प्रधान मंत्री ने 72 वे स्वाधीनता दिवस की वर्षगांठ पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए पर्यटन को बढ़ावा देते हुए कहा कि पूरे देश में सौ पर्यटन केन्द्र होंगे और आम जनता से अपील में उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक को 2022 तक 15 पर्यटन केन्द्रों में अवश्य जाना चाहिएं । जाहिर है प्रधान मंत्री जी का इशारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटक स्थलों की खोज करना है। अगर मै की बात करूं तो अकेले बस्तर में ऐसे कई पर्यटक स्थल हैं जिन्हें अगर उचित रखरखाव किया जाए तो वे पर्यटक स्थल के तौर पर दुनियां में अलग स्थान बना सकते है।
Tamarghumar fall |
मिसाल के तौर पर चित्रकोट जलप्रपात के नजदीक स्थित तामर घूमर और नारायणपाल का मंदिर ।
हांलाकि इनके बारे में लोगों जानकारी जरूर है मगर वे ही लोग जा पाते है, जो स्थानीय लोगों के रिश्तेदार हों या फिर किसी ने उन्हें उक्त जगहों के बारे बताया हो। चलिए ऐसे कुछ पर्यटक स्थलों के बारे में चर्चा करते हैं ।
तो शरूआत करते है तामर घूमर नामक जलप्रपात से
तामर घूमर
चित्रकोट जाने वाले हर पर्यटक को यहां जरूर आना चाहिए और यह चित्रकोट से महज 3 किमी दूर बारसूर रोड पर स्थित है । हांलाकि यहंा ठहरने खाने के लिए जगह नहीं है मगर पथरीली चट्टानों के बीच स्थित यह जलप्रपात एक एक भव्य नजारा दिखाता है। करीब 100 फीट की ऊंचाई से गिरते जल को देखना एक सुकून भरा अनुभव है जिसे निहारने के लिए लोग प्रतिदिन आते हैं । इस फाल से नीचे अगर आप उतरें तो आपको इसकी सुंदरता का अहसास होगा। घने जंगलों से घिरा पहाड़ पर यह नजारा काफी मजेदार लगता है।
चित्रकोट जलप्रपात
इस जलप्रपात को छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग ने मिनी ( छोटी) नियाग्रा कहा है । यह भारत का सबसे चैड़ा जल प्रपात है जो घोड़े की नाल के आकार में प्राकृतिक रूप से बना है। दिन में इंद्रावती नदी की विशाल धारा को 90 फीट की ऊँचाई से गिरता देखना बड़ा ही रोमांचक अनुभव देता है। और चांदनी रात में इसी सुंदरता और भी बेहतर हो जाती है। रात में इसकी सुंदरता निहारने भारत के राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और रामराथ कोविंद भी यहां ठहर चुके है। जलप्रपात के पास ठहरने के लिए आकर्षक रेस्ट हाऊस बने हुए हैं। यहाँ 14-15 सदी के बने शिव मंदिर हैं साथ ही 13 वीं सदी से लेकर 17 सदी की हनुमान,स्कन्द माता, महिषासुर मर्दिनी, भैरव, योद्धा आदि की मूर्तियां भी प्रपात के समीप देखने को मिलेगी।
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महेन्द्री जलप्रपात
यह भी चित्रकोट जलप्रपात के मार्ग पर स्थित है । जो 125 फीट की ऊंचाई से गिरते हुए बड़ा ही मनाराम दृश्य प्रस्तुत करता है।
चित्रकोट जलप्रपात का आनंद अधूरा ही रह जाता है अगर तामरघूमर, चित्रधारा और महेन्द्री प्रपात न देखें तो । जरूरत है इन जगहों पर भी तीरथगढ़ और चित्रकोट जलप्रपात की तरह पर्यटकों के लिए थोड़ी सुविधाएं दी मिल जाए तो क्या कहने ।
