अक्षय तृतीया’ जिसे छत्तीसगढ़ में आखा तीज कहा जाता है। आज के दिन क्या विषेष महत्व है? जानिए। अक्षय का मतलब है जो कभी क्षय नहीं होता है यानि खत्म नहीं होता ।
तृतीया का अर्थ है पक्ष की तीसरी तिथि या तीज। जानते हैं इसका हिन्दु पौराणिक ग्रंथों में क्या महत्व है?
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Akashay Tritiya |
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इस दिन क्या हुए थे?
इस दिन बहुत सी घटनाएं हुई थी जिस कारण इस दिन को शभ माना जाता है ?
- ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण
- माँ अन्नपूर्णा’ का जन्म।
- कुबेर को खजाना मिला था।
- माँ गंगा का धरती अवतरण हुआ था। आज ही के दिन धरती पर ’माँ गंगा’ अवतारित हुई थी,इसलिए ’गंगा स्नान’ का भी बहुत महत्व है।
- आज ही के दिन ’पांडव पुत्र युधिष्ठिर’ को ’अक्षय पात्र’ प्राप्त हुआ था जिससे भोजन कभी समाप्त नही होता। पांडवों के 13 वर्ष के वनवास के दौरान ऋषि दुर्वासा उनकी कुटिया में आए थे। द्रौपदी ने यथोचित्त उनका आतिथ्य सत्कार किया जिससे वे प्रसन्न हुए और अक्षय पात्र दिया।
- महाभारत का ’युद्ध समाप्त’ हुआ था। कौरव पांडवों के बीच भीषण युद्ध इसी दिन समाप्त हुआ था।
- वेदव्यास जी ने ’महाकाव्य महाभारत की रचना’ गणेश जी के साथ इसी दिन शुरू किया था।
- यह जैन संप्रदाय के लिए यह अक्षय तृतीया का काफी महत्व है। प्रथम तीर्थंकर ’आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान’ के 13 महीने का कठीन उपवास का ’पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया’ था। आज जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ’भगवान ऋषभ देव जी’ ने तेरह माह के उपवास के बाद ’इक्षुरस’ से पारणा किया।
- आज के दिन को राजस्थान सहित कई राज्योँ में धूमधाम से मनाया जाता है।
- इसी दिन ही प्रसिद्ध तीर्थ स्थल ’श्री बद्री नारायण धाम’ का कपाट खोले जाते है।
- बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में ’श्री कृष्ण चरण के दर्शन’ होते है।
- जगन्नाथ भगवान के सभी ’रथों को बनाना प्रारम्भ’ किया जाता है।
- आदि शंकराचार्य ने ’कनकधारा स्तोत्र’ की रचना की थी।अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है....
- आज ’अक्षय तृतीया’ है,एक मात्र तिथि जो कभी नही टूटती।
क्या होते हैं इस दिन ?
- आज के दिन बिना कोई मूहर्त पूछे ’विवाह’ एवं अन्य मांगलिक आयोजन होते हैं।
- आज ’आभूषण’ ’वाहन’ एवं अन्य वस्तुओं को खरीदना शुभ माना जाता है।
- आज के दिन ’अन्न भण्डार’ भरना भी बहुत शुभ माना जाता है।
- आज के दिन ’भगवान विष्णु,माता लक्ष्मी और कुबेर’ की विशेष पूजा की जाती है।
- आज के दिन ’दान पुण्य’ का विशेष महत्व है। छत्तीसगढ़ में ठंडी वस्तुओं जैसे जल से भरे घड़े, कुल्हड़,पंखे, चीनी, सत्तू आदि के दान का रिवाज है।
- वृन्दावन’ स्थित ’बांके बिहारी मंदिर’ में केवल आज ही के दिन ’श्री विग्रह के चरण दर्शन’ होते हैं।
- पावन तीर्थ बद्रीनाथ धाम’ के ’कपाट’ भी आज ही खोले जाते हैं।
- आज ’अक्षय तृतीया’ के रविवार को ’सुर्य देव’ की विशेष पूजा की जाती है।