पहली बार जनवरी के महिने में सुरक्षात्मक उपाय लागू किए गए थे। भारत ने 21 जनवरी को चीन से आने वाले यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग शुरू की। यह स्क्रीनिंग शुरू शुरू में सात हवाई अड्डों पर लागू की गई । फिर इसे जनवरी के अंत में 20 हवाई अड्डों तक पर लागू किया गया । फरवरी के दौरान, स्क्रीनिंग को थाईलैंड, सिंगापुर, हांगकांग, जापान और दक्षिण कोरिया से आने वाले यात्रियों पर लागू किया गया ।बाद मेें, नेपाल, वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया के यात्रियों को भी फरवरी के अंत तक शामिल किया गया ।
फरवरी
इस बीच भारत में अमेरिकी राष्ट्रपति भारत आए और भीड़-भाड़ हंगामें के बीच भारत में उनके स्वागत को लेकर कई कार्यक्रम आयोजि किए गए जिसमें लाखों की संख्या में लोग जमा हुए थे। ये बात गौर करने वाली है कि कोरोना के प्रति लोग तब भी गंभीर नहीं थे।
होली त्यौहार मनाई गई जाहिर है इस समय तक भी कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या कम होने के कारण इसे गंभीरता से नहीं लिया गया । 19 मार्च तक भारत विदेषों में मेडिकल दवाओं की सप्लाई भी करता रहा । हांलाकि,
मार्च
और प्रारम्भिक तौर पर यह देखा जाता रहा कि जो विदेश से भारत आएं है या रोगियों के सम्पर्क में आए है उन्हें ही कोरोना हुआ मगर बाद के अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ कि कोरोना का फैलाव चार चरणों में होता है।
भारत में कोरोना फैलने के कारण
कोरोना का फैलाव कोई ऐसी घटना नहीं है जिसे अनायास कहा जा सके । ये पूरी तरह से लापरवाही और अज्ञानता के कारण यहां फैला है।
- क्वारंटाईन सेंटर की बात कहें तो यह समझ में आता है कि इसे पाजिटिव पाए गए लोगों या बाहर से आए गए लोगों को वायरस न फैल सके इसलिए बनाया गया है । वैज्ञानिकों की माने तो वायरस अपना असर दिखाने में 14 दिन का समय लगाता है । जब से यह बात पता चली तो बाहर से आए लोगों के लिए हर जगह क्वारेंटाईन सेंटर बनाया गया जिसमें इन्हें हर सुविधा देकर रूकवाया जाता था।मगर जमीनी हकी़कत यह है कि इन सेंटर्स में सुविधाओं का अभाव है । बुनियादी सुविधाएं जैसे पानी,बिजली को नामो निशान नहीं था । ऐसे में यहाँ रखे लोग एक या दो दिन रहने के बाद भागने लगे और सरकार यह पीठ थपथपाती रही कि हमने इनके लिए क्वारेंटाईन सेंटर बनाए हैं । यही भागने वाले अक्सर अपने घर पहँुचकर आसपास व घरों में इन्फैक्षन फैलाते रहें जिसका नतीजा यह निकाला कि यह यहां कोरोना ने विकराल रूप ले लिया ।
- 12 मार्च के बाद देश के अलग-अलग राज्यों में मजदूर थे । वे ऐसे मजदूर थे जो काम काज की तलाश में अपने राज्यों से दूर जाकर प्रतिवर्ष काम पर जाते थे। अचानक हुए लाॅक डाऊन के कारण उनके काम काज बंद हो गए । और उन्हें वहीं रहने के लिए कहा गया । उनके रहने के लिए अभावग्रस्त क्वारेंटाईन सेंटर में रहने को मजबूर कर दिया गया या अस्थाई रहने के व्यवस्था की गई । इन अस्थाई निवासों में बुनियादी सुविधाएं भोजन पानी का अभाव था। लिहाजा एक दो दिन सहने के बाद मजदूरों को अपने राज्य जाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा। कोई साधन नहीं होने के चलते वे पैदल ही निकल पड़े।
- सरकार ने उनके लिए बसों और रेल्वे से लाने ले जाने की व्यवस्था की । तो वे नाकाफी साबित हुई । तो सैकड़ो लोग जमा हुई जिसमें Social Distancing नही हो पाई । ऐसे में दिल्ली मुम्बई और दूसरे राज्यों में काफी भीड़ जमा होती गई। फिर कुछ छात्र जो कोटा में फंसे थे उनके लिए काफी स्वर उभर कर आए जिससे सरकार ने उनकी व्यवस्था करनी पड़ी।
कुल मिलाकर बिना योजना के लाॅक डाऊन के कारण ऐसी स्थिति बनी।
ये किया जा सकता था।
सम्पूर्ण देश में लाॅक डाऊन के पहले कुछ मियाद दी जा सकती थी जिससे पूरे देश में अलग-अलग राज्यों में लोग अपने घर तक पहुँच जाते तो अनावश्यक भीड़ नहीं होती और कोरोना के फैलाव को रोका जा सकता था।
आरोग्य सेतु
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने देश में कोरोना महामारी से निपटने के लिए ‘‘संपर्क ट्रेसिंग और प्रसार से युक्त’’ आरोग्य सेतु नामक एक स्मार्ट फोन एप्लिकेशन लॉन्च किया है। विश्व बैंक ने महामारी से निपटने के लिए इस तरह की तकनीक सहायता की सरहाना की है। इस एप की मदद से आस-पास कोरोना को ट्रेक करने में काफी मदद मिलेगी।