जगदलपुर से 38 किमी दूर तीरथगढ़ जलप्रपात कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में मौजूद है। यहां आपको कोटेमसर और कैलाश गुफा भी देखने को मिलेगी। यह छत्तीसगढ़ का सबसे ऊँचा जलप्रपात है। कांगेर नदी का जल लगभग 300 फीट की ऊँचाई से गिरता हैं कांगेर की जल धारा घटी के बीच से बहती है। और ऊपर से गिरते हुए यह कई भागों में बंट जाती है। और धुएँ का निर्माण करती है। यह प्रपात मोतियों की श्वेत चादर सा प्रतीत होता है। इस स्थल पर नदी दो प्रपात बनाती है पहली बार 300 फीट से गिर कर यह पुनः गहराई पर गिरती है और गहरी चट्टानों के मध्य आगे निकल जाती हैं मुख्य प्रपात तक जाने हेतु सीढ़ियाँ भी बनायी गई है।
जगदलपुर से 118 किमी दूर बारसूर से मांडर होकर इस जलप्रपात के नजदीक जाया जा सकता है। यह प्रपात बोधघाटी पहाड़ी से गिरते हुए पानी साता धाराओं का निर्माण करती है। ये हैं बोधधारा,कपिलधारा, पाण्डवधरा,कृष्णधारा,शिवधारा, बाणधारा और शिवचित्रधारा बहती है जिसे सात धारा कहा जाता है। इस धारा के चारो तरफ सघन वन होने के कारण यहाँ बड़ा ही सुंदर दृश्य नजर आता है।यह विश्व में सभवतः एकमात्र स्थान है जहाँ नदी कुछ दुरी के अंतराल में सात धाराओं का निर्माण करती है।
सुकमा जिले के छिंदगढ़ से 30 किमी दूर ग्राम तालनार में यह जलकुंड और प्रपात मौजूद है। शबरी का जल इस घाटी में ठहरा हुआ प्रतीत होता है। किवदंती के अनुसार रानी पद्मावती ने अपने दुश्मनों के हाथ आने के बजाए इसी जगह अपने प्राण त्याग दिए थे ।
चित्रधारा
यह प्रपात चित्रकोट के मार्ग पर है और 50 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरता है। सीढ़ीनुमा आकर में गिरते हुए यह प्रपात बढ़ा ही मनोरम दृश्य देता है। यह पोटानार के दूरस्थ क्षेत्र में स्थित है। यहां पिकनिक के लिए लोग अक्सर यहां आते हैं
सातधार
जगदलपुर से 118 किमी दूर बारसूर से मांडर होकर इस जलप्रपात के नजदीक जाया जा सकता है। यह प्रपात बोधघाटी पहाड़ी से गिरते हुए पानी साता धाराओं का निर्माण करती है। ये हैं बोधधारा,कपिलधारा, पाण्डवधरा,कृष्णधारा,शिवधारा, बाणधारा और शिवचित्रधारा बहती है जिसे सात धारा कहा जाता है। इस धारा के चारो तरफ सघन वन होने के कारण यहाँ बड़ा ही सुंदर दृश्य नजर आता है।यह विश्व में सभवतः एकमात्र स्थान है जहाँ नदी कुछ दुरी के अंतराल में सात धाराओं का निर्माण करती है।
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इसके अलावा बस्तर में अनेक जलधाराएं जिनके नाम इस प्रकार हैं कांगेर धारा, मेंदीरीघूमर, कांगेर धारा, चित्रधारा महादेव घूमर,गुप्तेश्वर झरना, खुरसेल झरना, चर्रेमरे। हंदावाड़ा प्रपात, मलांज कुण्डम इत्यादि
बात करते हैं। हाथी दरहा के बारे में
हाथी दरहा
बात करते हैं। हाथी दरहा के बारे में
हाथी दरहा
जगदलपुर से लगभग 45 किमी की दूरी पर जगदलपुर बारसूर मार्ग पर 8 किमी की दूरी पर गा्रम भेंदी के पश्चिमी भाग में गहरी खाई है। यही खाई हाथी दरहा के नाम से जाना जाता है। यह खाई अंग्रेजी के यू आकार में 150 से 200 फीट गहरी है।मटनार नाले का
प्रपात इस खाई का मुख्य आर्कषण केन्द्र है। बसंत ऋतु में यह खाई रंग-बिरंगे फूलों से भर जाती है। इसे भेंदरी घूमर भी कहा जाता है। इस गहरी खाई में अनेक पतले प्रपात देखे जा सकते हैं।
प्रपात इस खाई का मुख्य आर्कषण केन्द्र है। बसंत ऋतु में यह खाई रंग-बिरंगे फूलों से भर जाती है। इसे भेंदरी घूमर भी कहा जाता है। इस गहरी खाई में अनेक पतले प्रपात देखे जा सकते हैं।
रानी दरहा
सुकमा जिले के छिंदगढ़ से 30 किमी दूर ग्राम तालनार में यह जलकुंड और प्रपात मौजूद है। शबरी का जल इस घाटी में ठहरा हुआ प्रतीत होता है। किवदंती के अनुसार रानी पद्मावती ने अपने दुश्मनों के हाथ आने के बजाए इसी जगह अपने प्राण त्याग दिए थे ।
