Ramzan
Ramzan Mubaq |
इस्लामिक कैलेण्डर में 12 महिने होते हैं और रमज़ान (Ramzan) का महिना नौवे नम्बर पर आता है। इसे इबादत (उपासना या पूजा-पाठ) का महीना भी कहा जाता है। इस दौरान प्रार्थना करने वाले हर शख्स की ख्वाहिश अल्लाह पूरी करता है।
इस्लामी कैलेंडर में आने वाले बाकि के महिनों के नाम कुछ इस प्रकार हैं।
इस्लामी कैलेंडर में आने वाले बाकि के महिनों के नाम कुछ इस प्रकार हैं।
- मुहरम
- सफर
- रबी अल-अव्वल
- रबी अल-थानी
- जमाद अल-अव्वल
- जमाद अल-थानी
- रज्जब
- शआबान
- रमजान
- शव्वाल
- जु अल-कादा
- जु अल-हज्जा
चूंकि रमज़ान (Ramzan) का महिना चल रहा हैं तो बात करते है आखिर क्यों यह महिना खास है?
इसमें सभी मुस्लिम समुदाय के लोग एक महीना रोजा यानि व्रत रखते हैं । रमजा़न अरेबिक के रमीदा और रमद शब्द से मिलकर बना है। इसका मतलब चिलचिलाती गर्मी और सूखापनकुरान की दिखी थी पहली झलक
यह महिना पवित्र माना जाता है। जानते हैं क्यों? क्योंकि इसी दौरान पैगम्बर मोहम्मद के सामने कुरान (इस्लामिक पवित्र ग्रंथ) की पहली झलक पेश की गई थी। इसीलिए रमजान के पूरे महिने को कुरान के आने की खुशी के तौर पर मनाया जाता है।
इस मास की विशेषताएं
- रमजान को नेकियों या पुन्यकार्यों का मौसम-ए-बहार (बसंत) कहा गया है। इस महीने में मुस्लमान अल्लाह की इबादत (उपासना) ज्यादा करता है। अपने परमेश्वर को संतुष्ट करने के लिए उपासना के साथ, कुरआन पाठ तथा दान धर्म करता है।
- यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी के लिए भी जाना जाता है । इस महीने में रोजादार ( जो व्रत करता है ) को इफ्तार कराने वाले के गुनाह माफ हो जाते हैं। एक बार पैगम्बर मोहम्मद सल्ल से किसी सहाबी (साथी) ने पूछा- अगर हममें से किसी के पास इतनी गुंजाइश न हो क्या करें। तो हजरात मुहम्मद ने जवाब दिया कि एक खजूर या पानी से ही इफ्तार करा दिया जाए। तो कुल मिलाकर यह है कि इस महिने में आशिषों की बारिश होती है।
- यह महीना जरूरतमंद लोगों की मदद करने का महीना है। दूसरों के काम आना भी एक इबादत समझी जाती है।
क्या किया जाता है? इस पूरे महिने ?
- जकात , सदका, फित्रा, (ये तीनों ही दान के अगल अलग रूप हैं। ) करना जरूरी है।
( फितरे में अनाज देना चाहिये वो अनाज जो आप खाते है, गेंहू, चावल, दाल वगैरह। कुछ लोग इसके बदले पैसा दे देते है लेकिन सबसे अव्वल अनाज है और अनाज वो ही होना चाहिये जो आप खाते है। ये नही की आप तो २० रुपये किलो का गेंहूं इस्तेमाल करते है और फितरे में आप १५ रुपये किलो का गेंहूं दे दें, ये सरासर गलत है!)
