आधुनिक जीवन शैली के कारण हमें कई बिमारियां भी मिली है इनमें सबसे घातक है मधुमेह और दूसरा रक्तचाप यानि ब्लड प्रेषर जिसे आम भाषा में बीपी भी कहा जाता है। ये क्या होता है ? क्या इसे हम नियंत्रित कर सकते हैं या दवाईयां ही इसको नियंत्रित कर सकती है ।
Blood Pressure |
हांलांकि मधुमेह के कारण और रोकथाम विषय पर मैने विस्तृत में चर्चा की थी तो अब मै रक्त चाप के बारे में बताता हॅू।
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चिकित्सकों के पास जाने पर वे सीधे दवाईयां लिखकर आपको थमा देते है और उन्हें खाकर हम रक्तचाप तो नियंत्रित कर लेते हैं मगर कुछ प्रश्न हमारे जहन रह जाते है इसीलिए मै यह ब्लाॅग आप तक पहूॅचा रहा हॅूं ।
क्या है रक्तचाप ?
सबसे पहला प्रश्न तो यही उठता है। क्यों किसी को रक्तचाप होता है? दरअसल हमारे शरीर में धमनियांे के माध्यम से हार्ट खून को पूरे शरीर मे बहाता है । दूसरे शब्दों ऐसा करने से हमारे शरीर के अंगों को जीवन मिलता है। यह खून का प्रवाह या बहाव एक निश्चित वेग से होता है और होना चाहिए यानि 120/80 में । अगर यह दबाव इससे ज्यादा हो जाता है तो इसे चिकित्सकीय भाषा में उच्च रक्त चाप यानि हाई blood Pressure कहते है क्योंकि इससे धमनियों को खून के प्रवाह करने में ज्यादा जोर लगाना पड़ता है। फिर यह दबाव या प्रेषर लगातार बना रहे तो यह आदमी के लिए घातक हो जाता है ।
दबाव के प्रकार
अगर आप कभी अपना Blood Pressure चेक करवाएं तो दो संख्याओं की उम्मीद की जाती है एक है 120/80 । आईए इसे समझते है। यह दबाव दो प्रकार के होते है। एक होता है जिसे सिस्टोलिक यानि उच्चतम रिडिंग या pressure कहते है जो रक्तचाप मापक यंत्र में दिखता है दूसरा डायस्टोलिक यानि निम्नतम रिडिंग।
ध्यान रखिए सिस्टोलिक 120 से अधिक न जाने पाए और डायस्टोलिक 80 से ,
इसे थोड़ा इस गणित से समझते हैं । सामान्य- 120/80
120 से 129 तक कोई खतरा नहीं है ।मगर अपने खानपान और व्यायाम बढ़ाएं
हाईपरटेंशन में सिस्टोलिक 130 से 139 तक होगा और डायस्टोलिक 89 से 89 पर होगा तो यह बढ़ा हुआ है।
120 से 129 तक कोई खतरा नहीं है ।मगर अपने खानपान और व्यायाम बढ़ाएं
हाईपरटेंशन में सिस्टोलिक 130 से 139 तक होगा और डायस्टोलिक 89 से 89 पर होगा तो यह बढ़ा हुआ है।
तो क्या करें ?
- सबसे पहले तो तनाव (Tension )कम पालें, आप अपने आप को खुश रखने का प्रयास करें इसके लिए सकारात्मक सोच को अपने आप में विकसित करें । नियमित योगाभ्यास से भी तनाव मुक्त रहा जाता है आप प्राणायाम, ध्यान जैसे अभ्यासों को नियमित करें।
- मोटापा कम करें यानि वजन नियंत्रित करें
- ज्यादा या प्रतिदिन शराब सिगरेट न पीएं
- नमक कम खाएं । अपने आहार में वसा यानि तेल -मसाले खूब खाते हैं तो सावधान हो जाईए।वसायुक्त भोजन का सेवन न करें क्योंकि इसमें अत्यधिक कोलेस्ट्राॅल होता है। जो आप के उच्च रक्तचाप के स्तर को बढ़ा सकता है। मांस और अंडों का भी सेवन नहीं करना चाहिए।शराब और धूम्रपान बिलकुल नहीं करना चाहिए।
- और सबसे बड़ी बात शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाएं यानि व्यायाम करें ये भी न कर सकें तो खूब पैदल चलें ,
उपरोक्त बिन्दुओं पर आप गौर करें वरना उन्हें जाखिम उठाना पड़ सकता है। आज की जीवन शैली ही ऐसी है कि तनाव में हर आदमी रहता है। बच्चों में तनाव की समस्या और भी बड़ रही है।
हालांकि गर्भवस्था में रक्तचाप का बढ़ना एक स्वाभाविक क्रिया माना जाता है मगर नियंत्रण रखना जरूरी है।
बचाव क्या करें