तीरथगढ़ जलप्रपात
यह कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में मौजूद है।
इसे कांगेर घाटी का जादूगर कहा जाता है। जिला मुख्यालय जगदलपुर से दक्षिण की ओर 28 किमी दूर सुकमा जाने वाले मार्ग चलकर इस प्रपात पर पहुँचा जा सकता है। इस प्रपात की यह खूबी है कि सीढ़ी नुमा आक्रति में बने पत्थरों से गिरता है और बढ़ा ही आर्कषक दृष्य बनता है। चित्रकोट जलप्रपात के बाद लोग यहाँ जाना पसंद करते है। यह मुनगाबहार नदी पर स्थित है जो शबरी की सहायक नदी है। यह 300 फीट जलप्रपात है।
सातधारा जलप्रपात
शिवधारा, चित्रधारा, कृष्णधारा, पाण्डवधारा, बोधधारा, कपिलधारा और बाण धारा नाम की इसकी सात धाराएं हैं । यह बारसूर में मौजूद है। इन प्रपातों के चारों ओर घने वन के कारण खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। विष्व में संभवतः सात धारा एक ऐसा उदाहरण है जहाँ नदी कुछ कुछ अंतराल में सात धाराएं बनाती है।
कांगेर धारा, गुप्तेष्वर ,तोकापाल का मण्डवा
मलाज कुण्डलम यह जलप्रपात कांकेर जिला मुख्यालय से 17 किमी दूर दक्षिण पष्चिम में मौजूद है। यह प्रताप दूध नदी का उद्गम स्थल भी है
चुर्रेमुर्रे झरना
नारायणपुर से अंतागढ़-आमाबेड़ा बनमर्ग पर अंतागढ़ से 12 किमी दूर पिंजाड़िन घाटी में यह झरना है। उत्तर पष्चिम दिषा में यह कई कुण्डों का निर्माण करता है। फिर दक्षिण दिषा में लम्बी दूरी तय करने के बाद इंद्रवती की सहायक नदी कोटरी नदी में यह मिल जाता है। विशाल घोड़े की नाल शक्ल की हरे चट्टानों से बहता झरना अऔर झरने का छल-छल आवाज के साथ बहते पानी के कारण इसे चर्रे मर्रे जलप्रपात का नाम दिया गया। झरने के आसपास का प्राकृतिक दृश्य काफी आर्कषक है।
खुसेल झरना
अंग्रेजों के जमाने से अपनी नैसर्गिक वन सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध था यह झरना। यह नारायणपुर से कोयलीबेड़ा होते हुए खुरसेल घाटी में प्रवेष करता है। खुरसेल घाटी से 9 किमी दूर यह झरना लगभग 400 फीट ऊँचाई से तेज ढाल पर कई खण्डों में रूक-रूक कर कई कुण्डों का निर्माण करता है। इसके आसपास पाषाणीय सुंदरता देखते ही बनती है। वर्तमान में नक्सली गढ़ होने के कारण यहाँ आवागमन अवरूद्ध है।
नम्बी जलप्रपात नीलम सरई
बीजापुर जिले में नीलम सरई और नम्बी जलप्रपात काफी मशहूर है और पर्यटकों के आर्कषण का प्रमुख केन्द्र है। दूसरी तरफ आवापल्ली के पास स्थित लंकापल्ली झरने की खूबसूरती भी लोगों को काफी लुभा रही है। इसके अतिरिक्त सकलनारायण की गुफा ट्रेकिग के लिए एक आदर्श स्थल है। आज बीजापुर बस्तर पर्यटन का केन्द्र बनता जा रहा है।
बीजापुर मे आज पर्यटन के बढावा देने के
लिये सडक पानी आवास , होमस्टे, जैसे मूलभूत सुविधाओ की तरफ भी ध्यान देने की आवश्यकता है. सभी के समन्वित प्रयासों से बीजापुर निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ में सैलानियो का पसंदीदा पर्यटन स्थल बन सकता है।
बीजाकसा झरने को दो अन्य नाम लूदे घुमर और पैड़ीगुडा झरना भी है । इस झरने की ऊँचाई लगभग 80 फीट है। एक बरसाती नाले पर बना यह झरना घने जंगल बह रही इन्द्रावती मे विलीन हो जाता है। यहाँ बारिश के दिनों में ही आना उचित होता है क्योंकि बाकि मौसम में यह सूखा हुआ मिलेगा।
