सिक्कों का इतिहास
अगर प्रचीन इतिहास पर गौर करें तो सिक्कों का चलन भारत में 600 ई.पू. से है और अलग-अलग साम्राज्यों ने इसे अपने अपने हिसाब से जारी किया था। राजाओं ने अपना साम्राज्य विस्तार को दर्शाते हुए कई सिक्के जारी किए हैं । हम आधुनिक भारत में सिक्कों के बारे में बात करते है। जगदलपुर निवासी दीपका दास जो पिछले 25 वर्षों से भारतीय विदेशी सिक्के एवं नोट का संग्रह करते आ रहें है -उनसे मिली जानकारी हमें काफी दिलचस्प लगी। और उनसे हुई एक संक्षिप्त मुलाकात में जो जानकारी आधुनिक सिक्कों के इतिहास के बारे में मिली है वे इस प्रकार हैं। ।
चन्द्रगुप्त मौर्य के जमाने में सोने और चांदी के सिक्के चला करते थे आज यह भले ही अविश्वसनीय लगे मगर आधुनिक भारत में सिक्कों का सफर भी कम दिलचस्प नहीं है।
ब्रिटिश जमाने में सिक्का 19 अगस्त 1757 ई. में बना था तब ब्रिटिश सरकार ने इसका उपयोग कोलकत्ता में किया था। जाहिर है ब्रिटिश राज था तो अंग्रेजों ने ही किया था। फिर इसे बाद में बंगाल के मुगल प्रांत में भी इसे चलाया गया। अंग्रेजों ने बंगाल के नवाब के साथ संधि कर के फिर एक टकसाल(जहां सिक्का बनाया जाता है) बनाया गया। ब्लैक होल से लगी इमारत में यह टकसाल 1791 तक चला।
चूंकि प्लासी की लड़ाई जीतने बाद अंग्रेजों को जब बंगाल,बिहार के व्यापारिक अधिकार मिल गए तो वे इन सिक्कों को इन जगहों पर खपाने लग गये।
भारतीय सिक्के-
आजाद भारत में पहला सिक्का 1950 में बनाया गया । तब तक भारत में ब्रिटिश सिक्के ही चलन में थे। भारत में डेसिमल सिक्कों का चलन 1957 से शुरू हुआ। दीपक बताते हैं कि 1 रूपया 16 आना यानि 64 पैसों से मिलकर बनता था। 1 आना का मतलब चार पैसों से था।
भारत में डिसीमल और नान-डेसिमल दोनों ही प्रकार के सिक्के चलने लगे थे।- कहने का तात्पर्य है कि कुछ समय तक भारत में आना सिस्टम चलने लगे । और एक आना 2 आना 1/2 आना से पूरी खरीदारी हो जाती थी। 16 आना मिलकर 1 रूपये बनता था।
- उसके बाद पैसों का चलन आया 1 पैसा 2 पैसा 3 पैसा 5 पैसा 10 पैसा 20 पैसा 25 पैसा 50 पैसा के सिक्को का चलन लम्बे समय तक था। 1 पैसा का सिक्का 1957 से 1972 तक चले 2011 में सरकार ने इसे पूर्ण रूप से बंद कर दिया।
- वैसे ही 1964 से 1972 तक 3 पैसे के सिक्के चले थे और 1957 से 1994 तक पांच पैसे के सिक्के चले थे। इसे भी सरकार ने 2011 में चलन से बाहर कर दिया।
दीपक के मुताबिक आज जो सिक्के भारत में ढाले जा रहें है उनमें कापॅर-निकेल,स्टेनलेस स्टील, और एल्यूमिनियम का इस्तेमाल किया जा रहा है।
- 1 रूपये का सिक्का 1962 से है जो आज तक चल रहा है । मगर उसकी साईज छोटी पड़ गई है।
- 2 रूपये का सिक्का 1982 से चलन में आया और 5 रूपये का सिक्का 1992 से इसके बाद 2006 से सरकार ने 10 रूपये का सिक्का जारी किया। जो आज तक जारी हैं ।
अब किसी न किसी अवसर की याद में जारी किए गए सिक्कों की भरमार होती है। सिक्कों में इस्तेमाल किए गए धातु उसकी खनक अलग दर्शाती है।
सिक्कों के अलावा नोट का भी चलन भारत में काफी लम्बा है।
प्रथम विश्व युद्ध में मेटल की कमी से जारी किए गए नोट को हरवाला कहा जाता था।
