आरोग्य सेतु (Aarogya Setu Mobile App) को अगर आप अपने फोन पर डाऊन लोड करते हैं तो इसके कई फायदे होगें ।
जिसके बारे में विस्तार से चर्चा करने का मैने यहाँ प्रयास किया है। कोरोना के विस्तार के मद्देनजर सरकार ने ये मोबाईल एप बनाया है जिसका उद्देश्य कोरोना संबंधी स्वास्थ्य सेवाओं को लोगों से जोड़ना है । कोरोना के सम्भावित जोखिम को देखते हुए उनके स्वस्थ्य रहने के लिए अपनाई जाने वाली अच्छी आदतों के साथ कैसे कोरोना से बचे ? इस बारे प्रसंगिक और उचित, चिकित्सकीय परामर्श दिया गया है ।
Aarogya Setu Mobile App की प्रमुख विशेषताएं
- ब्लूटूथ के जरिए स्वतः संक्रमण सम्पर्क का पता लगाना ।
- Medical Council of Research की गाईडलाईन्स के आधार पर मोबाईल धारक स्वयं अपनी जांच कर लेता है।
- उपयोग कर्ता कितने रिस्क में है यह बताता है।
- कोरोना संक्रमण की स्थिति उसके क्षेत्र में कितनी है यह बताता है । देष में कहाँ-कहाँ सक्रमण है यह बताता है।
- आपात नम्बरों की जानकारी देता है। अपने क्षेत्र में जांच की सुविधा कहाँ है यह बताता है।
- भारत की 12 भाषाओं में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं ।
अब तक जो भी सुना पढ़ा है उससे यह तो समझ आ गया कि यह कोई वायरस ट्रैकर तो है नहीं जो शरीर में कोरोना वायरस आने की जानकारी दे फिर कोई क्यों आरोग्य सेतू डाउनलोड करे।यह सत्य है कि Aarogya Setu Mobile App (आरोग्य सेतू) कोई कोरोना ट्रैकर एप्पस नहीं है। जो जानकारी है उसके अनुसार अभी कोरोना संक्रमित व्यक्ति की पुष्टि लैब में परीक्षण के बाद ही होती है।
एक ही सैम्पल का 3 बार टेस्ट करने के बाद ही पक्का होता है कि कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है।
मान लो आपके व हमारे मोबाइल में आरोग्य सेतू है।
आप और हम जब कोई भी एप्स डाउनलोड करते है तो एप्स के कंट्रोल सिस्टम में एक कोड जनरेट होता है और आपके लागिन करने से कोड के उपयोगकर्ता के रुप में आपका नाम, मोबाइल नम्बर या ईमेल आइडी दर्ज हो जाता है।
आप और हम जब कोई भी एप्स डाउनलोड करते है तो एप्स के कंट्रोल सिस्टम में एक कोड जनरेट होता है और आपके लागिन करने से कोड के उपयोगकर्ता के रुप में आपका नाम, मोबाइल नम्बर या ईमेल आइडी दर्ज हो जाता है।
इन कारणों के लिए करें Aarogya Setu Mobile Aap
अब मान लीजिये हम दोनों ने आरोग्य सेतू एप्स डाउनलोड किया हूआ है। और हम दोनों के बीच कोई जान पहचान नहीं है। हम कभी एक दूसरे से मिले ही नहीं है। आप और हम एक ही समय पर चैक बाजार गये। इत्तिफाक से आपकी और हमारी दूरी 9 फीट से कम होती है और हम दोनों के मोबाइल का ब्लूटूथ ऑन है तो आपके व हमारे मोबाइल का आरोग्य सेतू एक दुसरे का सिग्नल कनेक्ट कर लेगा। कहने का मतलब आपका आरोग्य सेतू ऐप यह नोट कर लेगा कि अमुक कोड वाला व्यक्ति अमुक कोड वाले व्यक्ति के सम्पर्क में इस समय इस स्थान पर आया।’
इसमें एक पहलू यह भी है
अब मान लीजिये मैं किसी भी तरह से कोरोना संक्रमित हो गया। मेरा स्वाब टेस्ट के लिये लैब में जायेगा। कलेक्ट किया गया सैम्पल जैसे ही लैब में पहुचेगा लैब में सैम्पल लिये जाने वाले व्यक्ति का डिटेल कम्पयूटर में भरा जायेगा। जैसे ही वह कम्प्यूटर में मेरा नाम पता फोन नम्बर वगैरह डाला जाएगा। दिल्ली के कंट्रोल रूम के पास जानकारी हो जायेगी कि इस व्यक्ति की जांच का सैम्पल इस लैब में आया है। अब कम्प्यूटर में आपके डिटेल डालने के बाद सैम्पल की जांच प्रक्रिया आगे बढेगी।
जांच के उपरांत जब यह तय हो जायेगा कि मैं पाजिटिव हुँ या निगेटिव तब मेरे डिटेल के आगे ही लिखा जायेगा कि मैं निगेटिव हुँ या पाजिटीव।
अब अगर मैं पाजिटिव हुआ तो मेरे मोबाइल नम्बर से जुडा आरोग्य सेतू एक्टिव हो जायेगा और 21 दिन के भीतर जितने आरोग्य सेतू मेरे सम्पर्क में आये है सबको नोटिफिकेशन भेज कर उनके एप्स को आरेन्ज कर देगा। यहाँ पर आरोग्य सेतु एप एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जानकार लोगों की माने तो देष के हर नागरिक को यह एप डाऊन लोड कर लेना चाहिए ताकि संक्रमितों की पहचार करने में आसानी हो सके।
अब जिन्हें कोरोना का कोई संक्रमण नहीं है उस व्यक्ति तक सूचना पहँुच जाएगी कि आप अमुक तारीख को अमुक समय पर अमुक स्थान पर किसी व्यक्ति के सुरक्षा दायरे के अंदर आये थे और वह व्यक्ति आज कोरोना पाजिटिव पाया गया है।
सूचना के साथ-साथ कुछ निर्देश भी आपके लिये होँगे। जिनको पालन कर आप संक्रमण को और बढ़ने से रोक सकते हैं । अब तो आप समझ गए होंगें कि आरोग्य सेतु क्यों जरूरी है डाऊन लोड करना ।
आपकी जिम्मेदारी क्या होगी?
