गर्मी की शुरूआत होने वाली है और इस अवसर पर दो प्रमुख त्यौहार हाते है जिनका स्थान भारतीय समाज में काफी अहम होता है वैसे तो हर त्यौहार का अर्थ ही है अपनों के साथ खुशियां बांटना , भारत त्यौहारों का देश है। यहां कई प्रकार के त्यौहार प्रत्येक अवसरों के लिए मनाए जाते हैं । मगर इस अवसर पर जो त्यौहार होते हैं उनमें भक्ति भाव के साथ अपनत्व का भी भाव होता है। जानते हैं क्या हैं वे ?
Lord Shiv at Tirathgarh Jagdalpur |
पहले तो शिवरात्रि का त्यौहार है दूसरा रंगों का त्यौहार है होली , तो जानते हैं कि शिवरात्रि का त्यौहार क्यों मनाया जाता है। आमतौर पर लोग शिवरात्रि के दिन लोग मंदिरों में पूजा अर्चना करते है और मानते हैं कि इस दिन की गई अराधना हमारी मनोकामना पूरी कर देगी।
क्यों मनाया जाता है शिवरात्रि का पर्व ?
- इस दिन जब चंद्रमा अपन नई चमक के साथ दिखना प्रारम्भ करती है जिसे वैज्ञानिक भाषा में न्यूमून कहते है। यह कई चरणों में चंद्रमा की चमक कम होते होते क्षीण होती है और फिर अमावस्या आती है। फिर नई आभा के साथ चंद्रमा दिखाई देती । तो इस दिन शिवरात्रि मनायी जाती है यानि शिव की रात्रि ।
- कहते है तारकेश्वर नामक राक्षक का वध केवल शिव पावत्री के पुत्र के हाथों ही होना था। एक दैवीय योजना के अनुसार इस दिन शिव पावत्री का विवाह हुआ था। और फिर उनके पुत्र कार्तिकेय ने तारकेष्वर नामक राक्षक का अंत किया था। कहते इस दिन शिवरात्रि मनायी गई थी।
- एक अन्य पौराणिक कारण यह भी है कि इस दिन समुद्र मंथन हुआ था जिसमें अमृत के साथ विष भी निकल कर आया था जिसे शिव जी ने पी लिया था। और उनके गले का हिस्सा विष के प्रभाव के कारण नीला पड़ गया था । इसीलिए शिव का नाम नीलकंठ पड़ा।
Lord Shiv
शिवरात्रि मनाए जाने के कई कारण है इनमें से एक यह भी हैं-
जब विष्णु और ब्रम्हा में अपने प्रभुत्व का लेकर लड़ाई हुई तो इसके फैसले के लिए शिव ने एक अंतहीन आग की रचना की और दोनों से कहा कि जो कोई भी इसके छोर तक पहले पहुँचेगा उसका प्रभुत्व ज्यादा होगा।
ब्रम्हा ने बिना दौड़ लगाये कहा कि वे पहले पहुंच गए मगर उनकी चोरी पकड़ी गई। तब शिव जी ब्रम्हा को श्राप दिया था कि कोई उनकी पूजा नहीं करेगा और न ही कोई उनका मंदिर निर्माण करेगा। कहते हैं वह दिन भी शिवरात्रि का ही था। यानि न्यूमून (NEW MOON)
इस तरह अनेक कथाएं प्रचलित हैं जो शिव की महिमा और शिवरात्रि की महत्ता बताते हैं ।
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SHIV RATRI ? REASONS AND IMPORTANCE
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किस प्रकार मनायी जाती है शिवरात्रि ?
संसार में अनेक प्रकार से यह त्यौहार मनाया जात है । आमतौर पर शिव मंदिर में जाकर लोग बेलपत्र व दूध चढ़ाकर शिव जी की पूजा करते है । देश भर में देखने योग्य शिव की 12 पवित्र प्रतिमाएँ हैं जिन्हें ज्योतिर्लिंग कहा जाता है, मान्यता के अनुसार शिव साक्षात इन स्थानों पर आते हैं जानते है भारत में कहाँ -कहाँ है ज्योर्तिलिंग हालांकि, देश में अनगिनत लिंग मौजूद हैं, लेकिन 12 ऐसे स्थिान हैं जो काफी प्रसिद्ध हैं । और हर शिव भक्त के लिए वह खास मायने रखता है।
ज्योर्तिलिंग क्या हैं?
