पेट के बल लेटकर किए जाने वाले आसनों में सर्वांगासन का काफी महत्व है। इससे पेट, पीठ, हाथ तथा पैरों के अलावा शरीर के अंदरूनी हिस्सों का भी व्यायाम हो जाता है ।
Sarvangasana |
धारा 144 और महिने भर की लाॅकडाऊन समय में शरीर का निष्क्रिय होना स्वाभाविक है । ऐसे शरीर में अनावश्यक चर्बी जमा होने लगती है । यही चर्बी मोटापे की शुरूआत है। शरीर में जब मोटापा हावी हाता है तो सबसे पहले पेट के आसपास चर्बी जमा होने लगती है जिसे आम भाषा में तोंद कहते हैं । पर इसे योगासानों के जरिए कम किया जा सकता है। ऐसे ही योगासन का नाम है सर्वांगासन और पश्चिमोत्तानासन । जानते है इसे कैसे करते हैं ।
आईए जानते है इस महत्वपूर्ण आसन को किस प्रकार करें
विधि-
यह आसन कई चरणों में पूरा होता है। एवं हरेक चरणों को अपना महत्व होता है । जानते है वे क्या हैं?
सबसे पहले पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं ध्यान रखें की जमीन पर कोई बिछौना या चटाई बिछा कर इस आसना को करें ।
पहला चरण
फिर दोनों हाथों को बगल में रखें । पहले दाहिने पैर को सीधा तानते हुए 45 डिग्री के कोण पर एक फुट ऊपर उठाएं। फिर नीचे वापस पैर को अपनी जगह पर ले आएं।
Steps of Sarvangasana |
पुनः दूसरे पैर यानि बाएं पैर को उसी प्रकार 45 डिग्री के कोण बनाते हुए एक फुट ऊपर उठाए और वापस पैर को ले आएं
फिर दोनों पैरों को एक साथ ऊपर उठाएं एवं नीचे लाएं ।
दूसरा चरण
दाएं पैर को कमर के सीध में ऊपर समकोण बनाते हुए उठाएं, ध्यान रखें कि दाहिने पैर का तलवा आसमान की ओर रहना चाहिए अगर आप इसे कमरे में कर रहें हों तो छत की तरफ आपके पैर का तलवा होना चाहिए।
फिर वापस पैर को जमीन पर धीरे-धीरे लाएं । इसी क्रिया को बायीं पैर के साथ भी दोहराएं । मगर ध्यान रखें पैरों को ऊपर नीचे करने की क्रिया में जल्दबाजी न करें ।
तीसरा चरण
तीसरे चरण में दोनो पैरों को एक साथ ऊपर उठाएं , इसमें कम व पीठ का हिस्सा भी ऊपर उठ जाना चाहिए, पीठ को दोनों हाथों से पकड़कर सहारा दें तथा कोहनियां ज़मीन पर टिकी होनी चाहिए। बाजू शरीर से सटी रहें । इस क्रिया में सिर,गर्दन,पीठ तथा कंधे वाला भाग जमीन पर रहना चाहिए। धड़ और पैर ऊपर रहेंगे। इसी स्थिति में 1 मिनट रहने की कोषिष करें । अवष्य लाभ होगा।
इस दौरान ये भी कर सकते हैं।
ठुड्डी, कण्ठकूप से सटाकर रखें । पेट में हवा भरकर उसे बाहर ही रोक सकते है तथ नाभि वाले हिस्से को अंदर खींचकर रख सकते हैं । इसे योग में उड्यिन बंध कहते हैं। उड्डियन बंध 30 सेकंण्ड से ज्यादा न करें ।( उड्यिन बंध करने में अगर पेट में तकलीफ हो तो न करें । सांस की गति सामान्य रखें )
इसी तरह इस दौरान मूलबंध भी कर सकते है। यानि गुदा द्वार को संकुचित करने का प्रयास कर सकते है।
न कर सकें तो सांस सामान्य ढंग से लीजिए।
आसन कैसे समाप्त करें ?
आसन समाप्त करने के लिए जल्दबाजी न करें
सबसे पहले धीरे से कमर से हाथ हटाएं । फिर पीठ तथा कमर का हिस्सा धीरे से जमीन पर लाएं। और पीठ और कमर का हिस्सा जमीन पर टिक जाने के बाद पैरों को आराम से सम्भालते हुए जमीन पर वापस लें आएं और अब आपकी स्थिति पूरी तरह से पीठ के बल लेट हुए होगी। कुछ देर इसी दषा में यानि रहें। यह अभ्यास अपनी क्षमता नुसार तीन से चार बार दोहराएं हर समय कुछ समय का विराम अवष्य लें।
कब नहीं करना है सर्वांगासन
- हाई ब्लडप्रेषर हो या स्पाॅडिलाईटिस के मरीज। कान ,नाक या सुनने की क्षमता में कोई दोष हो तो इसे न करें।
- गर्भवती महिलाएं न करें।
- लार निकलती हों तो आसन के दौरान लार न गटके ।
इसके लाभ
इस आसन को करने से गले की तरफ रक्त प्रवाह ज्यादा होता है । अतः यह थाईराईड ग्रंन्थि में होने वाले समस्त दोषों के लिए लाभदायक है।
इससे पेनक्रियाज सक्रिय होता है अतः यह मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत ही लाभ दायक है।
यह शरीर के तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करता है। इस आसन से षिरागत रक्त सरलता से हार्ट की ओर पहुॅचता है। इसके अलावा पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं में आराम मिलता है।
दमा के मरीजो को लिए यह आसन बहुत उपयोगी है।
शरीर में झुर्रियां नहीं आती क्योंकि ये पूरे शरीर में रक्त प्रवाह को नियंत्रित करता है।
शरीर में मौजूद चर्बी को कम करता है। अतः यह मोटापा कम करता है। बशर्ते इसका अभ्यास नियमित हो।