ऐसे में आपकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है भले ही आपमें लक्षण मौजूद न दिखे आप तत्काल डाक्टर से मिलकर अपना अपना नोटिफिकेषन दिखाएं और उनकी राय लें। और जैसा डाक्टर कहें आँख बंद कर उसका अनुशरण करें ।
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है ? जो अस्सर लोग उठाते हैं वह है - नोटिफिकेशन आने के बाद अगर मैं ना जाऊ तो ??
जांच के उपरांत जब यह तय हो जायेगा कि मैं पाजिटिव हुँ या निगेटिव तब मेरे डिटेल के आगे ही लिखा जायेगा कि मैं निगेटिव हुँ या पाजिटीव।
अब अगर मैं पाजिटिव हुआ तो मेरे मोबाइल नम्बर से जुडा आरोग्य सेतू एक्टिव हो जायेगा और 21 दिन के भीतर जितने आरोग्य सेतू मेरे सम्पर्क में आये है सबको नोटिफिकेशन भेज कर उनके एप्स को आरेन्ज कर देगा। यहाँ पर आरोग्य सेतु एप एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जानकार लोगों की माने तो देष के हर नागरिक को यह एप डाऊन लोड कर लेना चाहिए ताकि संक्रमितों की पहचार करने में आसानी हो सके।
अब जिन्हें कोरोना का कोई संक्रमण नहीं है उस व्यक्ति तक सूचना पहँुच जाएगी कि आप अमुक तारीख को अमुक समय पर अमुक स्थान पर किसी व्यक्ति के सुरक्षा दायरे के अंदर आये थे और वह व्यक्ति आज कोरोना पाजिटिव पाया गया है।
सूचना के साथ-साथ कुछ निर्देश भी आपके लिये होँगे। जिनको पालन कर आप संक्रमण को और बढ़ने से रोक सकते हैं । अब तो आप समझ गए होंगें कि आरोग्य सेतु क्यों जरूरी है डाऊन लोड करना ।
आपकी जिम्मेदारी क्या होगी?
ऐसे में आपकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है भले ही आपमें लक्षण मौजूद न दिखे आप तत्काल डाक्टर से मिलकर अपना अपना नोटिफिकेषन दिखाएं और उनकी राय लें। और जैसा डाक्टर कहें आँख बंद कर उसका अनुशरण करें ।
ऐसे में सवाल उठना लाजमी है ? जो अस्सर लोग उठाते हैं वह है - नोटिफिकेशन आने के बाद अगर मैं ना जाऊ तो ??
ऐसे में चिकित्सा विज्ञान कहता है अगर आपको संक्रमण आ गया हो तो आप भी बहुत जल्द बिस्तर पर आ जाएंगे तब तक बहुत देर हो सकती है। क्या पता
इस तरह एक बात तो तय है कि आरोग्य सेतू पर शक करने के बजाए आप इसे अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए अवश्य, बिना समय गंवाए डाऊन लोड कीजिए ! अब मुझे कोई शक नहीं है।
बस इतना ध्यान रखिए !
कि घर से निकलने से पहले अनिवार्य रुप से चेक कर लिया जाये कि मोबाइल का ब्लूटूथ व लोकेशन ऑन है या नहीं,
इसके बाद ही कदम बाहर रखा जाये। क्योंकि जब आपका ब्लूटूथ चालू रहेगा तो आपके संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान करने में आसानी होगी। और उसके मोबाईल से आपका मोबाईल जुड़ जाएगा। इसीलिए कहा जाता है कि ब्लूटूथ हमेषा चालू रखें । वर्तमान दौर में यही एक तकनीक है जो निकटता को बताता है।
छत्तीसगढ़ में Indian Council of Medical Research द्वारा स्वीकृत दो ही प्रयोगशालाएं है जहाँ करोना का परीक्षण होता है।
इस तरह एक बात तो तय है कि आरोग्य सेतू पर शक करने के बजाए आप इसे अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए अवश्य, बिना समय गंवाए डाऊन लोड कीजिए ! अब मुझे कोई शक नहीं है।
बस इतना ध्यान रखिए !
कि घर से निकलने से पहले अनिवार्य रुप से चेक कर लिया जाये कि मोबाइल का ब्लूटूथ व लोकेशन ऑन है या नहीं,
इसके बाद ही कदम बाहर रखा जाये। क्योंकि जब आपका ब्लूटूथ चालू रहेगा तो आपके संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान करने में आसानी होगी। और उसके मोबाईल से आपका मोबाईल जुड़ जाएगा। इसीलिए कहा जाता है कि ब्लूटूथ हमेषा चालू रखें । वर्तमान दौर में यही एक तकनीक है जो निकटता को बताता है।
छत्तीसगढ़ में Indian Council of Medical Research द्वारा स्वीकृत दो ही प्रयोगशालाएं है जहाँ करोना का परीक्षण होता है।
- एक जगदपुर में है बलीराम कश्यप मेडिकल काॅलेज और दूसरा
- रायपुर में All India Institute Medical Science ।