29 April की सच्चाई !
सोशल मिडिया में इन दिनों ऐसे संदेश आपके पास जरूर आए होगें जिसमें कहा गया होगा कि 29 April को पूरी दुनियाँ खत्म हो जाएगी। लोग ये अफवाह नासा के हवाले से बता रहें है। मगर आपको बता दूँ कि यह एक कोरी अफवाह है जिसका हकीकत से कोई वास्ता नहीं है।
नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स (एन ई ओ) धूमकेतु और क्षुद्र ग्रह हैं जो अपने नजदीक ग्रहों के गुरूत्वाकर्षण के द्वारा अपनी कक्षाओं (Orbit यानि fixed रास्ता) की तरफ खींच लेते हैं । और पृथ्वी के नजदीक या इससे टकराने वाले धूमकेतु या क्षुद्रग्रह ऐसे ही आब्जेक्ट हैं । 29 अप्रेल को ऐसा ही कोई छुद्र ग्रह पृथ्वी के पास से गुजर रहा है।
नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट्स (एन ई ओ) धूमकेतु और क्षुद्र ग्रह हैं जो अपने नजदीक ग्रहों के गुरूत्वाकर्षण के द्वारा अपनी कक्षाओं (Orbit यानि fixed रास्ता) की तरफ खींच लेते हैं । और पृथ्वी के नजदीक या इससे टकराने वाले धूमकेतु या क्षुद्रग्रह ऐसे ही आब्जेक्ट हैं । 29 अप्रेल को ऐसा ही कोई छुद्र ग्रह पृथ्वी के पास से गुजर रहा है।
कैसे होती है यह खगोलीय घटना?
अब से 4.6 अरब साल पहले विशालकाय बाहरी ग्रह (बृहस्पति, शनि, यूरेनस, और नेप्च्यून) अरबों धूमकेतुओं के एक समूह से बने हैं और इस निर्माण की प्रक्रिया के दौरान कुछ टुकड़े अपनी कक्षा से भटक जाते हैं और पृथ्वी की कक्षा में आ जाते हैं या पास से गुजरते हैं जिन्हें हम काॅमेट यानि धूमकेतु कहते हैं।
इसी तरह एस्टेराईड (Asteroid) यानि क्षुद्रग्रह बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह के निर्माण के समय छुटे टुकड़े हैं जो ग्रहों की तरह ही सूर्य का चक्कर लगा रहें है। इनके टुकड़े कभी-कभी राह भटकर सीधे पृथ्वी की कक्षा में आ जाते हैं या पास से गुजरते हैं
छुद्र ग्रह यानि ऐस्टेराईड के बारे में पढ़िए।
Asteroid
क्यों महत्वपूर्ण हैं इनका पृथ्वी पर अध्ययन
इनके मलबे का अध्ययन करना इसीलिए भी जरूरी है कि ये बचे खुचे टुकड़े ग्रहों के निर्माण का एवं उनके रासायनिक मिश्रण का एक सबूत देते हैं । इनके अध्ययनों से हमें पता चल सकता है। कि ग्रह किस चीज़ से बने हैं । 4.6 अरब साल पहले पृथ्वी के साथ साथ अन्य ग्रहों के निर्माण हुआ था। इसके अध्ययन से जानकारी मिलने से खगोल विज्ञान अपडेट होगा।बड़ा खुलासा
अंतरिक्ष से धरती को खतरे जैसे विषय पर ंआयोजित सम्मेलन में नासा एक वैज्ञानिक ने एक खुलासा करते सभी को सन्न कर दिया। उन्होंने कहा कि एक एस्टेरॉएड अगले 8 सालों में धरती से टकरा सकता है । नासा के सेंटर फॉर नीयर अर्थ आब्जेक्ट स्टडीज के मैनेजर पॉल चडस ने यह दावा किया है । हालांकि उनका कहना था कि इसकी टकराने की आशंका सिर्फ 10 प्रतिशत ही है। लेकिन यह इतना बड़ा खतरा है कि अगर यह हमारी पृथ्वी से टकराया तो एक पूरा शहर नष्ट हो सकता है। इसमें सबसे बड़े खतरे की बात यह है कि यह धरती के किस हिस्से टकराएगा इसका सटीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
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बहरहाल, 29 अप्रेल को होनी वाली घटना के बिना दूरबीन के नहीं देखा जा सकता है। यह 1.2 मील लम्बा है। यह मास्क लगाए इंसानी चेहरे की तरह इसकी आकृति है। इसका नाम 52768 (1998ओआर 2 ) है । और पृथ्वी से चांद की दूरी 3 लाख किमी है। और यह छुद्र ग्रह 40 लाख किमी से ज्यादा के फासले से यह गुजरेगा।
और यह 19 हजार किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से पृथ्वी की तरफ आ रहा है मगर इसके पृथ्वी से टकराने की कोई आशंका नहीं है।
यह भारतीय समय के अनुसार साढ़े तीन बजे पृथ्वी के पास से गुजरेगा। ईस्र्टन समय के अनुसार यह 5ः56 बजे सुबह गुजरेगा।
जान टोनरी ने की थी एटलस सिस्सटम की स्थापना थी । यह दूरबीनों का एक सिस्टम है जिसकी मदद से अंतरिक्ष में होनी वाली हलचलों को देखा जा सकता है। टोनरी के मुताबिक आकाष में इस तरह के अनगिनत छुद्र ग्रह हैं जो बेकाबू घूम रहें हैं । इससे पहले भी कई खगोलीय पिंड पृथ्वी के आस पास से गुजर चुके हैं। हाल ही में यानि फरवरी 2013 में 17-20 मीटर का एस्टेराईड पृथ्वीं से टकराया था।
धूमकेतु और एस्टेराईड में अंतर क्या है?
धूमकेतू के तीन भाग होते नाभि कोमा और पूँछ जबकि एस्टेराईड एक पिंड होता है। और एस्टेराईड फिस्क्स रास्ते पर सूर्य का चक्कर लगते है। जबकि धूमकेतू का कोई फिक्स्ड रास्ता नहीं होता और ये वलयाकार मार्ग से सूर्य का चक्कर लगाते हैं । और सूर्य से दूर रहने पर ये ठंडे होते है मगर नजदीक आते ही वाष्पीकृत हो जाते हैं। जिसके परिणामस्वरूप बहुत बड़ी मात्रा में निकलने वाली धूल और गैस की यह धारा धुमकेतू के चारों ओर अत्यंत कमजोर वातावरण बनाती है जिसे कोमा कहा जाता है।
बहरहाल! इस खगोलिय घटना को बिना टेलीस्कोप की मदद से नहीं देखा जा सकता है।
बहरहाल! इस खगोलिय घटना को बिना टेलीस्कोप की मदद से नहीं देखा जा सकता है।