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय में सिक्के ढालने के लिए मेटल की कमी की वजह से टोकन करेंसी बनायी गयी थी । जो प्रिंसली राज्यों ने जारी किया था। वे राज्य थे - गुजरात, राजस्थान, बलूचिस्तान, और मध्य भारत ।
भारत में करेंसी।
भारत में पहला नोट 1935 में छापा गया और इसी वर्ष रिर्जव बैंक ऑफ़ इंडिया की स्थापना हुई थी। आजादी के पूर्व छपे इस नोट में जार्ज छठवे का चित्र अंकित था और यह पांच रूपये का था। फिर आजादी के बाद उसमें फेरबदल किये गये । और उसकी जगह अशोक चक्र अंकित किया गया । पहला आजाद भारत का नोट 1 रूपये का था।
फिर 1969 में पांच और 10 रूपये को नोट छापे गए जो महात्मा गांधी के जन्म शताब्दि वर्ष को दर्शाता है। और 40 साल तक 10 रूपये को नोट में नाव का चित्र चलता रहा।
1959 में भारतीय हज यात्रियों के लिए एक खास नोट
1946 में महात्मा गांधी का खीचां गया चित्र भारतीय नोट की पहचान बना। किसी एक अज्ञात फोटोग्राफर ने लिया था।
1917-18 को हैदराबाद के निजाम को भी भारतीय नोट में जगह मिल चुकी है
1996 से महात्मा गांधी के चित्र वाले नोट रिर्जव बैंक जारी करता आ रहा है।
अब जानते है नोट के बारे में कुछ खास बातें
- 1996 जारी किए गए 10 रूपये के नोट में महात्मा गाधी के चित्र के साथ पीछे की तरफ वनस्पति को दर्शाता हुआ एक चित्र था।
- इसी तरह 1981 में जो नोट जारी किए गए इसमें मोर पक्षी का आर्ट बना हुआ था। 2001 में जारी 20 रूपये के नोट में ताड़ का वृक्ष दिखाया गया था।
- और 1983-84 में बुद्ध चक्र यानि कोर्नार्क चक्र की फोटो बनी थी। 1996 में 100 रूपये के नोट में हिमालय का चित्र लिया गया था।
खास बात
सिक्कों एवं नोट के संग्रहकर्ता दीपक दास के अनुसार इनकी छपाई किसी खास अवसर की याद में की जाती है जैसे भारत छोड़ो आन्दोलन या अंबेडकर की जयंती इत्यादि । और दूसरा नियमित छपाई जो एक निश्चित अंतराल में होती है।
अक्टूबर 1997 में दांडी यात्रा दिखाया गया था। जिसे दाण्डी यात्रा की याद में छापा गया था इस आंदोलन की शुरूआत महात्मागांधी ने 1930 में की थी । जब अंग्रेजों ने नमक पर कर लगाकर कानून बनाया था और कहा था कि नमक पर भी अब भारतीयों को टैक्स देना होगा।
कोई भी चित्र जो सिक्कों में प्रयोग किये गये है उनमें कुछ न कुछ अर्थ भी निहित होता है।
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भारतीय करेंसी के दिलचस्प पहलु
सोने के सिक्कों को मोहर और चांदी के सिक्कों को दाम कहते थेरूपया शब्द का प्रयोग पहली बार शेरशाह सूरी ने 1540 से 1545 के बीच किया था। शेरशाह ने जो सिक्का चलाया था उसका वजन 11.66 ग्राम था और इसमें 90 फीसदी चांदी थी।
भारत में एक रूपये का मूल्य 100 पैसा 1957 में बना और रिजर्व बैंक की स्थापना 1935 में हुई ।
विश्व युद्ध के समय तक भारत में चांदी के सिक्के चला करते थे। युद्ध काल में सिक्के ढालने में आई परेशानी के कारण अंग्रेजों ने 1917 में नोट यानि करेंसी बना डाली जिसमें ब्रिटिश राजा पंचम का चित्र था। 22 जनवरी 1918 को ढाई रूपये का नोट जारी हुआ था जो 1926 तक चला
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