छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी के निधन के बाद प्रदेश ने एक मजबूत नेता खो दिया है । ऐसे में उनके जीवन से जुड़े हर पहलू की याद आज ताजा हो गई है।
जब वे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री नहीं थे तब भी वे अपने राजनीतिक कार्यों से बस्तर आया करते थे ।
9 मई 2020 को गंगा इमली नामक एक फल का बीज उनकी सांस नली में अटक गया था। इसके बाद कॉर्डियक अरेस्ट के कारण उन्हें रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद जब वे हास्पिटल में भर्ती हुए तो उनका पर्थिव शरीर ही लौटा । मै बस्तर का रहने वाला हूँ इसीलिए बस्तर के परिपेक्ष्य में कहना ज्यादा लाजमि समझता हूँ
बस्तर से उनका खास लगाव था। वे कुशल प्रशासनिक अधिकारी, सफल राज नेता और शिक्षक थे। अपने जीवन में उन्होंने हर भूमिका का निर्वहन सफलता पूर्वक किया । प्रस्तुत ब्लाॅग एक प्रयास है उनके जीवन के बारे आरम्भ से अंत तक चर्चा करने का ।
21 अप्रैल 1946 को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में जन्मे थे। अपने इंटरव्यू में उन्होने बताया था कि जब वे छोटे थे एक बार उनके गांव में जिले के कलेक्टर आए उनकी उस जमाने में ठाठबाट ऐसी कि गांव के हर छोटे बड़े लोग ,युवा बुर्जुग उस कलेक्टर का पैर छू रहे थे । बालक जोगी को बड़ा आष्चर्य हुआ। और पता लगाया कौन है ? इतना क्यों लोग सम्मान दे रहें है ? बस यहीं से बालक जोगी के मन में कुछ ऐसा बनने की बात आई । तो गांव के एक शिक्षक थे । वे महारष्ट्रीयन ब्राहम्ण थे श्री काटपदाय । उन्होने उन्हें आई.ए.एस बनने के लिए प्ररित किया । कहते हैं शिक्षक ही है जो अपनी प्रेरणा से छात्र के जीवन की दिशा बदल कर रख देते है।और अजीत जोगी के साथ भी ऐसा ही हुआ। भोपाल से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री ली।
Ajit Jogi ने कुछ समय तक रायपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में अध्यापन भी किया । यहीं रहते हुये उन्होंने सिविल सर्विसेस की परीक्षा दी और भारतीय पुलिस सेवा के लिये चुने गये। डेढ़ साल तक पुलिस सेवा में रहने के बाद जोगी ने फिर से परीक्षा दी और वो भारतीय प्रशासनिक सेवा गए। इन परीक्षाओं में कभी उन्होंने आरक्षण का लाभ नहीं लिया ।
अपने करिअर की शुरूआत उन्होने एक प्राध्यापक के रूप में की । आईपीएस, आईएएस, सांसद और फिर मुख्यमंत्री बने । Ajit Jogi 16 सालों से व्हीलचेयर पर थे. एक सड़क दुर्घटना के बाद उनके कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था। अपनी इच्छाशक्ति और जिजीविषा के बल पर राज्य के सर्वाधिक चर्चित नेता बने रहे। उनके इसी गुण के कारण विरोधी भी उनकी तरीफ करते थे। Ajit Jogi अविभाजित मध्य प्रदेश में 14 सालों तक कई महत्वपूर्ण जिलों के कलेक्टर रहे। जिनमें रायपुर, इंदौर प्रमुख था। अपनी दबंग छवि के कारण वो मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के काफी नजदीकी लोगों में थे।
जब वे इंदौर के कलेक्टर थे तभी उन्होंने अर्जुन सिंह और राजीव गांधी की सलाह पर ही नौकरी छोड़ी और फिर उन्हें कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा का सदस्य बनाया। और फिर वे जल्दी ही अजित जोगी राजीव गांधी की कोर टीम के सदस्य बन गये। वे दो बार राज्यसभा के लिये चुने गए । कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता भी बनाया।
1998 में उन्होंने रायगढ़ लोकसभा से पहली बार चुनाव लड़ा और वो संसद पहुंचे। हालांकि एक साल बाद 1999 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। तब मान लिया गया था कि पार्टी में अब जोगी को हाशिये पर ही रहना होगा। लेकिन वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश से अलग जब छत्तीसगढ़ राज्य बनाया गया तो मुख्यमंत्री के तमाम नामों की अटकलों के बीच अप्रत्याशित रूप से अजित जोगी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बनाये गये। 2003 के चुनाव के दौरान ही उनके बेटे अमित जोगी पर राकांपा के नेता राम्वतार जग्गी की हत्या के आरोप लगे और उन्हें लंबे समय तक जेल में भी रहना पड़ा। सत्ता जाने और बेटे के हत्या के आरोप में फंसने के बाद 2003 में कथित रूप से भाजपा विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप उन पर लगा और कांग्रेस पार्टी ने उन्हें पार्टी से निलंबित भी कर दिया।
अगले साल यानी 2004 में अजित जोगी का न केवल निलंबन वापस हुआ, बल्कि पार्टी ने उन्हें महासमुंद से लोकसभा की टिकट भी दी। वे विद्याचरण शक्ल की सीट जीतने में कामयाब रहे । छत्तीसगढ़ में 16 सालों तक प्रदेश कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष कोई भी हो ,पार्टी में सबसे निर्णायक भूमिका अजित जोगी की ही बनी रही।