मार्ग दुर्गम होने की वजह से यहाँ आना बहुत ही मुश्किल काम है।
यह कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में मौजूद है।
इसे कांगेर घाटी का जादूगर कहा जाता है। जिला मुख्यालय जगदलपुर से दक्षिण की ओर 28 किमी दूर सुकमा जाने वाले मार्ग चलकर इस प्रपात पर पहुँचा जा सकता है। इस प्रपात की यह खूबी है कि सीढ़ी नुमा आक्रति में बने पत्थरों से गिरता है और बढ़ा ही आर्कषक दृष्य बनता है। चित्रकोट जलप्रपात के बाद लोग यहाँ जाना पसंद करते है। यह मुनगाबहार नदी पर स्थित है जो शबरी की सहायक नदी है। यह 300 फीट जलप्रपात है।
सातधारा जलप्रपात
शिवधारा, चित्रधारा, कृष्णधारा, पाण्डवधारा, बोधधारा, कपिलधारा और बाण धारा नाम की इसकी सात धाराएं हैं । यह बारसूर में मौजूद है। इन प्रपातों के चारों ओर घने वन के कारण खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। विष्व में संभवतः सात धारा एक ऐसा उदाहरण है जहाँ नदी कुछ कुछ अंतराल में सात धाराएं बनाती है।
कांगेर धारा, गुप्तेष्वर ,तोकापाल का मण्डवा
मलाज कुण्डलम यह जलप्रपात कांकेर जिला मुख्यालय से 17 किमी दूर दक्षिण पष्चिम में मौजूद है। यह प्रताप दूध नदी का उद्गम स्थल भी है
चुर्रेमुर्रे झरना
नारायणपुर से अंतागढ़-आमाबेड़ा बनमर्ग पर अंतागढ़ से 12 किमी दूर पिंजाड़िन घाटी में यह झरना है। उत्तर पष्चिम दिषा में यह कई कुण्डों का निर्माण करता है। फिर दक्षिण दिषा में लम्बी दूरी तय करने के बाद इंद्रवती की सहायक नदी कोटरी नदी में यह मिल जाता है। विशाल घोड़े की नाल शक्ल की हरे चट्टानों से बहता झरना अऔर झरने का छल-छल आवाज के साथ बहते पानी के कारण इसे चर्रे मर्रे जलप्रपात का नाम दिया गया। झरने के आसपास का प्राकृतिक दृश्य काफी आर्कषक है।
खुसेल झरना
अंग्रेजों के जमाने से अपनी नैसर्गिक वन सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध था यह झरना। यह नारायणपुर से कोयलीबेड़ा होते हुए खुरसेल घाटी में प्रवेष करता है। खुरसेल घाटी से 9 किमी दूर यह झरना लगभग 400 फीट ऊँचाई से तेज ढाल पर कई खण्डों में रूक-रूक कर कई कुण्डों का निर्माण करता है। इसके आसपास पाषाणीय सुंदरता देखते ही बनती है। वर्तमान में नक्सली गढ़ होने के कारण यहाँ आवागमन अवरूद्ध है।
नम्बी जलप्रपात नीलम सरई
बीजापुर जिले में नीलम सरई और नम्बी जलप्रपात काफी मशहूर है और पर्यटकों के आर्कषण का प्रमुख केन्द्र है। दूसरी तरफ आवापल्ली के पास स्थित लंकापल्ली झरने की खूबसूरती भी लोगों को काफी लुभा रही है। इसके अतिरिक्त सकलनारायण की गुफा ट्रेकिग के लिए एक आदर्श स्थल है। आज बीजापुर बस्तर पर्यटन का केन्द्र बनता जा रहा है।
बीजापुर मे आज पर्यटन के बढावा देने के
लिये सडक पानी आवास , होमस्टे, जैसे मूलभूत सुविधाओ की तरफ भी ध्यान देने की आवश्यकता है. सभी के समन्वित प्रयासों से बीजापुर निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ में सैलानियो का पसंदीदा पर्यटन स्थल बन सकता है।
बीजाकसा झरने को दो अन्य नाम लूदे घुमर और पैड़ीगुडा झरना भी है । इस झरने की ऊँचाई लगभग 80 फीट है। एक बरसाती नाले पर बना यह झरना घने जंगल बह रही इन्द्रावती मे विलीन हो जाता है। यहाँ बारिश के दिनों में ही आना उचित होता है क्योंकि बाकि मौसम में यह सूखा हुआ मिलेगा।
मार्ग दुर्गम होने की वजह से यहाँ आना बहुत ही मुश्किल काम है।