- खैर खैरात, गरीबों की मदद, दोस्त संगी साथी में जो जरुरतमंद हैं उनकी मदद करना जरूरी समझा और माना जाता है।
- अपनी जरूरतों को कम करना और दूसरों की जरूरतें पूरा कराने से अपने गुनाहों को कम और नेकियों में बढ़ोत्तरी मिलता है।
रोजा करने से आत्म नियंत्रण करने की तरबियत मिलती है। और हममें परहेजगारी की भावना पैदा करता है।
- महीने भर के रोजे (उपवास) रखना
- रात में तरावीह की नमाज पढना
- कुरान तिलावत (पारायण) करना
- लोगों की उन्नती व कल्याण के लिए अल्लाह से दुआ करते हुए मौन व्रत रखना।
- अल्लाह का शुक्र अदा करना। अल्लाह का शुक्र अदा करते हुवे इस महीने के गुजरने के बाद शव्वाल (रमज़ान के बाद का महिना) की पहली तारीख को ईद उल-फित्र मनाते हैं।
- रमजान के वक्त रोजेदारों को दरियादिली दिखानी चाहिए, उन्हें दान(जकात) देना चाहिए। इससे उन्हें सबाब(पुण्य) मिलेगा। कई लोग इस दौरान मस्जिदों में मुफ्त में लोगों को खाना खिलाते हैं। जबकि कई लोग जरूरतमंदों को जरूरी सामान भी बांटते हैं।
किन्हें छूट होती है रोजा करने से ?
इस दौरान कुछ लोगों जैसे बीमार होना, यात्रा करने,गर्भावस्था में होने,मासिक धर्म से पीड़ित होने एवं बुजुर्ग होने पर इन्हें रोजा न रखने की छूट होती है।
सहरी और इफ्तार
रोजे के दौरान रोजेदार पूरे दिन बिना कुछ खाए पिए रहते हैं। हर दिन सुबह सूरज उगने से पहले थोड़ा खाना खाया जाता है। इसे सुहूर (सेहरी)कहते हैं, जबकि शाम ढलने पर रोजेदार जो खाना खाते हैं उसे इफ्तार कहते हैं।
सहरी यानि तड़के सुबह का भोजन और इफ्तार यानि शाम का भोजन
सहरी यानि तड़के सुबह का भोजन और इफ्तार यानि शाम का भोजन
रोजे के दौरान खजूर का महत्व
रोजेदार हर रोज खजूर खाकर रोजा तोड़ते हैं। इस्लामिक साहित्य के मुताबिक अल्लाह के एक दूत को अपना रोजा खजूर से तोड़ने की बात लिखी गई है। इसी के आधार पर सभी रोजेदार खजूर खाकर सेहरी एवं इफ्तार मनाते हैं।
खजूर में बेमिसाल औषधिय गुण होते हैं - आयुर्वेद की नजर से खजूर लीवर, पेट की दिक्कत व कमजोरी जैसी अन्य बीमारियों को ठीक करता है।
फज्र और तारावीह
रमजान के दौरान खास दुआएं पढ़ी जाती हैं। हर दुआ का समय अलग अलग होता है। दिन की सबसे पहली दुआ को फज्र कहते हैं। जबकि रात की खास दुआ को तारावीह कहते हैं।
तरावीह अरबी भाषा के शब्द तरविह का बहुवचन है। शाब्दिक अर्थ है आराम और ठहरना।
तरावीह अरबी भाषा के शब्द तरविह का बहुवचन है। शाब्दिक अर्थ है आराम और ठहरना।
रोजेदारों को इन चीज़ों से दूर रहना है।
- बुरी संगती
- झूठ -फरेब
- पीठ पीछे बुराई
- लड़ाई झगड़े
कब खत्म होता है रमजान का महिना ?
रमजान महीना ईद-अल-फित्र से खत्म होता है। इसे शवाल (चंद्र मास) का पहला दिन भी कहते हैं। इस दिन सभी रोजेदार नए कपड़े पहनकर मस्जिदों और ईदगाह में जाते हैं। वहां वे रमजान का आखिरी नमाज पढ़कर खुदा का शुक्रिया अदा करते हैं, साथ ही एक दूसरे को गले मिलकर बधाई देते हैं।