चुनाव के दौरान ही 20 अप्रैल 2004 में Ajit Jogi एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गये और उनके कमर से नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। तब से वो अब तक व्हीलचेयर पर ही थे। ऐसे कई प्रयास हुए जिससे वे क्रित्रिम पैर से चल सकें । मगर प्रयास सफल नहीं हुए ।
ऐसी स्थिति में अजीत जोगी व्हील चेयर पर ही बैठे सामान्य नेताओं की तरह दौरे किए और लोगों को संबोधित किया । वाकिई में ये अजीत जोगी की इच्छा शक्ति का परिणाम है जिससे वे असंभव को संभव बना दिया ।
कविता, कहानी और सामयिक मुद्दों पर लिखना-पढ़ना भी उन्होंने नहीं छोड़ा। इसी दौरान Ajit Jogi की पत्नी डॉ. रेणु जोगी और उनके बेटे अमित जोगी भी राजनीति में उतरे और विधायक चुने गय। फिर भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की मौजूदगी में कांग्रेस ने नई ऊँचाईयां छुई और अजीत जोगी दरकिनार माने गए। नतीजा यह हुआ किय छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी में नेताओं के बीच छत्तीस के आंकड़े गहराने लगे।
इसी बीच बस्तर के अंतागढ़ के उपचुनाव के दौरान कांग्रेस के उम्मीदवार को चुनाव मैदान से हटाने के लिये कथित रूप से सौदेबाजी करने का एक क्लिप वायरल होने के बाद 2016 में कांग्रेस पार्टी ने उनके बेट विधायक अमित जोगी को पार्टी से 6 सालों के लिये निष्काषित कर दिया और अजित जोगी को भी नोटिस थमा दिया ।
इसके बाद अजित जोगी ने खुद ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया. अजित जोगी को लेकर तरह-तरह के कयास लगते रहे लेकिन जोगी ने 23 जून 2016 को छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस नाम से खुद की पार्टी बनाने की घोषणा की।प्रारम्भिक जीवन
जीवन का टर्निंग पाईट
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लोकसभा चुनाव में हार के बाद बने मुख्यमंत्री
Ajit Jogi ने किसी करिश्माई नेता की तरह काम करना शुरू किया। वे स्थानीय बोली में लोगों को संबोधित करते थे। जिससे लोग उनसे जुड़ने लगे। अजित जोगी कहते थे-“मैं सपनों का सौदागर हूं.” लेकिन कहा जाता है कि अफसर से नेता बने जोगी ने अपने अफसरों पर कहीं अधिक भरोसा किया और राज्य में अफसरशाही ने पार्टी के नेताओं को ही हाशिये पर खड़ा कर दिया। नतीजा सरकार एक के बाद एक गंभीर आरोपों में उलझती गई।
अंततः तीन साल के अंदर ही 2003 में जोगी के नेतृत्व में लड़े गये विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा । राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार चुनी गई। जिसने अगले 15 सालों तक शासन किया।
बेटे पर लगा आरोपः-
कांग्रेस में की वापसी
सड़क दुर्घटना
Ajit Jogi लेखक भी थे।
सौदे बाजी का आरोप
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस
अजित जोगी की लोकप्रियता के कारण माना जा रहा था कि उनकी पार्टी राज्य में सरकार बना पाये या न बना पाये, राज्य में सरकार बनाने में सबसे निर्णायक भूमिका जरूर निभायेगी। 2018 में उनकी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ समझौता करके विधानसभा चुनाव लड़ा। लेकिन अपनी परंपरागत सीट मरवाही से अजित जोगी और कोटा विधानसभा से उनकी पत्नी रेणु जोगी के अलावा पार्टी के केवल 3 अन्य उम्मीदवार ही विधानसभा पहुंच पाये। यहां तक कि बहुजन समाज पार्टी की ओर से मैदान में उतरीं अजित जोगी की बहु ऋचा जोगी भी चुनाव हार गई ।
90 सीटों वाली विधानसभा में केवल 5 विधायकों की जीत के बाद पार्टी के कई नेताओं ने किनारा करना शुरू कर दिया। पार्टी लगभग दोयम दर्जे पर आ गई। लेकिन अजीत जोगी के बेटे और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष अमित जोगी लगातार पार्टी को राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण बनाने की कोशिश में जुटे रहे। अजित जोगी भी राज्य की कांग्रेस पार्टी की सरकार पर लगातार निशाना साधते रहे।
यह भी दिलचस्प है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की सरकार और नेताओं को लगातार घेरने वाले अजीत जोगी ने यथासंभव सोनिया गांधी को लेकर कभी कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की। यही कारण है कि राजनीतिक गलियारे में अफवाहें फैलती रहती थीं कि अजित जोगी किसी भी दिन कांग्रेस पार्टी में शामिल हो सकते हैं ।
अजीत जोगी के देहवसान के बाद इन अफवाहों पर अब हमेशा-हमेशा के लिये विराम लग गया है । जनता कांग्रेस का भविष्य अब आने वाला वक्त तय करेगा।
Ajit Jogi
5/30/2020
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