35 की उम्र के बाद अपने रक्तचाप की नियमित जांच करांए ।
चीनी या चीनी से बनी चीजे कम करें विशेषकर चाय काफी और पैकेट बंद चीजे़
वजन कम करें कैसे इस बारे में विस्तृत चर्चा की जा चुकी है ।
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अपनी दिनचर्या में व्यायाम को अहम स्थान दें ।
क्या खाएं
स्वास्थ्य वर्धक आहार लें अपने डायट प्लाॅन को नियमित करें । सुबह का आहार नाश्ता जरूर करें उसे पौष्टिक ले और फिर दोपहर को थोड़ा हल्का और रात में हल्का भोजन लें । अपने आहार में कार्बोहाइड्रेटस यानि चावल और चीनी तथा वसा कम करें । खाने में खूब हरी सब्जियां यानि फाईबर वाले आहार ले और कुछ नहीं ।आप अपने आहार में नमक की मात्रा 1500-2400 मिली ग्राम तक ही सीमित रखें । आप सब्जियों को कच्चे रूप में ही खाने की कोशिश करें । कोशिश करें की आहार आपका शाकाहारी ही हो क्योंकि अत्यधिक प्रोटिन युक्त आहार का सेवन उच्च रक्तचाप पीड़ित के लिए अच्छा नहीं है।
तरबूज के बीज का सेवन उच्च रक्तचाप के लिए एक शक्तिशाली उपचार है। आप अपने आहार में लादके रूप में खीरा,गाजर,मूली,गोभी,प्याज और टमाटर का सेवन करें जिससे आपको अपने उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने मं मदद मिलेगी। अपने आहार में मैग्नीशियम, पोटेशियम, कैल्शियम और फाईबर का सेवन करें क्योंकि यह आपके दिल को स्वस्थ रखने में मदद करेंगें ।
कुछ योग का सहारा भी ले सकते है।
ये है। धनुरासन, ताड़ासन, वज्रासन, शलभ्रासन, भुजंगासन । इसके अलावा प्राणायाम, ध्यान जैसे विश्राम के अभ्यासों से आप तनाव मुक्त हो सकते हैं।
ये सभी उपाय करें तो आपका रक्तचाप नियमित हो जाएगा।
हाई बीपी का परीक्षण करना अत्यंत सरल है। यदि आपका बीपी बढ़ा हुआ पाया जाता है तो चिकित्सक एक हफ्ते मं कई बार बीपी चेक करने की सलाह देते हैं केवल एक बार के टेस्ट से उच्च रक्तचाप का परीक्षण नहीं किया जाता है। डाॅक्टर यह जानना चाहते है कि समस्या निरंतर रहती है कि नहीं क्योंकि कई बार पर्यावरण के करण भी रक्तचाप में वृद्धि हो सकती है और वैसे भी बीपी का स्तर पूरे दिन बदलता रहता है।
आपको बीपी के लिए निम्न परीक्षणों से गुजरना होता है ।
ये परीक्षण डाॅक्टर को हाई बीपी के अन्य संभावित करणों की पहचान करने में मदद करते हैं।
रक्तचाप यानि बीपी के विषय में ये जानकारी कैसी लगी आप अपने विचार कमेंट बाॅक्स पर अवश्य दीजिए् ।
हाई बीपी खतरनाक हो सकता है
क्योंकि इससे दिल का दौरा, दिल का रूक जाना और गुर्दे का रोग जैसी बिमारियां हो सकती है। हाई बीपी के इलाज का लक्ष्य होता है कि हाई बीपी को कम किया जाए और अपने जरूर अंग जैसे कि दिमाग गुर्दा और हार्ट को खराब होने से बचाया जा सकता है।परीक्षण करना अत्यंत सरल
हाई बीपी का परीक्षण करना अत्यंत सरल है। यदि आपका बीपी बढ़ा हुआ पाया जाता है तो चिकित्सक एक हफ्ते मं कई बार बीपी चेक करने की सलाह देते हैं केवल एक बार के टेस्ट से उच्च रक्तचाप का परीक्षण नहीं किया जाता है। डाॅक्टर यह जानना चाहते है कि समस्या निरंतर रहती है कि नहीं क्योंकि कई बार पर्यावरण के करण भी रक्तचाप में वृद्धि हो सकती है और वैसे भी बीपी का स्तर पूरे दिन बदलता रहता है।
आपको बीपी के लिए निम्न परीक्षणों से गुजरना होता है ।
- यूरिन टेस्ट
- कोलस्ट्राॅल जांच
- और ईसीजी
ये परीक्षण डाॅक्टर को हाई बीपी के अन्य संभावित करणों की पहचान करने में मदद करते हैं।
रक्तचाप यानि बीपी के विषय में ये जानकारी कैसी लगी आप अपने विचार कमेंट बाॅक्स पर अवश्य दीजिए् ।