गुलाम वंश का अंतिम शक्तिषाली शासक बलबन था ।
उसके बाद जो भी आए वे कमजोर साबित हुए। वे सल्तनत को ठीक से संभ्भाल नहीं सके । इसका नुकसान यह हुआ कि सल्तनत कमजोर पड़ने लगा। और फिर अवसर का लाभ उठाते हुए 70 वर्षीय जलालुद्दीन खिलजी ने 1290 में सत्ता हथिया ली और खिलजी वंश ( Khilji Dynasty ) की स्थापना की ।
कौन कौन थे प्रमुख शासक ?
उसके बाद जो भी आए वे कमजोर साबित हुए। वे सल्तनत को ठीक से संभ्भाल नहीं सके । इसका नुकसान यह हुआ कि सल्तनत कमजोर पड़ने लगा। और फिर अवसर का लाभ उठाते हुए 70 वर्षीय जलालुद्दीन खिलजी ने 1290 में सत्ता हथिया ली और खिलजी वंश ( Khilji Dynasty ) की स्थापना की ।
कौन कौन थे प्रमुख शासक ?
जलालुद्दीन खिलजी
जलालुद्दीन खिलजी इस वंश (Khilji Dynasty ) संस्थापक था । वह 70 साल की उम्र में गुलाम वंश के बाद सिंहासन पर बैठा और इस वंश की स्थापना की । वह हमेषा अपने भतीजे अलाउद्दीन को हमेशा अपने साथ सैन्य गतिविधियों में ले जाया करता था। अलाउद्दीन खिलजी अति महत्वाकांक्षी था । वह जलालुद्दीन की जगह सुल्तान बनना चाहता था। इसीलिए उसने धोखे से जलालुद्दीन की हत्या कर दी । उस वक्त वह देवगिरी के शासक को हराकर लौट रहा था।
अलाद्दीन
अलाद्दीन 1296 में सुल्तान बना
वह बहुत कुशल और बहादुर प्रशासक था। वह सिकंदर की तरह विष्व विजेता बनना चाहता था। उसने इसी महत्वाकांक्षा के चलते गुजरात, रणथंबौर, चितौड़, मालवा, मेवाड़ इत्यादि पर विजय प्राप्त की । और उत्तर भारत में देवगिरी, वारंगल, मदुराई और दक्षिण में अन्य कुछ राज्यों को जीता । उसके पास कुषल प्रशिक्षित सेना थी । कोई उसकी सेना में दूसरा प्रवेष न कर सके इसीलिए हुलिया या दाग बनाए थे। उसकी सेना में सैनिकों को cash दिया जाता था। तथा इसके अलावा कई सुविधाएं मिलती थी ।
अलाउद्दीन नहीं चाहता था कि नोबल धन को बर्बाद करें । इसीलिए उसने भारी कर जनता पर लगाया था।
उसने कई सुधार कार्य भी किए जिसे आगे चलकर कई शासकों ने अपनाया
उसने शराब की बिक्री और खरीदी पर रोक लगा दी।
उसने बगावत को रोकने के लिए एक शक्तिषाली प्रषासन का गठन किया ।
वह अपने राजकाज में धर्म गुरू उलेमा और मुल्ला के हस्तक्षेप के सख्त खिलाफ था।
उसके आर्थिक सुधार काफी प्रसिद्ध हुए । उसने सामानों की खरीदी पर नियत राषि की शुरूआता की । और राशन व्यवस्था की शुरूआत भी अलाउद्दीन ने ही की । उसके राज्य में अलग-अलग सामानों की अलग -अलग बाजार बने थे। खरीदारों को धोखा देने वालों को वह सख्त सजा देता था। व्यापारियों पर वह कड़ी नजर रखता था। भू राजस्व नियंत्रण का श्रेय भी अलाउद्दीन को जाता है। मगर हिन्दुओं का जीवन उसके कार्यकाल में काफी दयनीय था क्योंकि उन्हें सर्वाधिक टैक्स देने पड़ते थे।
अलाउद्दीन नहीं चाहता था कि नोबल धन को बर्बाद करें । इसीलिए उसने भारी कर जनता पर लगाया था।
उसने कई सुधार कार्य भी किए जिसे आगे चलकर कई शासकों ने अपनाया
उसने शराब की बिक्री और खरीदी पर रोक लगा दी।
उसने बगावत को रोकने के लिए एक शक्तिषाली प्रषासन का गठन किया ।
वह अपने राजकाज में धर्म गुरू उलेमा और मुल्ला के हस्तक्षेप के सख्त खिलाफ था।
उसके आर्थिक सुधार काफी प्रसिद्ध हुए । उसने सामानों की खरीदी पर नियत राषि की शुरूआता की । और राशन व्यवस्था की शुरूआत भी अलाउद्दीन ने ही की । उसके राज्य में अलग-अलग सामानों की अलग -अलग बाजार बने थे। खरीदारों को धोखा देने वालों को वह सख्त सजा देता था। व्यापारियों पर वह कड़ी नजर रखता था। भू राजस्व नियंत्रण का श्रेय भी अलाउद्दीन को जाता है। मगर हिन्दुओं का जीवन उसके कार्यकाल में काफी दयनीय था क्योंकि उन्हें सर्वाधिक टैक्स देने पड़ते थे।
खिलजी वंश ( Khilji Dynasty ) का अंत
अलाउद्दीन की मौत के बाद मुबारक शाह सुल्तान बना । वह कमजोर सुल्तान सबित हुआ। उसके युग में सभी कर और पेनाल्टी खत्म कर दिए गए। लड़ाईयों में कैद किए गए सभी कैदियों को उसने रिहा करवा दिया । अंततः खुसरो खान ने उसकी हत्या कर दी और खिलजी वंश ( Khilji Dynasty ) का भी अंत हो गया ।
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