बच्चों के कल क्या और कौन सा टिफिन बनाना चाहिए? ये एक ऐसा प्रश्न है जो हर मां के जहन में प्रतिदिन आता है और वे अपने लाडले के लिए टिफिन तैयारी में जुट जाती है। टिफिन में दिए जाने वाले खाने पीने की चीजों को लेकर आज अधिकांश माताएं ये समझती है कि बस यह बच्चे की खाने की जरूरत है जिसे बच्चे को स्कूल में ब्रेक के दौरान खिलाया जाना चाहिए ।
मगर वे भूल जाती हैं कि यह खाना बच्चे का प्रथम भोजन तो होता ही है साथ ही बच्चे को मिलने वाले पौष्टिक गुणों को भी वे टिफिन तैयार करने में भूल जाती है। और जल्दी बाजी में फाॅस्ट फूड का सहारा लेकर बच्चे को विदा कर देती है ।
हमे यह सोचना चाहिए कि बच्चा चार पांच घंटे प्रतिदिन स्कूल में बिताता है और इस दौरान उसे मानसिक और शारीरिक मजबूती प्रदान करने वाले आहार की जरूरत पड़ती है जो उसकी पूरी पढ़ाई लिखाई को प्रभावित करते हैं। कुल मिला कर यह कहा जाए कि आहार स्वास्थ्य वर्धक होना चाहिए न कि पेट भरने वाला । कुछ माताओं की शिकायत होती है हम अच्छा बनाने के बावजूद भी बच्चा टिफिन नहीं खाता है और टिफिन वैसे ही भरी हुई वापस घर ले आता है। तो आईए इन्ही बिन्दुओं पर ध्यान रखते हुए हम चर्चा करते हैं । बच्चे का टिफिन बाॅक्स कैसा होना चाहिए? और मनावैज्ञानिक कारणों से जानने की कोशिश करते हैं कि बच्चा टिफिन क्यों नहीं करता है?
स्वास्थ्य वर्धक टिफिन बाॅक्स क्यों जरूरी है?
बच्चों को अगर हम चाहते है कि पढ़ाई लिखाई के साथ साथ खेलकूद में भी अवल्ल रहें तो सबसे इसकी शुरूआत उनके खान पान से ही करनी चाहिए। बच्चे का पेट भरा होगा तथा उसे पूरा पोषण मिल रहा होगा तो स्कूल में पूरे समय गतिशील रहेगा।
- उचित पोषण मिलने वाले बच्चे बिमार कम पड़ते हैं लिहाजा वे पढ़ाई और दूसरी गतिविधियों में भी अव्वल रहते हैं इसीलिए उनके टिफिन में पौष्टिक गुणों से भरपूर खाने पीने की चीजें दीजिए न कि फाॅस्ट फूड।
- फाॅस्ट फूड में केवल कार्बोहाईड्रेट्स और शुगर होता है जो मोटापा ही देते हैं । उसे चाहिए प्रोटिन, विटामिन तथा मिनरल।
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- बच्चों में दूसरों बच्चों को देखकर ज्यादा खाने की होड़ लगती है और इसी होड़ का फायदा उठाने के लिए उन्हें अधिकाधिक पौषिक आहार दीजिए। और टिफिन बाॅक्स को देखकर बच्चों में खाना खाने की प्रवृति बढ़ती जाती है।
चार से पांच घंटे बच्चा स्कूल में बिताता है तो उसे ऊर्जा से भरपूर खाना चाहिए ताकि वह पूरा दिन ऊजावान बना रहे। अगर उसे बराबर पोषण नहीं मिलेगा तो वह सुस्त ही रहेगा । इसी दशा में उसका मन पढ़ाई में नहीं लगेगा । इसी लिए टिफिन में उसे पैकेट बंद चीजे बिलकुल न दे और न ही फाॅस्ट फूड की तरफ धकेलें बच्चों का टिफिन कैसा हो?
उक्त बातों से इसीलिए जरूरी है कि बच्चों को स्वास्थ्य वर्धक,पौष्टिक खाना मिले । बच्चों का टिफिन तैयार करते समय माताओं को निम्न बातों का ख्याल रखना चाहिए। अक्सर माताओं की यह शिकायत होती है बच्चा टिफिन नहीं खाता । निम्न उपाय करें और फिर देखें अपने बच्चे में बदलाव ।
- एक ही प्रकार का खाना रोज रोज न दें ।
- टिफिन बाॅक्स का आकार रंग प्रतिदिन या दो तीन दिनों में बदलें । जिससे बच्चे में नए टिफिन पर नया खाना देखने को मिलेगा। और वह टिफिन खाएगा। बच्चे खाने को अलग-अलग ढंग से लेना पसंद करते हैं । अगर आप पराठे ही देना चाहते हैं तो पराठों की आकार बदले जैसे चांद वाले पराठे चांद के आकार पर । तिकोन वाले पराठे, तारों के आकार वाले पराठे इत्यादि इससे उसमें ये ललक पैदा होगी कि इसका स्वाद कैसा होगा। और वह उसे खाएगा
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रंगों का बच्चों के जीवन पर असर
रंगों का बच्चों के जीवन पर बड़ा असर पडता है अतः खाने पीने की चीजों में भी वह रंग ढूढता है । हरा रंग पालक है तो लाल रंग बूंदी या टमाटर की चटनी सलाद, बादाम फ्राई। इत्यादि बे्रड भी दे ंतो ब्राऊन ब्रेड में वह रंग खोजेगा और खाएगा भी
बच्चों मंे फलों के प्रति रूचि बचपन से डालिए। इससे होगा यह उसमें फलों को खाने की दिलचस्पी बढ़ेगी और वह फलों से मिलने वाले पौष्टिक गुणो से भरपूर रहेगा। इसके लिए बच्चे को दो प्रकार के टिफिन बाॅस्स दीजिए । एक में वह लंच के समय खाए और दूसरा फलों वाला जिसे वह बे्रक में या स्कूल से लौटते समय खाए।
बच्चों के आहार पांच प्रकार के खाने को अवश्य शामिल कीजिए ये हैं दूध, दूध से बने पदार्थ, मांस-मछली अंडे अगर मांसाहारी है तो , दाल, हरी सब्जियां और फल।
इन बातों का ख्याल रख कर माताएं बच्चों में खाने पीने के प्रति रूचि पैदा कर
सकती हैं । और अगर फिर भी बच्चा खाने में रूचि पैदा नहीं हो रही है तो डाॅक्टर से तुरंत मिले।