मैं ज्योतिर्लिंग के शाब्दिक अर्थ के बारे में बात करूंगा। चूँकि यह शब्द प्राचीन भाषा संस्कृत से लिया गया है।
ज्योतिर्लिंग का अर्थ- ज्योति का अर्थ है चमक या किरणें (भगवान शिव की उपस्थिति के रूप में) इस प्रकार, ज्योतिर्लिंग का अर्थ है-’’ भगवान शिव का तेज प्रकट होना ’’
भीमा शंकर ज्योतिर्लिंग -
इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। यह महाराष्ट्र में पुणे में शैयाद्री पहाड़ियों पर स्थित है और राजगुरु नगर के उत्तर-पश्चिम से लगभग 50 किमी दूर है। ऐसा माना जाता है कि यदि आप प्रतिदिन सुबह सूरज उगने के बाद मंदिर में प्रार्थना करते हैं तो मंदिर में मौजूद पवित्र शक्तियां आप में समहित होती हैं और आप समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं ।
बैद्यनाथ ज्योर्तिलिंग
पौराणिक मान्यता के अनुसार, रावण ने बैद्यनाथ मंदिर की स्थापना की थी। यह झारखंड में जिला देवघर में स्थित है। यह क्षेत्र देवताओं के निवास के लिए जाना जाता है।
12 ज्योतिर्लिंगों |
घृनेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह महाराष्ट्र के दौलताबाद में स्थित है। इसे घृष्णेश्वर और घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से अंतिम है। दुनिया भर में लोग शांति के लिए यहां आते हैं।
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का पसंदीदा स्थान कहा जाता है। शिव या स्कंदपुराण जैसे शास्त्र में इस मंदिर का उल्लेख है। । यह उत्तराखंड के जिला रुद्रप्रयाग में स्थित है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह दक्षिण भारत में स्थित एकमात्र ज्योतिर्लिंग है। यह मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यहां की भस्मारती नामक प्रातःकालीन प्रार्थना विश्व में प्रसिद्ध है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
यह कृष्णा नदी के तट पर आन्ध्रदेश के श्रीशैल नामक पर्वत पर स्थित है। यह लोगों को शुद्ध करने के लिए जाना जाता है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
यदि कोई भक्त यहां प्रार्थना करता है तो यह ज्योतिर्लिंग इच्छाओं को पूरा करता है। यह गुजरात में द्वारिका में स्थित है। यह भगवान शिव का दूसरा नाम नागेश्वर है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह इंदौर नामक शहर के नजदीक मध्यप्रदेश में स्थित है। यहाँ मंदिर से नर्मदा नदी “ओम” का आकार लेती हुई बहती है। यही कारण है कि इसे ओंकारेश्वर कहा जाता है।
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
कहते हैं जब वह अपने निर्वासन पर थे तब इस मंदिर की स्थापना की गई थी। यह 12 ज्योतिर्लिंगों के बीच होने के अलावा हिंदुओं के चैथे पवित्र स्थानों में से एक है। यह रामनाथपुरम में स्थित है। तिलामिलनाडु।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंगः
यह गुजरात के सौराष्ट्र में है। यह कहा जाता है कि देवता चंद्रमा दक्ष प्रजापति से प्राप्त हुए श्राप से समाप्त हो गए। विदेशी आक्रमण के कारण मंदिर ने हर काल में विभिन्न स्वरूप लिए हैं ।
त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह महाराष्ट्र में जिला नासिक में स्थित है। इसका नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया है। गोदावरी और संत गौतमी के कहने पर भगवान शिव यहां ज्योतिर्लिंग के रूप में रहे
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
यह उत्तरप्रदेश में काशी में है। यह कहा जाता है कि यह कयामत के दिन भी अनसुलझा रहेगा क्योंकि भगवान शिव अपने त्रिशूल में शहर को ले जाएंगे
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