सब्जियों का बाजार आज काफी फल फूल रहा है और जब ये Organic हों तो फिर क्या कहने ! मगर एक तरफ खेती किसानी को लोग घाटे का सौदा मान रहें है तो वहीं दूसरी तरफ पंजाब, ।
Hydroponic |
हरियाणा उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन नए -नए तरीकों से खेती लोग कर बेहिसाब मुनाफा कमा रहें हैं । खेती के इस तरीके का नाम है हाईड्रोपोनिक , यह तकनीक सुरक्षित है और साथ ही इससे जो उत्पादन होता है वह उन्नत पाष्टिक गुणों से भरपूर होता है ।
जानते है यह कैसे होता है?
पौधों के विकास में पोटेशियम, नाईट्रोजन तथा फाॅस्फोरस नामक पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है। और ये गुण मिट्टी में मिलते हैं । अगर हम किसी अन्य तत्वों में ये गुण उपलब्ध करा दें तो पौधों का विकास सम्भव है।
क्या है हाईड्रोपोनिक? यह खेती की वो उन्नत तकनीक है जिसमें पौधों का उत्पादन बिना मिट्टी के किया जाता है। इसकी शुरूआत नाईजीरिया से हुई । और अब यह दुनिया के दूसरे देशों में अपनाई जा रही है।
हाईड्रोपोनिक का शाब्दिक अर्थ पानी का कार्य है जो ग्रीक भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है वे हैं हाईड्रो पोनाज । इसे इस तरह से समझ सकते हैं हाईड्रो यानि पानी और पोनोस यानि कार्य। सवाल यह उठता है कि बिना मिट्टी के पौधों का उत्पादन कैसे सम्भव है ?
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यह सम्भव है जानते हैं कैसे ?
दरअसल पौधों के बढ़ने के लिए तीन चीज़ों की जरूरत पड़ती है वे हैं पानी, पोषक तत्व और सूर्य प्रकाश । और पोषक तत्वों में आते हैं - नाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटाष, सल्फर, जिंक, आयरन । इन्हें खास अनुपात में मिलाकर पानी या कंकड़ के घोल में मिलाया जाता है। जाहिर है इसमें मिट्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी । इसी तकनीक को कहते है हाईड्रोपोनिक। इसमें 15 से 30 डिग्री का तापमान और 80 से 85 प्रतिशत तक आद्रता रखी जाती है। इन तत्वों को पौधों की जड़ों तक एक पाईपलाईन के माध्यम से पहुँचाई जाती है जिसे हाइड्रोनाक्साइड कहा जाता है।
इसके लाभ-
इसके लाभों को इस तरह से समझा जा सकता है।
- इस तरह से तैयार पौधों में न केवल भरपूर पोषक तत्व मिलते बल्कि इसकी लागत भी कम होती है । और सबसे खास बात तो यह है कि इस प्रकार के पौधों के उत्पादन में जमीन की जरूरत नहीं पड़ती और पानी बहुत ही कम लगता है। उदाहरण के तौर पर अगर जमीन पर पौधों के उत्पादन में 100 लीटर पानी लगता है तो हाइड्रोतकनीक से उत्पादन में महज 10 लीटर में ही उत्पादन किया जा सकता हैं ।
- घोल की कुछ बूंदे महिने में एक या दो बार डालनी पड़ती है। महानगरों में किचन गार्डन के शौकीन लोग अपने छतों पर उत्पादन कर रहें है । साथ ही इसका भरपूर व्यवसायिक उपयोग भी हो रहा है ।
- यह जगह कम लेता है।
हाइड्रॉपनिक्स तकनीक का ही ये कमाल है इसे आज start-up के तौर पर देखा जा रहा है। हाइड्रॉपनिक्स तकनीक के सेटअप के लिए कई
कंपनियां काम करती हैं जो शौकिया गार्डन से लेकर कमर्शियल फार्म सेट करने में आपकी मदद करती है। इसमें लेटसेक्ट्रा एग्रीटेक बिटमाइंस इनोवेशंस, फ्यूचर फार्म्स, हमारी कृषि जैसे स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं । इन कंपनियों से हाइड्रॉपनिक्स सेटअप को खरीदा जा सकता है।
एक लाख रूपये के खर्च पर 400 पौधे लगाने का सेट अप खरीदा जा सकता है। अगर सिस्टम को सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो आगे सिर्फ बीज और पोषक तत्व का ही खर्च आएगा।
यानि One Time Investment है ।
ध्यान रखने की बातें
चूंकि पानी पंप्पों के सहायता से जड़ों तक पहॅँुचाई जाती है इसीलिए बिजली की आपूर्ति होनी चाहिए।
दूसरी खास बात लोगों की मनोवृति में अभी इस दिषा में बदलाव होना है। क्योंकि अब भी हाईड्रोपोनिक तकनीक को लेकर किसान सहज नहीं है।
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